*छठ महापर्व - सूर्योपासना का महापर्व* - *तत्सवितुर्वरेण्यं-सूर्य की सविता शक्ति का पूजन*
(11 नवम्बर से 14 नवम्बर 2018)
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लोक आस्था के महापर्व के रूप में प्रसिद्ध महापर्व छठ पूजा 2018 दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है. पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में छठ पूजा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. ये त्योहार साल में दो बार आता है. इस व्रत को पारिवारिक सुख और समृद्धि के लिए किया जाता है. ये त्योहार चार दिन तक मनाया जाता है. इस दौरान महिलाएं नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देती हैं. इस साल छठ पूजा 13 नवम्बर 2018 को है।
👉🏻 *छठ की शुरुआत* - ऐसी मान्यता है कि जब पांडव जुए में अपना सारा राज-पाट हार गए, तब द्रौपदी बहुत दुःखी थीं। तब श्रीकृष्ण भगवान ने उन्हें सूर्योपासना गायत्री मन्त्र अनुष्ठान के साथ करने की सलाह दी। इसी सूर्य उपासना से उन्हें अक्षय भोजन पात्र मिला जिसमे भोजन कभी कम नहीं पड़ता था। सूर्य की सविता शक्ति गायत्री को ही छठी मईया भी कहा जाता है। गायत्री कल्पवृक्ष है, इससे असम्भव भी सम्भव है। सर्वप्रथम दौपदी ने छठ का व्रत किया, तब से मान्यता है कि व्रत के साथ गायत्री अनुष्ठान और सूर्योपासना करने से दौपद्री की तरह सभी व्रती की मनोकामना पूरी हो होती है, तभी से इस व्रत को करने प्रथा चली आ रही है।
👉🏻 *छठ पूजा विधि*
छठ पूजा 4 दिनों तक की जाती है, इस व्रत की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को और कार्तिक शुक्ल सप्तमी तक चलता है। इस दौरान व्रत करने वाले लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं, इस दौरान वे अन्न नहीं ग्रहण करते है, जिससे प्राणवायु अन्न पचाने में ख़र्च न हो और प्राण ऊर्जा ज्यादा से ज्यादा शरीर के 24 शक्ति केंद्रों तक पहुंचे और उन्हें जागृत कर शक्ति का संचार करे। जल प्रत्येक एक एक घण्टे में पीते रहना चाहिए जिससे पेट की सफ़ाई हो, और आंते दूषित और पेट में जमा हुआ अन्न और चर्बी उपयोग में न ले सकें। जो लोग जल नहीं पीते उनकी आंते उनकी शरीर की चर्बी पचाते हैं, और पेट में संचित मल और अपच भोजन से शक्ति लेते है, उससे प्राणवायु शक्ति केन्द्रो तक नहीं पहुंचती।
यदि जलाहार में असुविधा हो रही हो तो एक या दो वक़्त रसाहार अर्थात् फ़ल के जूस ले लेवें। कोई तलाभुना या ठोस आहार लेना वर्जित है।
👉🏻 *छठ महापर्व पर अनुष्ठान मन्त्र एवं विधि*
व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य के पालन के साथ भूमि पर शयन अनिवार्य है। कम से कम सोयें और उगते हुए सूर्य का ध्यान करें।
दिन में तीन बार पूजन होगा, पहला पूजन सूर्योदय के समय, सूर्य के समक्ष जप करने के बाद अर्ध्य देना होगा।
दूसरा समय दोपहर का, गायत्री जप के बाद तुलसी को अर्घ्य देना होगा।
शाम के गायत्री जप के बाद नित्य शाम को पांच दीपकों के साथ दीपयज्ञ होगा।
इन चार दिनों में 108 माला गायत्री जप की पूरी करनी होती है। अर्थात् 27 माला रोज जप करना होगा। इसे अपनी सुविधानुसार दिनभर में जप लें।
पूजन के वक़्त पीला कपड़ा पहनना अनिवार्य है, उपवस्त्र गायत्री मन्त्र का दुपट्टा ओढ़े। आसन में ऊनी कम्बल या शॉल उपयोग में लें।
👉🏻सूर्योपासना अनुष्ठान मन्त्र - *ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्*
👉🏻दीपदान के समय महामृत्युंजय मन्त्र-
*ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्*
सूर्य गायत्री मन्त्र - *ॐ भाष्कराय विद्महे, दिवाकराय धीमहि, तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्*
👉🏻 *सूर्य अर्घ्य देने की विधि*
यदि घर के आसपास नदी तलाब या कोई जलाशय हो तो पानी में कमर तक पानी में खड़े होकर अर्घ्य दें, यदि नहीं है तो घर की छत पर या ऐसी जगह अर्घ्य दें जहाँ से सूर्य दिखें। सूर्योदय के प्रथम किरण में अर्घ्य देना सबसे उत्तम माना गया है।सर्वप्रथम प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व नित्य-क्रिया से निवृत्त्य होकर स्नान करें।उसके बाद उगते हुए सूर्य के सामने आसन लगाए।पुनः आसन पर खड़े होकर तांबे के पात्र में पवित्र जल लें।रक्तचंदन आदि से युक्त लाल पुष्प, चावल आदि तांबे के पात्र में रखे जल या हाथ की अंजुलि से तीन बार जल में ही मंत्र पढ़ते हुए जल अर्पण करना चाहिए।जैसे ही पूर्व दिशा में सूर्योदय दिखाई दे आप दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़कर इस तरह जल अर्पण करे की सूर्य तथा सूर्य की किरण जल की धार से दिखाई दें।ध्यान रखें जल अर्पण करते समय जो जल सूर्यदेव को अर्पण कर रहें है वह जल पैरों को स्पर्श न करे।सम्भव हो तो आप एक पात्र रख लीजिये ताकि जो जल आप अर्पण कर रहे है उसका स्पर्श आपके पैर से न हो पात्र में जमा जल को पुनः किसी पौधे में डाल दे।यदि सूर्य भगवान दिखाई नहीं दे रहे है तो कोई बात नहीं आप प्रतीक रूप में पूर्वाभिमुख होकर किसी ऐसे स्थान पर ही जल दे जो स्थान शुद्ध और पवित्र हो।जो रास्ता आने जाने का हो भूलकर भी वैसे स्थान पर अर्घ्य (जल अर्पण) नहीं करना चाहिए।
👉🏻 *सूर्य अर्घ्य मन्त्र* -
*‘ॐ सूर्य देव सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।*
*ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय। मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा :।।ऊँ सूर्याय नमः।ऊँ घृणि सूर्याय नमः।*
*‘ऊं भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात।*
👉🏻 *छठ पूजा 2018 का प्रसाद*
छठ पूजा में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं. इस दौरान छठी मैया को लड्डू, खीर, ठेकुआ, फल और कष्ठा जैसे व्यंजन के भोग लगाए जाते हैं. छठ पर कई प्रकार के पारंपरिक मिठाई भी बनाई जाती हैं. प्रसाद में लहसुन और प्याज का उपयोग नहीं किया जाता है.
*छठ पूजा व्रत आरंभ*
नहा खा – 11 नवम्बर 2018
खरना । लोहंडा - 12 नवम्बर 2018
सांझा अर्घ्य- 13 नवम्बर 2018
सूर्योदय अर्घ्य - 14 नवम्बर 2018
👉🏻 *छठ पूजा 2018 : शुभ पूजन मुहूर्त*
*13 नवंबर*
*छठ पूजा के दिन सूर्योदय* – 06:41
*छठ पूजा के दिन सूर्यास्त* – 17:28
*षष्ठी तिथि आरंभ* – 01:50 (13 नवंबर 2018)
*षष्ठी तिथि समाप्त* – 04:22 (14 नवंबर 2018)
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इण्डिया यूथ एसोसिएशन
(11 नवम्बर से 14 नवम्बर 2018)
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लोक आस्था के महापर्व के रूप में प्रसिद्ध महापर्व छठ पूजा 2018 दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है. पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में छठ पूजा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. ये त्योहार साल में दो बार आता है. इस व्रत को पारिवारिक सुख और समृद्धि के लिए किया जाता है. ये त्योहार चार दिन तक मनाया जाता है. इस दौरान महिलाएं नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देती हैं. इस साल छठ पूजा 13 नवम्बर 2018 को है।
👉🏻 *छठ की शुरुआत* - ऐसी मान्यता है कि जब पांडव जुए में अपना सारा राज-पाट हार गए, तब द्रौपदी बहुत दुःखी थीं। तब श्रीकृष्ण भगवान ने उन्हें सूर्योपासना गायत्री मन्त्र अनुष्ठान के साथ करने की सलाह दी। इसी सूर्य उपासना से उन्हें अक्षय भोजन पात्र मिला जिसमे भोजन कभी कम नहीं पड़ता था। सूर्य की सविता शक्ति गायत्री को ही छठी मईया भी कहा जाता है। गायत्री कल्पवृक्ष है, इससे असम्भव भी सम्भव है। सर्वप्रथम दौपदी ने छठ का व्रत किया, तब से मान्यता है कि व्रत के साथ गायत्री अनुष्ठान और सूर्योपासना करने से दौपद्री की तरह सभी व्रती की मनोकामना पूरी हो होती है, तभी से इस व्रत को करने प्रथा चली आ रही है।
👉🏻 *छठ पूजा विधि*
छठ पूजा 4 दिनों तक की जाती है, इस व्रत की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को और कार्तिक शुक्ल सप्तमी तक चलता है। इस दौरान व्रत करने वाले लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं, इस दौरान वे अन्न नहीं ग्रहण करते है, जिससे प्राणवायु अन्न पचाने में ख़र्च न हो और प्राण ऊर्जा ज्यादा से ज्यादा शरीर के 24 शक्ति केंद्रों तक पहुंचे और उन्हें जागृत कर शक्ति का संचार करे। जल प्रत्येक एक एक घण्टे में पीते रहना चाहिए जिससे पेट की सफ़ाई हो, और आंते दूषित और पेट में जमा हुआ अन्न और चर्बी उपयोग में न ले सकें। जो लोग जल नहीं पीते उनकी आंते उनकी शरीर की चर्बी पचाते हैं, और पेट में संचित मल और अपच भोजन से शक्ति लेते है, उससे प्राणवायु शक्ति केन्द्रो तक नहीं पहुंचती।
यदि जलाहार में असुविधा हो रही हो तो एक या दो वक़्त रसाहार अर्थात् फ़ल के जूस ले लेवें। कोई तलाभुना या ठोस आहार लेना वर्जित है।
👉🏻 *छठ महापर्व पर अनुष्ठान मन्त्र एवं विधि*
व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य के पालन के साथ भूमि पर शयन अनिवार्य है। कम से कम सोयें और उगते हुए सूर्य का ध्यान करें।
दिन में तीन बार पूजन होगा, पहला पूजन सूर्योदय के समय, सूर्य के समक्ष जप करने के बाद अर्ध्य देना होगा।
दूसरा समय दोपहर का, गायत्री जप के बाद तुलसी को अर्घ्य देना होगा।
शाम के गायत्री जप के बाद नित्य शाम को पांच दीपकों के साथ दीपयज्ञ होगा।
इन चार दिनों में 108 माला गायत्री जप की पूरी करनी होती है। अर्थात् 27 माला रोज जप करना होगा। इसे अपनी सुविधानुसार दिनभर में जप लें।
पूजन के वक़्त पीला कपड़ा पहनना अनिवार्य है, उपवस्त्र गायत्री मन्त्र का दुपट्टा ओढ़े। आसन में ऊनी कम्बल या शॉल उपयोग में लें।
👉🏻सूर्योपासना अनुष्ठान मन्त्र - *ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्*
👉🏻दीपदान के समय महामृत्युंजय मन्त्र-
*ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्*
सूर्य गायत्री मन्त्र - *ॐ भाष्कराय विद्महे, दिवाकराय धीमहि, तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्*
👉🏻 *सूर्य अर्घ्य देने की विधि*
यदि घर के आसपास नदी तलाब या कोई जलाशय हो तो पानी में कमर तक पानी में खड़े होकर अर्घ्य दें, यदि नहीं है तो घर की छत पर या ऐसी जगह अर्घ्य दें जहाँ से सूर्य दिखें। सूर्योदय के प्रथम किरण में अर्घ्य देना सबसे उत्तम माना गया है।सर्वप्रथम प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व नित्य-क्रिया से निवृत्त्य होकर स्नान करें।उसके बाद उगते हुए सूर्य के सामने आसन लगाए।पुनः आसन पर खड़े होकर तांबे के पात्र में पवित्र जल लें।रक्तचंदन आदि से युक्त लाल पुष्प, चावल आदि तांबे के पात्र में रखे जल या हाथ की अंजुलि से तीन बार जल में ही मंत्र पढ़ते हुए जल अर्पण करना चाहिए।जैसे ही पूर्व दिशा में सूर्योदय दिखाई दे आप दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़कर इस तरह जल अर्पण करे की सूर्य तथा सूर्य की किरण जल की धार से दिखाई दें।ध्यान रखें जल अर्पण करते समय जो जल सूर्यदेव को अर्पण कर रहें है वह जल पैरों को स्पर्श न करे।सम्भव हो तो आप एक पात्र रख लीजिये ताकि जो जल आप अर्पण कर रहे है उसका स्पर्श आपके पैर से न हो पात्र में जमा जल को पुनः किसी पौधे में डाल दे।यदि सूर्य भगवान दिखाई नहीं दे रहे है तो कोई बात नहीं आप प्रतीक रूप में पूर्वाभिमुख होकर किसी ऐसे स्थान पर ही जल दे जो स्थान शुद्ध और पवित्र हो।जो रास्ता आने जाने का हो भूलकर भी वैसे स्थान पर अर्घ्य (जल अर्पण) नहीं करना चाहिए।
👉🏻 *सूर्य अर्घ्य मन्त्र* -
*‘ॐ सूर्य देव सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।*
*ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय। मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा :।।ऊँ सूर्याय नमः।ऊँ घृणि सूर्याय नमः।*
*‘ऊं भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात।*
👉🏻 *छठ पूजा 2018 का प्रसाद*
छठ पूजा में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं. इस दौरान छठी मैया को लड्डू, खीर, ठेकुआ, फल और कष्ठा जैसे व्यंजन के भोग लगाए जाते हैं. छठ पर कई प्रकार के पारंपरिक मिठाई भी बनाई जाती हैं. प्रसाद में लहसुन और प्याज का उपयोग नहीं किया जाता है.
*छठ पूजा व्रत आरंभ*
नहा खा – 11 नवम्बर 2018
खरना । लोहंडा - 12 नवम्बर 2018
सांझा अर्घ्य- 13 नवम्बर 2018
सूर्योदय अर्घ्य - 14 नवम्बर 2018
👉🏻 *छठ पूजा 2018 : शुभ पूजन मुहूर्त*
*13 नवंबर*
*छठ पूजा के दिन सूर्योदय* – 06:41
*छठ पूजा के दिन सूर्यास्त* – 17:28
*षष्ठी तिथि आरंभ* – 01:50 (13 नवंबर 2018)
*षष्ठी तिथि समाप्त* – 04:22 (14 नवंबर 2018)
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इण्डिया यूथ एसोसिएशन
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