प्रश्न - *दी, मेरा 14 वर्षीय बेटा कहता है, जब एक दिन मरना ही है तो क्यों पढूँ?*
उत्तर - आपके पुत्र की समस्या और समाधान कविता रूप में लिखा है, उसे पढ़कर सुना दें:-
क्यों पढूं?
पहले ये तो समझा दो,
स्कूल जाके क्या हासिल होगा?
पहले ये तो बता दो।
पढूंगा तो भी,
एक न एक दिन मरूँगा,
न पढूँगा तो भी,
एक न एक दिन मरूँगा,
फ़िर पढ़लिखकर ही,
क्यों मरूं?
पहले ये तो समझा दो....
पशु-पक्षी, जीव वनस्पति,
बिन पढ़े जीते और मरते हैं,
इंसान भी तो एक जीव ही है,
फ़िर उसे पढ़ने को मजबूर,
क्यों करते हो?
क्यों जबरजस्ती पढ़ाते हो?
पहले ये तो समझा दो...
मुझे नहीं बनना,
इंजीनियर डॉक्टर वक़ील,
मुझे नहीं करना MBA और बिजनेस,
क्या होगा ये सब करके?
जब मरना तय है एक दिन,
क्यों पढूँ?
पहले ये तो बता दो...
😇😇😇😇😇😇😇
पशु-पक्षी, जीव वनस्पति,
पैदा होते ही खड़े हो जाते हैं,
मनुष्य ही केवल,
अपने पैरों में खड़े होने में महीनों लेता है,
कोरा दिमाग़ लेकर पैदा होता है,
इंसानी सभ्यता और जुड़े ज्ञान को सीखने में,
वर्षों में सीखता है,
फिर स्वयं नए नए ज्ञान को ढूंढता है,
लोगों तक पुस्तकों में पहुंचाता है,
इसलिए पढ़ना पड़ता है,
मरने से पहले जीना पड़ता है,
इसलिए पढ़ना पड़ता है।
मनुष्य की संरचना बड़ी जटिल है,
उसकी सभ्यता-संस्कृति बड़ी उन्नत है,
वो पशुवत नहीं रह सकता है,
बिन वस्त्रों के नहीं घूम सकता है,
पशुओं सा घास पात नहीं चर सकता है,
पक्षियों सा कीड़े मकोड़े नहीं खा सकता है,
जंगल में अंधेरी गुफाओं में नहीं रह सकता है,
शिकार कर कच्चा मांस नहीं खा सकता है,
मनुष्य को समाजनिष्ठ बन रहना पड़ता है,
विभिन्न साधनों से कमाना पड़ता है,
फ़िर भोजन पका कर खाना पड़ता है,
इसलिए पढ़ना पड़ता है।
मन की उछल कूद को,
ज्ञान से सम्हालना पड़ता है,
मन के अंधेरों को,
ज्ञान से रौशन करना पड़ता है,
मन को सही राह पर,
ज्ञान से ही लाना पड़ता है,
मनुष्यता हासिल करने हेतु पढ़ना पड़ता है।
कुछ खाओगे तो लैट्रिन जाना पड़ता है,
कुछ पिओगे तो वाशरूम जाना पड़ता है,
जागोगे तो सोना भी पड़ता है,
सोओगे तो जागना भी पड़ता है,
श्वांस लोगे तो श्वांस छोड़ना भी पड़ता है,
हर पल कुछ न कुछ तो करना पड़ता है,
इसलिए इंसान को पढ़ना पड़ता है।
टीवी, मोबाईल, कम्प्यूटर हो या,
भोजन, बिजली, पानी और कपड़े हों,
इन सब इंडस्ट्री में ज्ञान लगा है,
और वो लोगों के पढ़ने से आया है।
बीमार जब होते हो तो,
जो दवा खाते हो,
डॉक्टर से लेकर केमिस्ट तक,
सब पढ़े-लिखे होते हैं,
हाँ, ये सब भी एक न एक दिन मरेंगे,
लेकिन मरने से पहले,
कई लोगों को जीवनदान दे देंगे,
अगर सब तुम सा सोचते,
पढ़ना लिखना सब छोड़ देते,
हम सबको भूखों मरना पड़ता,
बिन बिजली अंधेरे में रहना पड़ता,
कीड़े मकोड़े, घास-पात गन्दगी,
ये सब खा के जीना पड़ता,
खुले आसमान के नीचे,
बरसात हो या ठंड रहना पड़ता,
मनुष्य हो इसलिए ही,
पढ़ना पड़ेगा,
मरने से पहले,
बहुत कुछ करना पड़ेगा।
अब समझ गए हो,
तो उठकर तैयार हो जाओ,
कॉपी किताब बैग में सजाओ,
टिफिन साथ मे लेते जाओ,
स्कूल जाओ और मन लगाकर पढ़के आओ,
मेरे राज़ा बेटे बन कर दिखाओ,
इंग्लिश मैथ साइंस हिंदी औऱ sst,
इन सबसे कर लो दोस्ती,
इन्हें पढ़कर ज्ञान बढ़ाओ,
मानव सभ्यता को ऊंचाई पर ले जाओ,
सफ़ल व्यक्तित्व और उज्ज्वल भविष्य बनाओ,
देश, परिवार और समाज के प्रति,
अपने कर्तव्य निभाओ।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आपके पुत्र की समस्या और समाधान कविता रूप में लिखा है, उसे पढ़कर सुना दें:-
क्यों पढूं?
पहले ये तो समझा दो,
स्कूल जाके क्या हासिल होगा?
पहले ये तो बता दो।
पढूंगा तो भी,
एक न एक दिन मरूँगा,
न पढूँगा तो भी,
एक न एक दिन मरूँगा,
फ़िर पढ़लिखकर ही,
क्यों मरूं?
पहले ये तो समझा दो....
पशु-पक्षी, जीव वनस्पति,
बिन पढ़े जीते और मरते हैं,
इंसान भी तो एक जीव ही है,
फ़िर उसे पढ़ने को मजबूर,
क्यों करते हो?
क्यों जबरजस्ती पढ़ाते हो?
पहले ये तो समझा दो...
मुझे नहीं बनना,
इंजीनियर डॉक्टर वक़ील,
मुझे नहीं करना MBA और बिजनेस,
क्या होगा ये सब करके?
जब मरना तय है एक दिन,
क्यों पढूँ?
पहले ये तो बता दो...
😇😇😇😇😇😇😇
पशु-पक्षी, जीव वनस्पति,
पैदा होते ही खड़े हो जाते हैं,
मनुष्य ही केवल,
अपने पैरों में खड़े होने में महीनों लेता है,
कोरा दिमाग़ लेकर पैदा होता है,
इंसानी सभ्यता और जुड़े ज्ञान को सीखने में,
वर्षों में सीखता है,
फिर स्वयं नए नए ज्ञान को ढूंढता है,
लोगों तक पुस्तकों में पहुंचाता है,
इसलिए पढ़ना पड़ता है,
मरने से पहले जीना पड़ता है,
इसलिए पढ़ना पड़ता है।
मनुष्य की संरचना बड़ी जटिल है,
उसकी सभ्यता-संस्कृति बड़ी उन्नत है,
वो पशुवत नहीं रह सकता है,
बिन वस्त्रों के नहीं घूम सकता है,
पशुओं सा घास पात नहीं चर सकता है,
पक्षियों सा कीड़े मकोड़े नहीं खा सकता है,
जंगल में अंधेरी गुफाओं में नहीं रह सकता है,
शिकार कर कच्चा मांस नहीं खा सकता है,
मनुष्य को समाजनिष्ठ बन रहना पड़ता है,
विभिन्न साधनों से कमाना पड़ता है,
फ़िर भोजन पका कर खाना पड़ता है,
इसलिए पढ़ना पड़ता है।
मन की उछल कूद को,
ज्ञान से सम्हालना पड़ता है,
मन के अंधेरों को,
ज्ञान से रौशन करना पड़ता है,
मन को सही राह पर,
ज्ञान से ही लाना पड़ता है,
मनुष्यता हासिल करने हेतु पढ़ना पड़ता है।
कुछ खाओगे तो लैट्रिन जाना पड़ता है,
कुछ पिओगे तो वाशरूम जाना पड़ता है,
जागोगे तो सोना भी पड़ता है,
सोओगे तो जागना भी पड़ता है,
श्वांस लोगे तो श्वांस छोड़ना भी पड़ता है,
हर पल कुछ न कुछ तो करना पड़ता है,
इसलिए इंसान को पढ़ना पड़ता है।
टीवी, मोबाईल, कम्प्यूटर हो या,
भोजन, बिजली, पानी और कपड़े हों,
इन सब इंडस्ट्री में ज्ञान लगा है,
और वो लोगों के पढ़ने से आया है।
बीमार जब होते हो तो,
जो दवा खाते हो,
डॉक्टर से लेकर केमिस्ट तक,
सब पढ़े-लिखे होते हैं,
हाँ, ये सब भी एक न एक दिन मरेंगे,
लेकिन मरने से पहले,
कई लोगों को जीवनदान दे देंगे,
अगर सब तुम सा सोचते,
पढ़ना लिखना सब छोड़ देते,
हम सबको भूखों मरना पड़ता,
बिन बिजली अंधेरे में रहना पड़ता,
कीड़े मकोड़े, घास-पात गन्दगी,
ये सब खा के जीना पड़ता,
खुले आसमान के नीचे,
बरसात हो या ठंड रहना पड़ता,
मनुष्य हो इसलिए ही,
पढ़ना पड़ेगा,
मरने से पहले,
बहुत कुछ करना पड़ेगा।
अब समझ गए हो,
तो उठकर तैयार हो जाओ,
कॉपी किताब बैग में सजाओ,
टिफिन साथ मे लेते जाओ,
स्कूल जाओ और मन लगाकर पढ़के आओ,
मेरे राज़ा बेटे बन कर दिखाओ,
इंग्लिश मैथ साइंस हिंदी औऱ sst,
इन सबसे कर लो दोस्ती,
इन्हें पढ़कर ज्ञान बढ़ाओ,
मानव सभ्यता को ऊंचाई पर ले जाओ,
सफ़ल व्यक्तित्व और उज्ज्वल भविष्य बनाओ,
देश, परिवार और समाज के प्रति,
अपने कर्तव्य निभाओ।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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