प्रश्न - *मुश्लिम बहन गम्भीर रोग से परेशान है, उनके आत्मकल्याण हेतु क्या सलाह दूँ? उन्हें मोटिवेट कैसे करूँ?*
उत्तर - यदि मनुष्य का वैज्ञानिक तरीके से लैब परीक्षण किया जाय तो ज्ञात होगा कि रक्त, मांस, हड्डी इत्यादि से यह पता नहीं लगा सकते कि कौन किस धर्म का है? सूर्य चन्द्रमा ग्रह नक्षत्र और तारे, जल स्रोत और वायु सबके लिए समान है। तो इससे यह सिद्ध होता है भगवान ने जाति-सम्प्रदाय नहीं बनाए, ये इंसान द्वारा बनाया गया है।
यह सृष्टि कर्म प्रधान है, जहर हिन्दू खाये या मुश्लिम या क्रिश्चन या सिख या पारसी मरेंगे सभी। इसी तरह अच्छी चीज़े खाने पर सबकी सेहत बनेगी। ठीक यही नियम मन्त्र जप, योग-प्राणायाम, ध्यान और स्वाध्याय पर काम करता है, जो करेगा उसे पूर्ण लाभ देगा। देवता अर्थात सद्गुण-सत्कर्मो का समुच्चय, मन्त्र अर्थात देवता बनने की ओर अग्रसर होने के लिए विचारो का सशक्त फार्मूला। इसे अपनाओ और स्वयं में देवत्व जगाओ।
हिंदुओ में देवता बनने और देवत्व जगाने का मन्त्र - *गायत्री मंत्र* है। मुश्लिम इसी तरह का भाव बनाने वाले *सूरह अल फातिहा* को नित्य कई बार दोहराएं।
1:1 بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
अल्लाह के नाम से जो अत्यंत कृपाशील तथा दयावान है|
1:2 الْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ
सारी प्रशंसाएँ अल्लाह ही के लिए हैं, जो सारे संसार का रब है।
1:3 الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
बड़ा कृपाशील, अत्यन्त दयावान है।
1:4 مَالِكِ يَوْمِ الدِّينِ
बदला दिए जाने के दिन का मालिक है।
1:5 إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ
हम तेरी ही बन्दगी करते हैं और तुझी से मदद माँगते हैं।
1:6 اهْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ
हमें सीधे/सत्य मार्ग पर चला।
1:7 صِرَاطَ الَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا الضَّالِّينَ
उन लोगों के मार्ग पर जो तेरे कृपापात्र हुए, जो न प्रकोप के भागी हुए और न पथभ्रष्ट। श्रेष्ठ लोगों का अनुसरण करें और उनके दिखाए मार्ग पर चलें।
इसे रोज अपनी प्रार्थना में शामिल करें। जितनी बार कर सकें उतना अच्छा है।
गलतियां इंसान से होती है, हम सोचते हैं क्रोध में कि हम दूसरों को दण्ड दे रहे हैं। लेकिन असल में दण्ड के पात्र हम स्वयं बनते चले जाते हैं।
हम बीच में खड़े हैं, जन्नत(स्वर्ग) और दोज़ख(नर्क) के, अल्लाह ने हमें अपने मन मुताबिक जीने की छूट तो दी है, अपने हिसाब से काम करने की छूट दी है लेकिन उसका फ़ल/रिज़ल्ट/परिणाम अपने हाथ में रखा है। इसलिए जो भी करें पहले हमें सोचना समझना चाहिए।
हमें रोग कुछ प्रारब्ध/पिछले जन्म के कर्मफ़ल से बनी परिस्थिति के कारण भी होते है ।
रोग हमे जीवन मे अपनी भूलो के प्रायश्चित करने का तरीका मात्र होता है, जहां हम नित्य *सूरह अल फ़ातिहा* कम से 108 बार पढ़कर इस पर चिंतन करें। इसके एक एक शब्द को स्वयं में अंकित करें और ख़ुदा की बताई नेक राह पर चलने को स्वयं को प्रेरित करें।
सूर्य जो वृक्ष-वनस्पति और जीवों को प्राण देता है उससे हृदय से प्रार्थना करें कि वो भी अपनी रॉशनी से हमारे भीतर का अंधकार दूर करे, ख़ुदा का नूर बरसे, उजाला ही उजाला मन के अंदर हो। बुराइयां जलकर खाक हो जाएं और नेकनीयत हममें आ जाये। हर जीव वनस्पति मनुष्य औऱ कण कण में हमे ख़ुदा दिखे। और हमारे चेहरे पर ख़ुदा का नूर रहे।
इस ध्यान का लाभ अपने आपको अच्छा इंसान बनाने में ख़र्चे, उस ख़ुदा की इबादत में समय ख़र्चे, सूरह अल फ़ातिहा का अर्थ चिंतन करते हुए, उस ख़ुदा के ध्यान में खोए रहें।
मनोबल बढ़ाने के लिए निम्नलिखित साहित्य की पीडीएफ, युगनिर्माण सत्संकल्प(बराय तामीरे जमाना, हमारा मजमे मुसम्मम), उन्हें व्हाट्सएप कर दें जो मैं इस पोस्ट के साथ ही दे रही हूँ। यह सभी स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी समान उपयोगी है।
1- निराशा को पास न फटकने दें
2- युग परिवर्तन इस्लामी दृष्टिकोण
3- बराय तामीरे जमाना, हमारा मजमे मुसम्मम(युगनिर्माण सत्संकल्प)
4- दृष्टिकोण ठीक रखें
5- प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
6- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
7- मानसिक संतुलन
8- मैं क्या हूँ?
9- अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - यदि मनुष्य का वैज्ञानिक तरीके से लैब परीक्षण किया जाय तो ज्ञात होगा कि रक्त, मांस, हड्डी इत्यादि से यह पता नहीं लगा सकते कि कौन किस धर्म का है? सूर्य चन्द्रमा ग्रह नक्षत्र और तारे, जल स्रोत और वायु सबके लिए समान है। तो इससे यह सिद्ध होता है भगवान ने जाति-सम्प्रदाय नहीं बनाए, ये इंसान द्वारा बनाया गया है।
यह सृष्टि कर्म प्रधान है, जहर हिन्दू खाये या मुश्लिम या क्रिश्चन या सिख या पारसी मरेंगे सभी। इसी तरह अच्छी चीज़े खाने पर सबकी सेहत बनेगी। ठीक यही नियम मन्त्र जप, योग-प्राणायाम, ध्यान और स्वाध्याय पर काम करता है, जो करेगा उसे पूर्ण लाभ देगा। देवता अर्थात सद्गुण-सत्कर्मो का समुच्चय, मन्त्र अर्थात देवता बनने की ओर अग्रसर होने के लिए विचारो का सशक्त फार्मूला। इसे अपनाओ और स्वयं में देवत्व जगाओ।
हिंदुओ में देवता बनने और देवत्व जगाने का मन्त्र - *गायत्री मंत्र* है। मुश्लिम इसी तरह का भाव बनाने वाले *सूरह अल फातिहा* को नित्य कई बार दोहराएं।
1:1 بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
अल्लाह के नाम से जो अत्यंत कृपाशील तथा दयावान है|
1:2 الْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ
सारी प्रशंसाएँ अल्लाह ही के लिए हैं, जो सारे संसार का रब है।
1:3 الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
बड़ा कृपाशील, अत्यन्त दयावान है।
1:4 مَالِكِ يَوْمِ الدِّينِ
बदला दिए जाने के दिन का मालिक है।
1:5 إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ
हम तेरी ही बन्दगी करते हैं और तुझी से मदद माँगते हैं।
1:6 اهْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ
हमें सीधे/सत्य मार्ग पर चला।
1:7 صِرَاطَ الَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا الضَّالِّينَ
उन लोगों के मार्ग पर जो तेरे कृपापात्र हुए, जो न प्रकोप के भागी हुए और न पथभ्रष्ट। श्रेष्ठ लोगों का अनुसरण करें और उनके दिखाए मार्ग पर चलें।
इसे रोज अपनी प्रार्थना में शामिल करें। जितनी बार कर सकें उतना अच्छा है।
गलतियां इंसान से होती है, हम सोचते हैं क्रोध में कि हम दूसरों को दण्ड दे रहे हैं। लेकिन असल में दण्ड के पात्र हम स्वयं बनते चले जाते हैं।
हम बीच में खड़े हैं, जन्नत(स्वर्ग) और दोज़ख(नर्क) के, अल्लाह ने हमें अपने मन मुताबिक जीने की छूट तो दी है, अपने हिसाब से काम करने की छूट दी है लेकिन उसका फ़ल/रिज़ल्ट/परिणाम अपने हाथ में रखा है। इसलिए जो भी करें पहले हमें सोचना समझना चाहिए।
हमें रोग कुछ प्रारब्ध/पिछले जन्म के कर्मफ़ल से बनी परिस्थिति के कारण भी होते है ।
रोग हमे जीवन मे अपनी भूलो के प्रायश्चित करने का तरीका मात्र होता है, जहां हम नित्य *सूरह अल फ़ातिहा* कम से 108 बार पढ़कर इस पर चिंतन करें। इसके एक एक शब्द को स्वयं में अंकित करें और ख़ुदा की बताई नेक राह पर चलने को स्वयं को प्रेरित करें।
सूर्य जो वृक्ष-वनस्पति और जीवों को प्राण देता है उससे हृदय से प्रार्थना करें कि वो भी अपनी रॉशनी से हमारे भीतर का अंधकार दूर करे, ख़ुदा का नूर बरसे, उजाला ही उजाला मन के अंदर हो। बुराइयां जलकर खाक हो जाएं और नेकनीयत हममें आ जाये। हर जीव वनस्पति मनुष्य औऱ कण कण में हमे ख़ुदा दिखे। और हमारे चेहरे पर ख़ुदा का नूर रहे।
इस ध्यान का लाभ अपने आपको अच्छा इंसान बनाने में ख़र्चे, उस ख़ुदा की इबादत में समय ख़र्चे, सूरह अल फ़ातिहा का अर्थ चिंतन करते हुए, उस ख़ुदा के ध्यान में खोए रहें।
मनोबल बढ़ाने के लिए निम्नलिखित साहित्य की पीडीएफ, युगनिर्माण सत्संकल्प(बराय तामीरे जमाना, हमारा मजमे मुसम्मम), उन्हें व्हाट्सएप कर दें जो मैं इस पोस्ट के साथ ही दे रही हूँ। यह सभी स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी समान उपयोगी है।
1- निराशा को पास न फटकने दें
2- युग परिवर्तन इस्लामी दृष्टिकोण
3- बराय तामीरे जमाना, हमारा मजमे मुसम्मम(युगनिर्माण सत्संकल्प)
4- दृष्टिकोण ठीक रखें
5- प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
6- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
7- मानसिक संतुलन
8- मैं क्या हूँ?
9- अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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