Sunday, 10 June 2018

कविता -कोई कारण शेष नहीं

*।।कोई कारण शेष नहीं।।*

जब जीवन के संघर्षों में
मन में अदम्य मनोबल और साहस हो,
तब चुनौतियों से डरने का,
*रह जाता कोई कारण शेष नहीं*।।

     जब किसान बनना स्वीकार किया
     कठिन परिश्रम को अंगीकार किया,
     फिर बदलते मौसम से डरने का
     *रह जाता कोई कारण शेष नहीं।।*

जब रिश्ते और सम्बन्धो में,
प्रेम और त्याग का समागम हो,
जब देने का ही भाव बचे तो रिश्ते के टूटने का,
*रह जाता कोई कारण शेष नहीं।।*

    जब जीवन का हर पल,
    जी भर के रोज जीते है,
    फ़िर मृत्यु से किसी प्रकार के भय का
     *रह जाता कोई कारण शेष नहीं।।*

जब अन्तर्मन और हृदय निर्मल हो
मन में विवेक का जागरण हो,
संतोष भरे अन्तःकरण में किसी अशांति का,
*रह जाता कोई कारण शेष नहीं।।*

     जब अंतर्जमन में ज्ञान गंगा बहती हो,
     आत्मसंतुष्टि और आत्मतृप्ति रहती हो,
     फिर संसार से और कुछ पाने की इच्छा का,
     *रह जाता कोई कारण शेष नहीं।।*

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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