Tuesday, 7 August 2018

समस्या - *बेटा, मेरी बहुएं मेरा कहना नहीं सुनती। सलवार सूट और जीन्स पहन के घूमती हैं। सर पर पल्ला/चुनरी नहीं रखती और मार्किट चली जाती हैं। मार्गदर्शन करो कि कैसे इन्हें वश में करूँ...*

समस्या - *बेटा, मेरी बहुएं मेरा कहना नहीं सुनती। सलवार सूट और जीन्स पहन के घूमती हैं। सर पर पल्ला/चुनरी नहीं रखती और मार्किट चली जाती हैं। मार्गदर्शन करो कि कैसे इन्हें वश में करूँ...*

*समाधान* - आंटी जी चरण स्पर्श, पहले एक कहानी सुनते हैं फिर समस्या का समाधान सुनाते हैं।

एक अंधे दम्पत्ति को बड़ी परेशानी होती, जब अंधी खाना बनाती तो कुत्ता आकर खा जाता। रोटियां कम पड़ जाती। तब अंधे को एक समझदार व्यक्ति ने आइडिया दिया कि तुम डंडा लेकर दरवाजे पर थोड़ी थोड़ी देर में फटकते रहना, जब तक अंधी रोटी बनाये। अब कुत्ता *तुम्हारे हाथ मे डंडा देखेगा और डंडे की खटखट सुनेगा तो स्वतः डर के भाग जाएगा रोटियां सुरक्षित रहेंगी*। युक्ति काम कर गयी, अंधे दम्पत्ति खुश हो गए।

कुछ वर्षों बाद दोनों के घर मे सुंदर पुत्र हुआ, जिसके आंखे थी और स्वस्थ था। उसे पढ़ा लिखाकर बड़ा किया। उसकी शादी हुई और बहू आयी। बहु जैसे ही रोटियां बनाने लगी तो लड़के ने डंडा लेकर दरवाजे पर खटखट करने लगा। बहु ने पूँछा ये क्या कर रहे हो और क्यों? तो लड़के ने बताया ये हमारे घर की परम्परा है, मेरी माता जब भी रोटी बनाती तो पापा ऐसे ही करते थे। कुछ दिन बाद उनके घर मे एक गुणीजन आये, तो माज़रा देख समझ गए। बोले बेटा तुम्हारे माता-पिता अंधे थे, अक्षम थे तो उन्होंने ने डंडे की खटखट के सहारे रोटियां बचाई। लेकिन तुम और तुम्हारी पत्नी दोनों की आंखे है, तुम्हे इस खटखट की जरूरत नहीं। *बेटे परम्पराओं के पालन में विवेक को महत्तव दो*।

आंटीजी, *इसी तरह हिंदू स्त्रियों में पर्दा प्रथा मुगल आततायियों के कारण आयी थी*, क्योंकि वो सुंदर स्त्रियों को उठा ले जाते थे। इसलिए स्त्रियों को मुंह ढककर रखने की आवश्यकता पड़ती थी। सर पर हमेशा पल्लू होता था यदि घोड़े के पदचाप की आवाज़ आये तो मुंह पर पल्ला तुरन्त खींच सकें।

अब हम स्वतन्त्र देश के स्वतन्त्र नागरिक है, राजा का शासन और सामंतवाद खत्म हो गया है। अब स्त्रियों को सर पर अनावश्यक पल्ला और पर्दा प्रथा पालन की आवश्यकता नहीं है।

घर के बड़ो का सम्मान आंखों में होना चाहिए, बोलने में अदब होना चाहिए और व्यवहार में विनम्रता छोटो के अंदर होनी चाहिए।

सर पर पल्ला रखे और वृद्धावस्था में सास-ससुर को कष्ट दे तो क्या ऐसी बहु ठीक रहेगी?

आंटीजी पहले हम सब लकड़ियों से चूल्हे में खाना बनाते थे, लेकिन अब गैस में बनाते है। पहले बैलगाड़ी थी और अब लेटेस्ट डीज़ल/पेट्रोल गाड़िया है। टीवी/मोबाइल/लैपटॉप/AC इत्यादि नई टेक्नोलॉजी उपयोग जब बिना झिझक के कर रहे हैं, तो फिर बहुओं को पुराने जमाने के हिसाब से क्यों रखना चाहती है? नए परिधान यदि सभ्य है, सलवार कुर्ती, जीन्स कुर्ती तो उसमें किसी को समस्या नहीं होनी चाहिए। जब बेटियाँ उन्ही वस्त्रों में स्वीकार्य है तो फिर बहु के लिए समस्या क्यों?

आंटी जी, *परिवर्तन संसार का नियम है*। यदि आप अच्छे संस्कार घर में बनाये रखना चाहते हो तो उस सँस्कार के पीछे का लॉजिक प्यार से बहु- बेटी को समझाओ। उन्हें थोड़ी प्राइवेसी दो और खुले दिल से उनका पॉइंट ऑफ व्यू भी समझो।

बहु भी किसी की बेटी है, आपकी बेटी भी किसी की बहू है। अतः घर में सुख-शांति और आनन्दमय वातावरण के लिए *जिस तरह आपने मोबाइल जैसी टेक्नोलॉजी को स्वीकार किया है वैसे ही बहु के नए परिधान को स्वीकार लीजिये। बहु को एक मां की नज़र से बेटी रूप में देखिए, और उससे मित्रवत रहिये।*

*सबसे बड़ा रोग- क्या कहेंगे लोग*, इससे बचिए, क्योंकि जब आपको सेवा की जरूरत होगी तो लोग कभी उपलब्ध न होंगे। आपको *बेटे-बहु* ही चाहिए होंगे।

मेरी सलाह सही है या ग़लत, इसे आप चेक कर सकती है, स्वयं ध्यान की गहराई में जाकर।

*आधुनिक मॉडर्न दादी* बनकर, अपने मोबाइल में अच्छी अच्छी कहानियां और उपदेश यूट्यूब में देखिए और नाती पोतों को बताइये। सभी वेद, उपनिषद, पुराण, ध्यान, भजन इत्यादि के वीडियो यूट्यूब पर उपलब्ध हैं, बहु-बेटे से बोलिये वो चला देगे।

*यदि आपको वशिकरण विद्या चाहिए, तो पूरे संसार को अपने वश में कीजिये केवल बहु को ही क्यों?*

*वशीकरण विद्या - इसकी सिद्धि एक वर्ष में होगी। ग्रेजुएट होने में भी 16 वर्ष पढ़ना पड़ता है तो वशीकरण मंत्र में भी वक्त 1 वर्ष का समय लगेगा ही। इसे सिद्ध करने के लिए निम्नलिखित उपाय करें*:-

1--रोज़ कम से कम आधा घण्टा बिना हिले डुले बैठने का प्रयास करें। 10 माला गायत्री मंत्र जपें और 1 माला चन्द्र गायत्री मंत्र की जपें। पूर्णिमा की रात को चांदी के बर्तन से कच्चे दूध का अर्घ्य चन्द्र को दें।

2- जब बिना हिले आधे घण्टे बैठने का अभ्यास सध जाए तो अपनी आती -जाती श्वांस पर ध्यान केंद्रित करें।

3- नित्य  पूर्णिमा के चाँद का ध्यान करते हुए नेत्र बन्द, कर्ण बन्द, मुंह बंद करके पूरी तरह विचार शून्य होकर आधे घण्टे बैठ जाएं।

4- प्रत्येक माह पूर्णिमा को व्रत रखें, उस दिन 24 गायत्री मंत्र, 11 चन्द्र गायत्री मंत्र और 5 महामृत्युंजय मंत्र जप कर आहुति दें।

5- जिस माह प्रत्येक दिन बिना कुछ सोचे, बिना कुछ बोले, नेत्र बन्द कर, बिना हिले डुले शांत होकर आधे घण्टे का ध्यान कर लेंगी। उसी दिन वशीकरण विद्या सिद्ध हो जाएगी, आप ज्ञानी बन जाएंगी। फ़िर आप जिसे चाहो उसे अपने हिसाब से कार्य करवा लो। पूरा संसार आपके वश में हो जाएगा। सब आपके ज्ञान के आगे नतमस्तक हो जाएंगे।

*पूर्णिमा के चाँद का ध्यान में निम्नलिखित वीडियो से सीखें:-*
https://youtu.be/umAfVbaGWhw

आपका दिन शुभ हो।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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