लाखों लोग आत्महत्या की चपेट में दिन रात आ रहे हैं, ऐसे ऐसे लोग आत्महत्या कर रहे है जिनके पास अच्छी नौकरी, जीवनसाथी और बच्चे थे। ज्यादा और ज्यादा शेयर बाज़ार से कमाने के चक्कर में धन हारते हैं। फ़िर स्वयं को न सम्हाल सकने के चक्कर मे आत्महत्या कर लेते है। उसी जीवनसाथी और बच्चे जिसके लिए बहुत कुछ करने की चाह में जी रहे थे उन्हें मंझधार में छोड़ के चले जाते हैं।
जॉब में बढ़ता प्रेशर, लोगों की छूटती नौकरियां, नौकरी मर बने रहने के लिए अत्यधिक मेहनत और नई जॉब प्राप्त करने की पुनः कठिन मेहनत मशक्कत लोगों की परेशानी का सबब बन गयी है।
विभिन्न कम्पटीशन और गला काट प्रतियोगिता के सहभागी बच्चे अत्यंत टेंशन में सर्वत्र जी रहे हैं। जो यह सामाजिक,आर्थिक दबाव नहीं झेल पाते तो माता-पिता को रोता बिलखता छोड़कर आत्महत्या करने संसार से विदा ले लेते हैं।
आज जीना इतना कठिन क्यों हो गया है?
इसका सही उत्तर है कि मनुष्य की सबसे बड़ी आवश्यकता जीवन जीने की कला और आध्यात्मिक दृष्टिकोण विकसित करने की कला उसे ताउम्र नहीं मिल रही।
उन्हें सफलता के लिए तो प्रोग्राम किया जा रहा है, असफलता को हैंडल करना और बाउंस बैक करना कोई नहीं सीखा रहा है। ये तो वही बात हुई कि ड्राइवर को अच्छी रोड में और सुहाने मौसम में गाड़ी चलाना आता हो, लेकिन रोड के गड्ढे , बिगड़े बारिश के मौसम और ज़ाम को हैंडल करना न सिखाया जाय। ऐसा ड्राइवर क्या आज के जमाने मे मंजिल तक पहुंच सकता है भला? इसी तरह जीवन जीने की कला जाने बिना कोई मनुष्य इस कठिन संसार मे जी सकता है भला।
युगऋषि परमपूज्य गुरुदेब इस कठिन चुनौती को जानते थे, पूरी शिक्षा प्रणाली को ठीक करके पुनः गुरुकुल परम्परा को आने में तो वक्त लगेगा। लेकिन दूरस्थ गुरुकुल परम्परा जीवन जीने की कला घर घर तक पहुंचाने का उत्तरदायित्व पूरा करने के लिए गायत्री परिवार और दिया को अस्तित्व में लाया गया है।
हम सभी शिष्यों का उत्तरदायित्व है कि ज्यादा से ज्यादा घरों तक अखण्डज्योति पत्रिका और युगसाहित्य पहुंचाए, स्कूल - कॉलेज में जा जाकर जीवन जीने की कला सिखाये।
हम सब पर गुरूकृपा है, हम सबके सत्प्रयास से लाखों आत्महत्याएं टल सकती है। कई सारे घर उजड़ने से बच सकते है। बच्चे अनाथ होने से और माता पिता संतानहीन होने से बच सकते है। लाखो टन आँशु धरती पर न गिरेंगे यदि हम सब घर घर ज्ञान यज्ञ की लाल मशाल से ज्योति जला सके तो, करोड़ो चेहरे पर मुस्कान बनी रहेगी यदि उनके हाथों में युगसाहित्य पहुंचा सके तो।
युगसाहित्य के अच्छे प्रेरणादायक विचार शोशल मीडिया में भी फैलाएं, लोकल समाचार पत्रों में भी छपवाए। जीवन बचाए... लाखो जीवन बचाये...
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
आज एक व्यक्ति जिसकी पत्नी जॉब करती है, बेटी है और जो ख़ुद भी अच्छी पोस्ट में था। शेयर मार्केट में बहुत नुकसान होने का कारण सुबह 4 बजे आत्महत्या कर लिया। यदि समय रहते युगसाहित्य पढ़ लेता तो आस उसे मरने की आवश्यकता न पड़ती। टेंशन, असफ़ता और शारीरिक बीमारी जीवन के सफ़र के गड्ढे हैं, इन्हें कुशलता पूर्वक हैंडल करना और विपरीत परिस्थिति में भी धैर्य बनाये रखना ही असली आध्यात्मिक विद्या है।
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