Sunday, 10 June 2018

कविता -जरूरत है जरूरत है जरूरत है*, ऐसे स्वयं सेवक की,

*जरूरत है जरूरत है जरूरत है*,
ऐसे स्वयं सेवक की,
ऐसे क्रांति दूत की,
ऐसे वेद दूत की,
ऐसे प्रज्ञा पुत्र-पुत्रियों की
जो सेवा करे भारत भूमि की जी,
जरूरत है .....

जो सोतों को जगा दे,
जो जगे हुओं को चला दे,
जो चलते हुओं को दौड़ा दे,
जो दौडतो को लक्ष्य तक पहुंचा दे,

जरूरत है जरूरत है जरूरत है,
ऐसे स्वावलम्बी लोकसेवी की,
ऐसे परिष्कृत व्यक्तित्व की,
ऐसे सृजन युगशिल्पी की,
ऐसे सम्वेदनशील युगनिर्माणि की,
जो मिशन को दे गति जी,
जरूरत है......

जिनके अंदर भाव सम्वेदना हो,
और जिगर में अदम्य साहस हो,
जिनके अंतर में पवित्रता हो,
और विचारों में प्रखरता हो,
कुछ कर गुज़रने की चाहत हो,
और आँखों में क्रांति के अंगारे हो,

जरूरत है, जरूरत है, जरूरत है,
ऐसे भागीरथियों की,
ऐसे विश्वामित्रों की,
ऐसे विवेकानन्दों की,
ऐसी दुर्गाशक्तियों की,
जो मर मिटे लोकहित जी,
जरूरत है.....

जो ज्ञान यज्ञ की लाल मशाल थाम सके,
जो जन जन में जन जागृति ला सके,
जो युग पीड़ा पतन पराभव मिटा सकें,
जो पुनः देवसंस्कृति की ध्वजा फहरा सके,
जो घर घर यज्ञ और गायत्री पहुंचा सके,
जो जन जन में सद्चिन्तन-सत्कर्म उभार सके,

जरूरत है, जरूरत है, जरूरत है,
ऐसे प्रज्ञा पुत्र और पुत्रियों की,
ऐसे हनुमान और दुर्गाशक्तियों की,
ऐसे तेजस्वी वर्चस्वी आत्माओ की,
ऐसे प्राणवान कार्यकर्ताओ की,
जो मनुष्य में देवत्व जगा के,
कर सके धरती पर स्वर्ग अवतरण जी,
जरूरत है.....

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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