प्रश्न - *यदि कोई किसी व्यक्ति या स्त्री को चरित्रहीन बताये, तो यह कैसे समझें कि यह सच है या साज़िश है? ऐसी परिस्थिति में उस व्यक्ति या स्त्री को क्या करना चाहिए?*
उत्तर - आत्मीय भाई, आरोप सच्चे भी होते हैं और झूठे भी, 50-50 गुंजाइश होती है।
*उदाहरण* :- किसी भी स्त्री को यदि तलाक़ देना हो तो उस पर चरित्रहीनता का आरोप लगा दो, इसी तरह पुरुष को तलाक़ देना हो तो उस पर चरित्रहीनता का आरोप लगा दो काम बन जाता है। अब भले ही स्त्री या पुरुष सज्जन ही क्यों न हो और आरोप लगाने वाला दुर्जन ही क्यों न हो।
*भगवान ने इंसान के मुंह मे ढक्कन नहीं लगाया है, कोई किसी को कुछ भी बोल सकता है*, निंदा और गलत बातों की अफवाह हज़ार गुना तेजी से अच्छी बातों और प्रसंशा से फैलती है। *सत्य घटना का उदाहरण*- सरकारी लाइब्रेरी में 4 लाख का इन्वेस्ट करके लाइब्रेरी तैयार हुई, उसकी रिपोर्ट और न्यूज नन्ही सी छपी। वहीं एक बार कुछ लड़कों की लड़ाई के कारण दो कुर्सी टूटी और एक बड़ी सी न्यूज़ पेपर में छपी। कितने विद्यार्थियों ने भारत माता की जय बोला इसकी न्यूज नहीं छपती, न्यूज तो गलत बोलने वाले की छपती है।
न्यूज रिपोर्टर को पढ़ाया जाता है- *कुत्ता इंसान को काटे तो ये कोई न्यूज़ नहीं है, अगर इंसान कुत्ते को काटे तो यह न्यूज़ है। धर्म संस्थाएं अच्छा काम कर रही है तो यह न्यूज़ नहीं है, किसी धर्म संस्था ने बुरा कार्य किया तो यह न्यूज की विषयवस्तु है।*
कोई न्यूज द्वारा यह सिद्ध कर नहीं किया जा सकता, कि सच्चाई कितनी है? ख़बर झूठी कितनी है। झूठी गवाही भी काम करती है। न्यूज़ एजेंसी पर आप केस भी नहीं कर सकते, क्योंकि वो बोल देंगी कि कुछ सूत्रों से यह खबर मिली थी।
इसी तरह किसी भी *धर्म क्षेत्र के कार्यकर्ता को उसके कार्य से हटाना है, सबसे आसान उपाय चरित्रहीन होने का आरोप लगा दो। स्वतः बदनामी के डर से पीछे हट जाएगा।*
*डाकू और वेश्या पर कोई चरित्रहीन होने का आरोप नहीं लगाता, और न हीं उन्हें अग्नि परीक्षा देने की जरूरत पड़ती है। काले कपड़े में दाग नहीं दिखता।*
*सती स्त्री और सज्जन पुरुषों पर ही ऐसे आरोपों द्वारा साजिश की जाती है। सती और सज्जन पुरूष को ही अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ता है। उज्ज्वल सफ़ेद वस्त्र में ही दाग लगाना सम्भव होता है।*
अब आपको कोई किसी के बारे में उल्टा सीधा आरोप लगा कर बताता है, तो पहले बताने वाले को गौर से देखो कि क्या वो प्रमाणिक है। यदि नहीं तो इग्नोर करो।
यदि मान लो बताने वाला प्रमाणिक व्यक्ति है, तो भी उससे पूंछों कोई सबूत है? बिना सबूत के उसकी बात को इग्नोर करो। केवल तथ्य, तर्क और प्रमाण पर ही किसी को दोषी मानो। धोबी के कहने पर सती सीता पर आरोप मत स्वीकारो।
आजकल मोबाइल, इंटरनेट का जमाना है, वीडियो ऑडियो रिकॉर्ड आसानी से सबूत के तौर पे उपयोग किया जा सकता है।
यदि मान लो, *किसी सज्जन व्यक्ति पर आरोप लगता है। तो उसे निर्भय होकर उसका सामना करना चाहिए। सज्जन व्यक्ति का दृढ़ विश्वास और निर्विकार मन इस लड़ाई को लड़ने के लिए काफी है, क्योंकि जहाँ धर्म है वहां परमात्मा स्वयं विराजमान होता है। स्वयं के लिए सवा लाख गायत्री मंत्र का अनुष्ठान कर लेना चाहिए, जिससे यदि कोई प्रारब्धवश पिछले जन्म की दुश्मनी का बदला ले रहा हो। तो प्रारब्ध कट जाए और दुश्मनी समाप्त हो जाये*। विरोधी शांत हो जाये। यदि पता चल जाये आरोप लगाने वाले का नाम, उस पर मानहानि का मुकद्दमा दायर कर दें।
*सबसे बड़ा रोग-क्या कहेंगे लोग, इसकी चिंता न करते हुए। दृढ़ता से ठंडे दिमाग़ से इसका समाधान ढूंढना चाहिए। धर्म क्षेत्र में कार्य करते रहना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए।*
*अपनी अपनी प्रवृत्ति के अनुसार, कुछ लोग दिया का प्रकाश देखते हैं प्रशंशा करते है, और कुछ लोग दिया के नीचे का अंधकार देखते है और दिया की बुराई करते हुए बोलते है अपने नीचे का अंधकार तो मिटा ही न सका, बड़ा आया दुनियाँ को रौशन करने...*
🔥 *दिया किसी की परवाह नहीं करता, क्या कहेंगे लोग वो इस रोग को नहीं पालता। बस वो जलता रहता है, उसका प्रकाश स्वयं उसका परिचय देता है। यदि आप सही है धर्म पथ पर है तो युगनिर्माण में अपनी भूमिका निभाइये, आपके कार्य का प्रकाश स्वयं आपका परिचय देंगे। दिया बनकर अंधकार से लड़िये। अपने कर्तव्य पथ पर अनवरत चलिए। भगवान अंतर्यामी है सब देख रहा है।*
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय भाई, आरोप सच्चे भी होते हैं और झूठे भी, 50-50 गुंजाइश होती है।
*उदाहरण* :- किसी भी स्त्री को यदि तलाक़ देना हो तो उस पर चरित्रहीनता का आरोप लगा दो, इसी तरह पुरुष को तलाक़ देना हो तो उस पर चरित्रहीनता का आरोप लगा दो काम बन जाता है। अब भले ही स्त्री या पुरुष सज्जन ही क्यों न हो और आरोप लगाने वाला दुर्जन ही क्यों न हो।
*भगवान ने इंसान के मुंह मे ढक्कन नहीं लगाया है, कोई किसी को कुछ भी बोल सकता है*, निंदा और गलत बातों की अफवाह हज़ार गुना तेजी से अच्छी बातों और प्रसंशा से फैलती है। *सत्य घटना का उदाहरण*- सरकारी लाइब्रेरी में 4 लाख का इन्वेस्ट करके लाइब्रेरी तैयार हुई, उसकी रिपोर्ट और न्यूज नन्ही सी छपी। वहीं एक बार कुछ लड़कों की लड़ाई के कारण दो कुर्सी टूटी और एक बड़ी सी न्यूज़ पेपर में छपी। कितने विद्यार्थियों ने भारत माता की जय बोला इसकी न्यूज नहीं छपती, न्यूज तो गलत बोलने वाले की छपती है।
न्यूज रिपोर्टर को पढ़ाया जाता है- *कुत्ता इंसान को काटे तो ये कोई न्यूज़ नहीं है, अगर इंसान कुत्ते को काटे तो यह न्यूज़ है। धर्म संस्थाएं अच्छा काम कर रही है तो यह न्यूज़ नहीं है, किसी धर्म संस्था ने बुरा कार्य किया तो यह न्यूज की विषयवस्तु है।*
कोई न्यूज द्वारा यह सिद्ध कर नहीं किया जा सकता, कि सच्चाई कितनी है? ख़बर झूठी कितनी है। झूठी गवाही भी काम करती है। न्यूज़ एजेंसी पर आप केस भी नहीं कर सकते, क्योंकि वो बोल देंगी कि कुछ सूत्रों से यह खबर मिली थी।
इसी तरह किसी भी *धर्म क्षेत्र के कार्यकर्ता को उसके कार्य से हटाना है, सबसे आसान उपाय चरित्रहीन होने का आरोप लगा दो। स्वतः बदनामी के डर से पीछे हट जाएगा।*
*डाकू और वेश्या पर कोई चरित्रहीन होने का आरोप नहीं लगाता, और न हीं उन्हें अग्नि परीक्षा देने की जरूरत पड़ती है। काले कपड़े में दाग नहीं दिखता।*
*सती स्त्री और सज्जन पुरुषों पर ही ऐसे आरोपों द्वारा साजिश की जाती है। सती और सज्जन पुरूष को ही अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ता है। उज्ज्वल सफ़ेद वस्त्र में ही दाग लगाना सम्भव होता है।*
अब आपको कोई किसी के बारे में उल्टा सीधा आरोप लगा कर बताता है, तो पहले बताने वाले को गौर से देखो कि क्या वो प्रमाणिक है। यदि नहीं तो इग्नोर करो।
यदि मान लो बताने वाला प्रमाणिक व्यक्ति है, तो भी उससे पूंछों कोई सबूत है? बिना सबूत के उसकी बात को इग्नोर करो। केवल तथ्य, तर्क और प्रमाण पर ही किसी को दोषी मानो। धोबी के कहने पर सती सीता पर आरोप मत स्वीकारो।
आजकल मोबाइल, इंटरनेट का जमाना है, वीडियो ऑडियो रिकॉर्ड आसानी से सबूत के तौर पे उपयोग किया जा सकता है।
यदि मान लो, *किसी सज्जन व्यक्ति पर आरोप लगता है। तो उसे निर्भय होकर उसका सामना करना चाहिए। सज्जन व्यक्ति का दृढ़ विश्वास और निर्विकार मन इस लड़ाई को लड़ने के लिए काफी है, क्योंकि जहाँ धर्म है वहां परमात्मा स्वयं विराजमान होता है। स्वयं के लिए सवा लाख गायत्री मंत्र का अनुष्ठान कर लेना चाहिए, जिससे यदि कोई प्रारब्धवश पिछले जन्म की दुश्मनी का बदला ले रहा हो। तो प्रारब्ध कट जाए और दुश्मनी समाप्त हो जाये*। विरोधी शांत हो जाये। यदि पता चल जाये आरोप लगाने वाले का नाम, उस पर मानहानि का मुकद्दमा दायर कर दें।
*सबसे बड़ा रोग-क्या कहेंगे लोग, इसकी चिंता न करते हुए। दृढ़ता से ठंडे दिमाग़ से इसका समाधान ढूंढना चाहिए। धर्म क्षेत्र में कार्य करते रहना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए।*
*अपनी अपनी प्रवृत्ति के अनुसार, कुछ लोग दिया का प्रकाश देखते हैं प्रशंशा करते है, और कुछ लोग दिया के नीचे का अंधकार देखते है और दिया की बुराई करते हुए बोलते है अपने नीचे का अंधकार तो मिटा ही न सका, बड़ा आया दुनियाँ को रौशन करने...*
🔥 *दिया किसी की परवाह नहीं करता, क्या कहेंगे लोग वो इस रोग को नहीं पालता। बस वो जलता रहता है, उसका प्रकाश स्वयं उसका परिचय देता है। यदि आप सही है धर्म पथ पर है तो युगनिर्माण में अपनी भूमिका निभाइये, आपके कार्य का प्रकाश स्वयं आपका परिचय देंगे। दिया बनकर अंधकार से लड़िये। अपने कर्तव्य पथ पर अनवरत चलिए। भगवान अंतर्यामी है सब देख रहा है।*
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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