समस्या - *दी, कम्पटीशन एग्जाम में मिली बार बार असफ़लता ने मेरा मनोबल तोड़ दिया है, 2015 में बी ई सिविल इंजीनियरिंग से पास की थी। मेरा आत्मविश्वास खत्म हो गया है। पुनः आत्मविश्वास प्राप्त करने के लिए क्या करूँ? मार्गदर्शन करें..*
समाधान -आत्मीय भाई, कम्पटीशन एग्जाम एक प्रकार की गैम्बलिंग हैं, जिसमें कठोर परिश्रम के साथ क़िस्मत का भी बड़ा रोल होता है। आज रोज़गार के अवसर कम और उम्मीदवार ज्यादा है। अब केवल बेस्ट होने से काम नहीं चलता बल्कि सुपर डुपर बेस्ट होना पड़ता है, फिर भी सरकारी नौकरी में गारंटी नहीं क्योंकि नेतागण और सोर्स भी अपना रोल अदा करता है। अतः सरकारी नौकरी न मिलने का गम करना ही बेकार है, यदि स्वयं को योग्य समर्थ मानते हो तो प्राइवेट सेक्टर में भी जॉब ट्राई करो।
16 से 20 ट्रिलियन इकोनॉमी वाले देश में प्रत्येक वर्ष एक लाख इंजीनियर ग्रेजुएट होते है और हमारा केवल दो ट्रिलियन इकोनॉमी के देश में 15 से 20 लाख इंजीनियर ग्रेजुएट होते है। इतनी सरकारी जॉब तो पूरे विश्व मे नहीं है जितनी की जरूरत केवल भारत मे है।
🐥 *जानते हो, चिड़िया कभी हिलती पेड़ की डाली से टेंशन नहीं लेती, क्योंकि उसे डाली पर नहीं बल्कि अपने पंखों पर भरोसा होता है।*
*यदि तुमने अपनी बुद्धि और सामर्थ्य के पंखों पर भरोसा किया तो चिड़िया की तरह नौकरी की डाली के हिलने, मिलने या न मिलने पर भय ग्रस्त न होंगे, ईश्वर और अपने ऊपर विश्वास करके कुछ न कुछ बेहतर कर ही लोगे। सरकारी नौकरी की डाली हो या प्राइवेट नौकरी की डाली उस पर बड़े प्यार से बैठ के मज़े से जिंदगी बिता सकते हो।*
*उद्यमी पुरुषः बपुतः लक्ष्मी* - उद्यमी बनकर अपने पुरुषार्थ से लक्ष्मी को घर मे स्थापित करो। *जितना बड़ा संघर्ष उतनी बड़ी सफलता होती है।* इतिहास भरा पड़ा है जितने भी महान लोग संसार मे हुए है वो बहुत बार असफल हुए हैं।
यूट्यूब पर महापुरुषों के संघर्ष की कहानियां देखो, अच्छे अच्छे मोटिवेशनल वीडियो देखो और स्वयं को मोटिवेट करो।
अखण्डज्योति पत्रिका में एक आर्टिकल था - *ईश्वर ने हमें अपनी सर्वोत्कृष्ट कृति के रूप से विनिर्मित किया है। वह अविश्वस्त एवं अप्रमाणिक नहीं हो सकता, इसलिए हमें अपने ऊपर विश्वास करना चाहिये। ईश्वर हमारे भीतर निवास करता है। जहाँ ईश्वर निवास करे, वहाँ दुर्बलता की बात क्यों सोची जानी चाहिए? जब छोटा-सा शस्त्र या पुलिस कर्मचारी साथ होता है, तो विश्वासपूर्वक निश्चिन्त रह सकना सम्भव हो जाता है, फिर जब कि असंख्य वज्रों से बढ़ कर शस्त्र और असंख्य सेनापतियों से भी अधिक सामर्थ्यवान् ईश्वर हमारे साथ है, तब किसी से डरने या आतंकित होने की आवश्यकता ही क्यों होनी चाहिए।*
*जो अपने ऊपर भरोसा करता है, उसी का दूसरे लोग भी भरोसा करते हैं। जो अपनी सहायता आप करता है, उसी की ईश्वर भी सहायता करता है। जिसने अपने हाथ पैर चलाना बन्द कर दिया, उसका डूबना निश्चित है।* हो सकता है कि किसी निष्ठावान को भी कभी असफल होना पड़ा है पर संसार में आज तक जितने सफल हुए हैं, उनमें से प्रत्येक को आत्म विश्वासी बनकर ही आगे बढ़ना पड़ा है। हो सकता है किसी किसान की फसल मारी जाय, पर जिसे धान काटने का सौभाग्य मिला है, उनमें से प्रत्येक को बोने और सींचने की कठोर प्रक्रिया को अपनाना ही पड़ता है। आत्म-विश्वास शक्ति का स्रोत है। उसी के सहारे किसी के लिए आगे बढ़ना सम्भव हो सकता है। *भाग्य का निर्माण ईश्वर नहीं, आत्म-विश्वास करता है। जो निष्ठापूर्वक पुरुषार्थ में संलग्न है और हार-जीत की चिन्ता न करते हुए आगे ही बढ़ता जाता है, उस आत्म-विश्वासी के लिए पर्वतों को भी रास्ता देना पड़ता है।*
सफ़लता - असफ़लता दोनों ही सम सामायिक हैं, तुम इन दोनों से परे शाश्वत आत्मा हो, तुममें असीम क्षमता है।
*दिमाग़ के मेंटिनेंस और तरोताज़गी हेतु, मनोबल-आत्मविश्वास बढ़ाने हेतु निम्नलिखित पुस्तकें पढो और अभ्यास करो:-*
1- निराशा को पास न फटकने दें
2- सफ़लता के सात सूत्र
3- सङ्कल्प शक्ति की प्रचण्ड प्रक्रिया
4- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
5- प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
6- सफ़लता आत्मविश्वासी को मिलती है
7- मानसिक संतुलन
शान्तिकुंज हरिद्वार या गायत्री तपोभूमि मथुरा जाकर 9 दिन की संजीवनी साधना कर लो, कोई प्रारब्ध होगा तो उसका शमन हो जाएगा।
आदमी का मुंह और दिमाग़ मृत्यु से पहले लटकना नहीं चाहिए। जब तक श्वांस है हम सब विजेता है। सरकारी नौकरी हो या प्राइवेट, जिंदगी में आनन्द की गारंटी नहीं है, दोनों ही स्थायी नहीं। जिंदगी में आनन्द के लिए स्वयं के भीतर ही उतरना होगा। सफ़लता के सूत्र तुम्हारे भीतर ही है, बस गहन ध्यान में जाओ और मार्ग मिल जाएगा। समस्या जहां समाधान वहां। विश्व ब्रह्मांड में अपनी योग्यता के अन्य अवसरों की ओर भी देखो क्या पता कितना बड़ा सौभाग्य-सुनहरा अवसर तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हो😇
तुम्हारे उज्ज्वल भविष्य की प्रार्थना करते हैं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
समाधान -आत्मीय भाई, कम्पटीशन एग्जाम एक प्रकार की गैम्बलिंग हैं, जिसमें कठोर परिश्रम के साथ क़िस्मत का भी बड़ा रोल होता है। आज रोज़गार के अवसर कम और उम्मीदवार ज्यादा है। अब केवल बेस्ट होने से काम नहीं चलता बल्कि सुपर डुपर बेस्ट होना पड़ता है, फिर भी सरकारी नौकरी में गारंटी नहीं क्योंकि नेतागण और सोर्स भी अपना रोल अदा करता है। अतः सरकारी नौकरी न मिलने का गम करना ही बेकार है, यदि स्वयं को योग्य समर्थ मानते हो तो प्राइवेट सेक्टर में भी जॉब ट्राई करो।
16 से 20 ट्रिलियन इकोनॉमी वाले देश में प्रत्येक वर्ष एक लाख इंजीनियर ग्रेजुएट होते है और हमारा केवल दो ट्रिलियन इकोनॉमी के देश में 15 से 20 लाख इंजीनियर ग्रेजुएट होते है। इतनी सरकारी जॉब तो पूरे विश्व मे नहीं है जितनी की जरूरत केवल भारत मे है।
🐥 *जानते हो, चिड़िया कभी हिलती पेड़ की डाली से टेंशन नहीं लेती, क्योंकि उसे डाली पर नहीं बल्कि अपने पंखों पर भरोसा होता है।*
*यदि तुमने अपनी बुद्धि और सामर्थ्य के पंखों पर भरोसा किया तो चिड़िया की तरह नौकरी की डाली के हिलने, मिलने या न मिलने पर भय ग्रस्त न होंगे, ईश्वर और अपने ऊपर विश्वास करके कुछ न कुछ बेहतर कर ही लोगे। सरकारी नौकरी की डाली हो या प्राइवेट नौकरी की डाली उस पर बड़े प्यार से बैठ के मज़े से जिंदगी बिता सकते हो।*
*उद्यमी पुरुषः बपुतः लक्ष्मी* - उद्यमी बनकर अपने पुरुषार्थ से लक्ष्मी को घर मे स्थापित करो। *जितना बड़ा संघर्ष उतनी बड़ी सफलता होती है।* इतिहास भरा पड़ा है जितने भी महान लोग संसार मे हुए है वो बहुत बार असफल हुए हैं।
यूट्यूब पर महापुरुषों के संघर्ष की कहानियां देखो, अच्छे अच्छे मोटिवेशनल वीडियो देखो और स्वयं को मोटिवेट करो।
अखण्डज्योति पत्रिका में एक आर्टिकल था - *ईश्वर ने हमें अपनी सर्वोत्कृष्ट कृति के रूप से विनिर्मित किया है। वह अविश्वस्त एवं अप्रमाणिक नहीं हो सकता, इसलिए हमें अपने ऊपर विश्वास करना चाहिये। ईश्वर हमारे भीतर निवास करता है। जहाँ ईश्वर निवास करे, वहाँ दुर्बलता की बात क्यों सोची जानी चाहिए? जब छोटा-सा शस्त्र या पुलिस कर्मचारी साथ होता है, तो विश्वासपूर्वक निश्चिन्त रह सकना सम्भव हो जाता है, फिर जब कि असंख्य वज्रों से बढ़ कर शस्त्र और असंख्य सेनापतियों से भी अधिक सामर्थ्यवान् ईश्वर हमारे साथ है, तब किसी से डरने या आतंकित होने की आवश्यकता ही क्यों होनी चाहिए।*
*जो अपने ऊपर भरोसा करता है, उसी का दूसरे लोग भी भरोसा करते हैं। जो अपनी सहायता आप करता है, उसी की ईश्वर भी सहायता करता है। जिसने अपने हाथ पैर चलाना बन्द कर दिया, उसका डूबना निश्चित है।* हो सकता है कि किसी निष्ठावान को भी कभी असफल होना पड़ा है पर संसार में आज तक जितने सफल हुए हैं, उनमें से प्रत्येक को आत्म विश्वासी बनकर ही आगे बढ़ना पड़ा है। हो सकता है किसी किसान की फसल मारी जाय, पर जिसे धान काटने का सौभाग्य मिला है, उनमें से प्रत्येक को बोने और सींचने की कठोर प्रक्रिया को अपनाना ही पड़ता है। आत्म-विश्वास शक्ति का स्रोत है। उसी के सहारे किसी के लिए आगे बढ़ना सम्भव हो सकता है। *भाग्य का निर्माण ईश्वर नहीं, आत्म-विश्वास करता है। जो निष्ठापूर्वक पुरुषार्थ में संलग्न है और हार-जीत की चिन्ता न करते हुए आगे ही बढ़ता जाता है, उस आत्म-विश्वासी के लिए पर्वतों को भी रास्ता देना पड़ता है।*
सफ़लता - असफ़लता दोनों ही सम सामायिक हैं, तुम इन दोनों से परे शाश्वत आत्मा हो, तुममें असीम क्षमता है।
*दिमाग़ के मेंटिनेंस और तरोताज़गी हेतु, मनोबल-आत्मविश्वास बढ़ाने हेतु निम्नलिखित पुस्तकें पढो और अभ्यास करो:-*
1- निराशा को पास न फटकने दें
2- सफ़लता के सात सूत्र
3- सङ्कल्प शक्ति की प्रचण्ड प्रक्रिया
4- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
5- प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
6- सफ़लता आत्मविश्वासी को मिलती है
7- मानसिक संतुलन
शान्तिकुंज हरिद्वार या गायत्री तपोभूमि मथुरा जाकर 9 दिन की संजीवनी साधना कर लो, कोई प्रारब्ध होगा तो उसका शमन हो जाएगा।
आदमी का मुंह और दिमाग़ मृत्यु से पहले लटकना नहीं चाहिए। जब तक श्वांस है हम सब विजेता है। सरकारी नौकरी हो या प्राइवेट, जिंदगी में आनन्द की गारंटी नहीं है, दोनों ही स्थायी नहीं। जिंदगी में आनन्द के लिए स्वयं के भीतर ही उतरना होगा। सफ़लता के सूत्र तुम्हारे भीतर ही है, बस गहन ध्यान में जाओ और मार्ग मिल जाएगा। समस्या जहां समाधान वहां। विश्व ब्रह्मांड में अपनी योग्यता के अन्य अवसरों की ओर भी देखो क्या पता कितना बड़ा सौभाग्य-सुनहरा अवसर तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हो😇
तुम्हारे उज्ज्वल भविष्य की प्रार्थना करते हैं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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