प्रश्न - *अगर आध्यत्मिक मार्ग पर चलने वाले श्रेष्ठ साधनाओं कर रहा तपस्वी साधक ,आध्यात्मिक कार्यक्रमो में मंच पर कुछ हमें भावनात्मक ठेस पहुचाएं,उस समय हम जैसे लोग किस तरह अपने मन को समझाएं?*
उत्तर - हमें ऐसे भावनात्मक ठेस को इग्नोर करना चाहिए। कभी आहत हो तो ये सोचो कि सब्जी काटते वक्त यदि हाथ कट जाए तो हम चाकू फेंक नहीं देते। क्योंकि चाकू की उपयोगिता हमें मालूम होती है।
इसी तरह मंचासीन तपस्वी साधक यदि भावनात्मक रूप से हमें चोट पहुंचाएं तो नेक्स्ट समय हमें और अत्यधिक सावधान और प्यार आत्मीयता से उससे गुरुकार्य करवाना चाहिए।
जब भी निर्णय लो तो ये सोचो कि गुरुदेव के कार्य के लिए हम सबकी जरूरत है, मतभेद हो लेकिन मन भेद न हो। शहीद देश के लिए गोली खा लिए, हमें तो गुरुकार्य के लिए मात्र गाली ही खानी पड़ी। जान तो बची है न, तो ख़ुश हो जाओ😂😂😂😂
दुधारू गाय के पैर की चोट सह लो, धारदार चाकू की कट सह लो, और साधक मंचासीन कर्मठ कार्यकर्ता की भावनात्मक ठेस सह लो। गुरुदेब के लिए इतना सहना तो बनता है, जब जीवन ही गुरु को समर्पित कर दिया, तो फिर मांन भी उनका और अपमान भी उनका। सबकुछ गुरुदेब का।
अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथों में, जीत तुम्हारे हाथों में और हार भी तुम्हारे हाथों में, मान भी तुम्हारे हाथों में, और अपमान भी तुम्हारे हाथों में...
अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथों में....
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - हमें ऐसे भावनात्मक ठेस को इग्नोर करना चाहिए। कभी आहत हो तो ये सोचो कि सब्जी काटते वक्त यदि हाथ कट जाए तो हम चाकू फेंक नहीं देते। क्योंकि चाकू की उपयोगिता हमें मालूम होती है।
इसी तरह मंचासीन तपस्वी साधक यदि भावनात्मक रूप से हमें चोट पहुंचाएं तो नेक्स्ट समय हमें और अत्यधिक सावधान और प्यार आत्मीयता से उससे गुरुकार्य करवाना चाहिए।
जब भी निर्णय लो तो ये सोचो कि गुरुदेव के कार्य के लिए हम सबकी जरूरत है, मतभेद हो लेकिन मन भेद न हो। शहीद देश के लिए गोली खा लिए, हमें तो गुरुकार्य के लिए मात्र गाली ही खानी पड़ी। जान तो बची है न, तो ख़ुश हो जाओ😂😂😂😂
दुधारू गाय के पैर की चोट सह लो, धारदार चाकू की कट सह लो, और साधक मंचासीन कर्मठ कार्यकर्ता की भावनात्मक ठेस सह लो। गुरुदेब के लिए इतना सहना तो बनता है, जब जीवन ही गुरु को समर्पित कर दिया, तो फिर मांन भी उनका और अपमान भी उनका। सबकुछ गुरुदेब का।
अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथों में, जीत तुम्हारे हाथों में और हार भी तुम्हारे हाथों में, मान भी तुम्हारे हाथों में, और अपमान भी तुम्हारे हाथों में...
अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथों में....
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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