Thursday, 6 September 2018

प्रश्न - *दी, मेरे पिता साधना करते है, धार्मिक साहित्य भी पढ़ते हैं। बहुत अच्छे भी है। लेकिन स्त्री जाति को सम्मान नहीं देते, मेरी माता हो बहन उन को देखते ही न जाने क्या उन्हें हो जाता है, माता की छोटी सी गलती में भी उन्हें पीट देते हैं

प्रश्न - *दी, मेरे पिता साधना करते है, धार्मिक साहित्य भी पढ़ते हैं। बहुत अच्छे भी है। लेकिन स्त्री जाति को सम्मान नहीं देते, मेरी माता हो बहन उन को देखते ही न जाने क्या उन्हें हो जाता है, माता की छोटी सी गलती में भी उन्हें पीट देते हैं और बहन पर गुस्सा बहुत करते है। चटनी में नमक अगर कम डला हो तो भी पीटना तो है ही। हम दोनों भाई वही गलती करें तो हमे कुछ ख़ास डांट नहीं पड़ती। समझ नहीं आता इतना पढ़ा लिखा मेरा पिता ऐसी ओछी हरकत क्यों करते हैं? मेरी माता भी पोस्ट ग्रेजुएट है। और बहन भी पढ़ रही है। हम सब उनके व्यवहार से दुःखी है, मार्गदर्शन करें...*

उत्तर - आत्मीय भाई, आपके पिता उत्तर भारत के हैं, जहां स्त्रियों को पीटना और स्वयं को पुरुष होने के नाते श्रेष्ठ समझना आम बात है।

शिक्षा अधिक होने पर भी माता-पिता द्वारा गढ़ी कुसंस्कारी प्रवृत्ति और रूढ़िवादी परम्परा आसानी से नहीं बदलती और साधना अधिक करने पर भी कुंसंस्कारी भावनाएं आसानी से नहीं मिटती।

सब चाहते हैं भगत सिंह पैदा हो, लेकिन पड़ोसी के घर। इसी तरह 21 वी सदी में नारी का उत्थान और उसे बराबर का सम्मान मिले लेकिन पड़ोसी के घर मे...। कन्या भ्रूण हत्या बन्द हो वो भी पड़ोसी के घर मे हो और युग परिवर्तन के लिए भी पड़ोसी सुधरे...। पड़ोसी दहेज प्रथा बन्द करे इत्यादि सबकुछ पड़ोसी करे...।

हम तो केवल पुस्तक पढ़कर ज्ञान दूसरों को बांटेंगे, ख़ुद कुछ नहीं करेंगे। हमारे घर मे बेटा ही पैदा होना चाहिए, वो भी जॉब-व्यवसाय करके कमाए, पत्नी के सर पर घूंघट जरूर होना चाहिए, चूल्हा-चौका में उसकी जिंदगी सिमटी रहे, हमसे पहले भोजन नहीं कर सकती। हमे तो अपनी ही बिरादरी में शादी करनी है। अब लोग क्या कहेंगे, और रिश्तेदारी निभाने के लिए ख़र्चीली शादी भी करनी है।

परमपूज्य गुरुदेव कहते हैं- *हम बदलेंगे युग बदलेगा। हम सुधरेंगे युग सुधरेगा। अपना सुधार ही संसार की सबसे बड़ी सेवा है।*

आपके पिताजी जैसे शिष्य स्लोगन में हम की जगह तुम या पड़ोसी पढ़ते है, - *तुम सुधरोगे तो युग सुधरेगा। तुम बदलोगे तो युग बदलेगा। तुम्हारा सुधार होगा तो बड़ी सेवा होगी।* हम जैसे हैं वैसे ठीक और हम अपनी मनःस्थिति स्त्री जाति के लिए नहीं बदलेंगे।

वो गुरु को सुनाते हैं लेकिन गुरु की नहीं सुनते। ऐसे लोग जिद्दी बहुत होते हैं, और अपनी सड़ी गली मानसिकता को सत्य ठहराते हैं। गायत्री-दुर्गा-लक्ष्मी-सरस्वती माताओं की स्त्री रूप में पूजा कर सकते हैं, लेकिन उन्ही स्त्रियों वाले रूप को सम्मान नहीं देते।

अतः प्यार से पहले समझाइए और *यत्र नारयन्ते पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता(वांग्मय 47)* और *नारियों को गायत्री अधिकार* पुस्तक पढ़ने को दीजिये। और प्यार से और वर्तमान नारियों की सफलता का उदाहरण देकर समझाइए। स्त्री के महत्त्वपूर्ण योगदान को समझाइए।

*यदि फिर भी चरित्र चिंतन व्यवहार में फ़र्क़ न आये तो घर मे असहयोग आंदोलन चला दीजिये। माता और बहन को बोलिये भोजन बनाना बन्द कर दें, और उनसे बात करना बंद कर दें। उनका कोई भी कार्य न करे। तुम लोग भी इस असहयोग आंदोलन का हिस्सा बनो। घर से सभी देवियों की फोटो एक पॉलीथिन में पैक करके पूजन स्थल से हटा दो। गांधी जी का अहिंसा आंदोलन करो, एक गाल में चांटा मारे तो दूसरा आगे कर दो। तुम लोग हिंसा मत करना उन्हें भड़कने देना। तुम सब एकजुट होकर बोलो, स्त्री को सम्मान दो अन्यथा स्त्री का कोई सहयोग नहीं मिलेगा, स्त्री मेरी मां है तो उसका अपमान हम दोनों भाई नहीं सहेंगे। एक सप्ताह में उनके दिमाग़ में परिवर्तन आ जायेगा, सुधर जाएंगे।*

अगर घी सीधी उंगली से न निकले तो उंगली टेढ़ी करनी पड़ती है। यदि कोई समझाने पर न सुधरे तो घर मे भी आंदोलन करना पड़ता है।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

No comments:

Post a Comment

डायबिटीज घरेलू उपाय से 6 महीने में ठीक करें - पनीर फूल(पनीर डोडा)

 सभी चिकित्सक, योग करवाने वाले भाइयों बहनों, आपसे अनुरोध है कि आप मेरे डायबटीज और ब्लडप्रेशर ठीक करने वाले रिसर्च में सहयोग करें। निम्नलिखित...