*स्कूलों में साहित्य स्थापना हेतु पत्र*
सेवा में,
प्रिंसिपल
स्कूल - ( यहां स्कूल का नाम लिखें)
पता - (यहां स्कूल का नाम लिखें)
सविनय नम्र निवेदन है कि, राष्ट्र विधाता विद्यार्थी गण के उज्ज्वल भविष्य और उत्तम चरित्र निर्माण में हम आपके सहयोगी बनना चाहते हैं।
जैसा कि हम सभी जानते हैं, जिस दर से जनसंख्या वृद्धि हो रही है और उसी दर से आर्थिक कठिनाइयां बढ़ रही हैं। प्राकृतिक संसाधन घटते जा रहे हैं। ऐसी विषम परिस्थिति से लड़ने हेतु बालकों का मनोबल अभी से बढ़ाने की आवश्यकता है।
आज सभी शिक्षण संस्थान बड़े बड़े मैनजमेंट और इंजीनियरिंग के गुण बच्चो को सिखा रहे हैं, और उनकी मनःस्थिति को प्रतियोगी बना के सफ़लता के लिए प्रोग्राम कर रहे है। लेकिन कहीं न कहीं असफ़लता को हैंडल करना और पुनः बाउंस बैक करके सफ़लता के लिए पुनः प्रयास नहीं सिखाया जा रहा। तनाव उतपन्न होने पर तनाव का प्रबंधन नहीं सिखाया जा रहा। इसलिए तो आज पढ़े लिखे युवाओं की आत्महत्या के रेट में दिन ब दिन बढ़ोत्तरी हो रही है।रोजगार के घटते अवसर किसी से छुपे नहीं है।
ड्राईविंग स्कूल ड्राइवर को अच्छी रोड और जाम फ्री रोड नहीं दे सकता, न अच्छी गाड़ी खरीद के दे सकता है। लेकिन वो ड्राइविंग का वो हुनर सिखा सकता है कि गड्ढों भरी रोड और ज़ाम में गाड़ी को कैसे चलाना है? पहाड़ की चढ़ाई हो या ढलान गाड़ी कैसे सम्हालना है? अच्छी रोड हो तो भी स्पीड उतनी ही लें कि गाड़ी कंट्रोल में रहे। इसी तरह सभी शिक्षण संस्थान अपने यहां पढ़ रहे सभी बच्चो को 100% नौकरी नही दे सकते, और न हीं उनके जीवन मे कठिनाई नहीं आएगी ऐसी कोई गारंटी दे सकते है। जॉब भी क्रिएट नहीं कर सकते। लेकिन शिक्षण संस्थान बच्चो को सफ़लता के लिए प्रोग्राम करने के साथ साथ असफलता को हैंडल करने, और बाउंस बैक करने, तनाव को हैंडल करने का हुनर/गुण तो सिखा ही सकते हैं।
*भूतपूर्व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और सुप्रसिद्ध समाज सुधारक, 3200 से ज्यादा युगसाहित्य का लेखन करने वाले, और देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार के संस्थापक युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा जी बच्चो की इनर इंजीनियरिंग के लिए, उनके अन्तर्मन के मैनेजमेंट के लिए कई सारी पुस्तकें लिखी हैं।* यदि इन पुस्तकों का अध्ययन बालकों को उनकी वर्तमान शिक्षा के साथ साथ करवा दिया जाय तो भविष्य में टूटते मन-अवसादग्रस्त स्थिति से होने वाली कई दुर्घटनाओं और आत्महत्याओं को रोका जाना सम्भव होगा। हम बच्चो को एक योद्धा की तरह विपरीत परिस्थितियों में भी कुछ कर गुजरने वाली मनःस्थिति के लिए तैयार रहें, ऐसा बना सकते हैं।
इन पुस्तकों के स्वाध्याय से अध्यापक गण स्वयं भी मोटिवेट हो सकते है। इनर इंजीनियरिंग और इनर मैनेजमेंट के गुणों को थॉट मैनेजमेंट के जरिये बड़ी आसानी से सीख सकते है, बच्चो को सीखा सकते हैं।
इन्ही पुस्तकों का सेट आपके संस्थान को हम डोनेट करना चाहते है, लेकिन एक वादे के साथ कि आप और आपके शिक्षक गण इन्हें स्वयं भी पढ़ेंगे और अपने विद्यार्थियों को भी पढ़ने हेतु प्रेरित करेंगे।
*देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार* भी अपने स्कूल के बच्चो और अध्यापक गणों को घुमाने ले जाइए, और भारत के दिये *विश्व को अजस्र अनुदानों* को समझिए। बच्चो को भारतीय होने के गौरव को महसूस कराइये। उनके अंदर राष्ट्र चरित्र निर्मित कीजिये।
केवल सैनिक की ही जिम्मेदारी नहीं है कि राष्ट्र की सुरक्षा हेतु कुछ कर गुजरे, युगऋषि कहते है कि भारत के समस्त नागरिकों की भी यही जिम्मेदारी है। अतः इस जिम्मेदारी के निर्वहन हेतु हम स्कूलों में सम्पर्क करके जीवनोपयोगी साहित्य डोनेट कर रहे है। साथ ही यदि आप सहयोग करें तो विभिन्न विषयों पर वर्कशॉप भी फ्री ऑफ कॉस्ट आपके स्कूल में आयोजित की जाएगी - जिसके अंतर्गत इनर इंजीनियरिंग, इनर मैनेजमेंट, पर्सनालिटी रिफाइन्मेंट के टॉपिक होंगे जो बच्चों के व्यक्तित्व के सुदृढ निर्माण में सहायक होंगे। देश के लिए कुछ करना अर्थात देश के निर्माता बच्चो के लिए कुछ करना ही है।
विनम्र निवेदक
🇮🇳एक भारतीय🇮🇳
श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
9810893335
सेवा में,
प्रिंसिपल
स्कूल - ( यहां स्कूल का नाम लिखें)
पता - (यहां स्कूल का नाम लिखें)
सविनय नम्र निवेदन है कि, राष्ट्र विधाता विद्यार्थी गण के उज्ज्वल भविष्य और उत्तम चरित्र निर्माण में हम आपके सहयोगी बनना चाहते हैं।
जैसा कि हम सभी जानते हैं, जिस दर से जनसंख्या वृद्धि हो रही है और उसी दर से आर्थिक कठिनाइयां बढ़ रही हैं। प्राकृतिक संसाधन घटते जा रहे हैं। ऐसी विषम परिस्थिति से लड़ने हेतु बालकों का मनोबल अभी से बढ़ाने की आवश्यकता है।
आज सभी शिक्षण संस्थान बड़े बड़े मैनजमेंट और इंजीनियरिंग के गुण बच्चो को सिखा रहे हैं, और उनकी मनःस्थिति को प्रतियोगी बना के सफ़लता के लिए प्रोग्राम कर रहे है। लेकिन कहीं न कहीं असफ़लता को हैंडल करना और पुनः बाउंस बैक करके सफ़लता के लिए पुनः प्रयास नहीं सिखाया जा रहा। तनाव उतपन्न होने पर तनाव का प्रबंधन नहीं सिखाया जा रहा। इसलिए तो आज पढ़े लिखे युवाओं की आत्महत्या के रेट में दिन ब दिन बढ़ोत्तरी हो रही है।रोजगार के घटते अवसर किसी से छुपे नहीं है।
ड्राईविंग स्कूल ड्राइवर को अच्छी रोड और जाम फ्री रोड नहीं दे सकता, न अच्छी गाड़ी खरीद के दे सकता है। लेकिन वो ड्राइविंग का वो हुनर सिखा सकता है कि गड्ढों भरी रोड और ज़ाम में गाड़ी को कैसे चलाना है? पहाड़ की चढ़ाई हो या ढलान गाड़ी कैसे सम्हालना है? अच्छी रोड हो तो भी स्पीड उतनी ही लें कि गाड़ी कंट्रोल में रहे। इसी तरह सभी शिक्षण संस्थान अपने यहां पढ़ रहे सभी बच्चो को 100% नौकरी नही दे सकते, और न हीं उनके जीवन मे कठिनाई नहीं आएगी ऐसी कोई गारंटी दे सकते है। जॉब भी क्रिएट नहीं कर सकते। लेकिन शिक्षण संस्थान बच्चो को सफ़लता के लिए प्रोग्राम करने के साथ साथ असफलता को हैंडल करने, और बाउंस बैक करने, तनाव को हैंडल करने का हुनर/गुण तो सिखा ही सकते हैं।
*भूतपूर्व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और सुप्रसिद्ध समाज सुधारक, 3200 से ज्यादा युगसाहित्य का लेखन करने वाले, और देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार के संस्थापक युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा जी बच्चो की इनर इंजीनियरिंग के लिए, उनके अन्तर्मन के मैनेजमेंट के लिए कई सारी पुस्तकें लिखी हैं।* यदि इन पुस्तकों का अध्ययन बालकों को उनकी वर्तमान शिक्षा के साथ साथ करवा दिया जाय तो भविष्य में टूटते मन-अवसादग्रस्त स्थिति से होने वाली कई दुर्घटनाओं और आत्महत्याओं को रोका जाना सम्भव होगा। हम बच्चो को एक योद्धा की तरह विपरीत परिस्थितियों में भी कुछ कर गुजरने वाली मनःस्थिति के लिए तैयार रहें, ऐसा बना सकते हैं।
इन पुस्तकों के स्वाध्याय से अध्यापक गण स्वयं भी मोटिवेट हो सकते है। इनर इंजीनियरिंग और इनर मैनेजमेंट के गुणों को थॉट मैनेजमेंट के जरिये बड़ी आसानी से सीख सकते है, बच्चो को सीखा सकते हैं।
इन्ही पुस्तकों का सेट आपके संस्थान को हम डोनेट करना चाहते है, लेकिन एक वादे के साथ कि आप और आपके शिक्षक गण इन्हें स्वयं भी पढ़ेंगे और अपने विद्यार्थियों को भी पढ़ने हेतु प्रेरित करेंगे।
*देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार* भी अपने स्कूल के बच्चो और अध्यापक गणों को घुमाने ले जाइए, और भारत के दिये *विश्व को अजस्र अनुदानों* को समझिए। बच्चो को भारतीय होने के गौरव को महसूस कराइये। उनके अंदर राष्ट्र चरित्र निर्मित कीजिये।
केवल सैनिक की ही जिम्मेदारी नहीं है कि राष्ट्र की सुरक्षा हेतु कुछ कर गुजरे, युगऋषि कहते है कि भारत के समस्त नागरिकों की भी यही जिम्मेदारी है। अतः इस जिम्मेदारी के निर्वहन हेतु हम स्कूलों में सम्पर्क करके जीवनोपयोगी साहित्य डोनेट कर रहे है। साथ ही यदि आप सहयोग करें तो विभिन्न विषयों पर वर्कशॉप भी फ्री ऑफ कॉस्ट आपके स्कूल में आयोजित की जाएगी - जिसके अंतर्गत इनर इंजीनियरिंग, इनर मैनेजमेंट, पर्सनालिटी रिफाइन्मेंट के टॉपिक होंगे जो बच्चों के व्यक्तित्व के सुदृढ निर्माण में सहायक होंगे। देश के लिए कुछ करना अर्थात देश के निर्माता बच्चो के लिए कुछ करना ही है।
विनम्र निवेदक
🇮🇳एक भारतीय🇮🇳
श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
9810893335
No comments:
Post a Comment