Tuesday, 4 September 2018

प्रश्न - *बच्चों के मुंडन सँस्कार क्यों करवाते हैं? इसके पीछे का आध्यात्मिक वैज्ञानिक कारण बतायें।*

प्रश्न - *बच्चों के मुंडन सँस्कार क्यों करवाते हैं? इसके पीछे का आध्यात्मिक वैज्ञानिक कारण बतायें।*

उत्तर - बच्चों के मुंडन के सँस्कार को *चूड़ाकर्म सँस्कार* भी कहते हैं।

*आध्यात्मिक उद्देश्य*-
स्थूल दृष्टि से प्रसव के साथ सिर पर आए वालों को हटाकर खोपड़ी की सफाई करना आवश्यक होता है, *सूक्ष्म दृष्टि से शिशु के व्यवस्थित बौद्धिक विकास, कुविचारों के उच्छेदन, श्रेष्ठ विचारों के विकास के लिए जागरूकता जरूरी है । स्थूल- सूक्ष्म उद्देश्यों को एक साथ सँजोकर इस संस्कार का स्वरूप निर्धारित किया गया है ।*। इसी के साथ शिखा स्थापना का संकल्प भी जुड़ा रहता है ।। *हम श्रेष्ठ ऋषि संस्कृति के अनुयायी हैं, हमें श्रेष्ठत्तम आदर्शों के लिए ही निष्ठावान तथा प्रयासरत रहना है, इस संकल्प को जाग्रत रखने के लिए प्रतीक रूप में शरीर के सर्वोच्च भाग सिर पर संस्कृति की ध्वजा के रूप में शिखा की स्थापना की जाती है ।।*

*वैज्ञानिक उद्देश्य* - इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि जब बच्चा मां के गर्भ में होता है तो उसके सिर के बालों में बहुत से कीटाणु, बैक्टीरिया और जीवाणु लगे होते हैं। यह हानिकारक तत्व नकारत्मकता और उद्विग्नता को बच्चे में बढ़ाते हैं। यह साधारण तरह से धोने से नहीं निकल सकते इसलिए एक बार बच्चे का मुंडन जरूरी होता है। अत: जन्म के 1 साल के भीतर बच्चे का मुंडन कराया जाता है।

*संस्कार प्रयोजन* - इस संस्कार में शिशु के सिर के बाल पहली बार उतारे जाते हैं ।। लौकिक रीति यह प्रचलित है कि मुण्डन, बालक की आयु एक वर्ष की होने तक करा लें अथवा दो वर्ष पूरा होने पर तीसरे वर्ष में कराएँ ।। यह समारोह इसलिए महत्त्वपूर्ण है कि मस्तिष्कीय विकास एवं सुरक्षा पर इस समय विशेष विचार किया जाता है और वह कार्यक्रम शिशु पोषण में सम्मिलित किया जाता है, जिससे उसका मानसिक विकास व्यवस्थित रूप से आरम्भ हो जाए, चौरासी लाख योनियों में भ्रमण करते रहने के कारण मनुष्य कितने ही ऐसे पाशविक संस्कार, विचार, मनोभाव अपने भीतर धारण किये रहता है, जो मानव जीवन में अनुपयुक्त एवं अवांछनीय होते हैं ।।

*किस स्थान पर मुंडन करवाना चाहिए?* - *सर्वोत्तम स्थान वह है* जहां देवस्थान पर नित्य कम से कम 5 कुंडीय यज्ञ होता हो, कम से कम 24,000 गायत्री मन्त्रों का नित्य जप होता हो, ऐसे जागृत जीवंत जागृत तीर्थ में मुंडन संस्कार करवाना चाहिए। जिससे उस स्थान के आध्यात्मिक ऊर्जा का प्राण प्रवाह बालक में प्रवेश कर सके।उदाहरण - शान्तिकुंज हरिद्वार, गायत्री तपोभूमि मथुरा, चार धाम,  बड़े बड़े तीर्थ स्थल

*मध्यम स्थान*- जिस देवस्थान पर नित्य एक कुंडीय यज्ञ, नित्य कम से कम 2400 गायत्री मंत्र जप, नित्य मंन्त्र लेखन इत्यादि विधि से तीर्थ जागृत जीवंत हो वहां भी मुंडन करवाया जाता है।
उदाहरण -क्षेत्रो में स्थापित गायत्री शक्तिपीठ, चेतना केंद्र

 ऐसे देवालय जहां वर्तमान में भले यज्ञ नित्य न हो रहा हो, लेकिन वह स्थल किसी ऋषि द्वारा तप से सिद्ध कर बनाया हो। ऐसे स्थल पर भी करवाया जा सकता है। उदाहरण - कोई प्राचीन मन्दिर

रूढ़िवादी परम्परा के अनुसार घर पर मुंडन संस्कार कभी नहीं करवाना चाहिए। घर पर उत्तम विचारो और जीवंत प्राण परवाह बच्चे के प्रथम मुंडन के वक्त मिलना असम्भव होता है।

मुंडन संस्कार को विस्तार से समझने और मुंडन संस्कार की विधि जानने के लिए पढें पुस्तक -  *चूड़ाकर्म सँस्कार*

http://literature.awgp.org/book/sanskar_parampara/v1.4

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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