Monday 24 September 2018

मन को सुकून देने के लिए आप क्या चुन रहे हैं? ध्यान या नशा?

*मन को सुकून देने के लिए आप क्या चुन रहे हैं? ध्यान या नशा?*

यदि जीवन की गाड़ी गड्ढे में फंसी है, और समस्या आ पड़ी है...

तो नशा करके अज्ञानी पशु बनो या राम नाम जपकर ध्यानी, दोनों ही केस में कुछ क्षण के लिए मन समस्या से हट जाएगा और मन भारमुक्त होगा, और शांति मिलेगी।

लेकिन नशे से बाहर आओ या ध्यान से बाहर आओ, दोनों ही केस में गाड़ी गड्ढे में फंसी ही मिलेगी। समस्या को कोई फर्क नहीं पड़ता की तुम ध्यान में हो या नशे में हो...

लेकिन यदि गाड़ी गड्ढे में फंसी है तो स्वयं के पुरुषार्थ से ही बाहर निकलेगी।

 राम नाम जप और ध्यान आपके पुरुषार्थ में और मनोबल में वृद्धि करेगा, दिमाग़ चलेगा और गाड़ी बाहर निकालने में शांत मन मदद करेगा। क्योंकि ध्यान से दिमाग और हृदय को ज्यादा ऑक्सीज़न सप्लाई होता है, सकारात्मक ऊर्जा शरीर और मन को अतिरिक्त बल देता है।

और नशा आपके पुरुषार्थ और मनोबल को कमज़ोर करेगा। नशा उतरने पर हैंगओवर होता है। जिसके कारण शरीर सुस्त और दिमाग़ अस्तव्यस्त होता है। ऐसी स्थिति में गाड़ी तो गड्ढे में पहले से ही थी नशा करने वाला मनुष्य भी उस गड्ढे में गिर जाता है। दिन ब दिन धँसता चला जाता है।

नशे से ज्यादा आनन्द ध्यान में है, बस फर्क इतना है नशा जल्दी असर करता है, मज़ा आता है लेकिन नशा उतरने पर हैंगओवर और सज़ा मिलता है। और ध्यान देर से असर करता है, ध्यान से बाहर आने पर भी मन आनन्दित रहता है। दूरगामी फ़ायदा तो ध्यान ही देता है। आनन्द और परमानन्द मिलता है।

अखिलविश्व गायत्री परिवार आप सबका आह्वाहन करता है, कि अपने अपने क्षेत्र के यूवाओ को नशामुक्त बनाएं। अपने अपने क्षेत्र में इस हेतु जागरूकता अभियान चलाए। युवाओं को योग-प्राणायाम और ध्यान अवश्य सिखाएं।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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