Friday, 12 October 2018

प्रश्न - *दी, मुझे युग निर्माण सत्संकल्प 9 और 10 वे सूत्र की व्याख्या बता दीजिए।*

प्रश्न - *दी, मुझे युग निर्माण सत्संकल्प 9 और 10 वे सूत्र की व्याख्या बता दीजिए।*

उत्तर- *युगनिर्माण सत्संकल्प के 9 और 10 सूत्र की व्याख्या:-*

#👉🏼9. *अनीति से प्राप्त सफलता की अपेक्षा नीति पर चलते हुए असफलता को शिरोधार्य करेंगे।*
We will prefer failure while adhering to basic moral principles to so-called success obtained through unfair and foul means.

अर्थात- नकल करके पास होंने की बजाय, फ़ेल होना पसन्द करेंगे। किसी भी अनुचित मार्ग से ज़्यादा कमाई करने की अपेक्षा कम कमाई भी स्वीकार करेंगे। अपनी मेहनत और सामर्थ्य से सही तरीके से सफल बनेंगे।

एक कहानी इस संदर्भ में सुनो- एक लड़का जो कि पढ़ाई में कमज़ोर था, पैसे देकर पास हो जाता था। इस कार्य मे मेडीकल कॉलेज के एक प्रोफेशर उनकी मदद करते। लड़का डॉक्टर चीटिंग/अनीति के बल पर बन गया। कई वर्ष बीत गए। एक बार प्रोफेशर साहब कहीं घूमने गए और एक्सीडेंट परिवार का हुआ। एक हॉस्पिटल ले गए पत्नी और बच्चे को...ऑपेरशन थियेटर से आकर एक डॉक्टर ने बताया कि वो बच्चे को बचा नहीं सके...जब प्रोफेशर साहब ने उस डॉक्टर को देखा तो उनके होश उड़ गए...अरे यह तो वही डॉक्टर है जिसे कुछ आता जाता नहीं था...मेरी गलत मदद से घूसखोरी से आज यह अयोग्य डॉक्टर  मेरे बच्चे सहित न जाने कितनों की मौत का कारण बन रहा है। मेरे बच्चे की मौत इस डॉक्टर ने नहीं बल्कि मैंने स्वयं की है। प्रोफेसर के हाथ पछतावे के अलावा कुछ न बचा।

इसी तरह दूसरी सत्य कहानी में एक नकली दवाई बनाने वाले की बेटी कॉलेज ट्रिप पर गयी थी, डिहाइड्रेट होने की वजह से बेहोश हो गयी। हॉस्पिटल में उसे जो दवा और ग्लूकोज़ ड्रिप चढ़ाई गयी वो उसी के पिता की कम्पनी की थी। उसकी मौत का कारण बनी।

*युगऋषि गुरुदेव कहते हैं*- यह संसार बोया-काटा सिद्धांत पर चलता है। जैसा करोगे वैसा भरोगे, जो बोओगे वही काटोगे।

👉🏼#10. *मनुष्य के मूल्यांकन की कसौटी उसकी सफलताओं , योग्यताओं एवं विभूतियों को नहीं , उसके सद्-विचारों और सत्कर्मों को मानेंगे।*
We will never evaluate a persons greatness by his worldly success, talents and riches but by his righteous conduct and thoughts.

अर्थात - मनुष्य का मूल्यांकन उसकी वर्तमान सफ़लता, योग्यता  और विभूति/प्रसिद्धि के आधार पर नहीं करनी चाहिए, बल्कि उसके मूल्यांकन की कसौटी उसका चरित्र, चिंतन, व्यवहार, सद्विचार और सत्कर्म होना चाहिए।

उदाहरण - दुनियाँ की नजर में एक सफ़ल और अमीर डॉक्टर यदि सेवा भावी न हुआ, मनुष्य की पीड़ा के प्रति संवेदनशील न हुआ, और मात्र एक व्यवसायी हुआ तो मानव मूल्यांकन की दृष्टि से उसे निम्न केटेगरी का माना जायेगा।

दूसरी तरफ दुनियाँ की नज़र में  उससे कम सफल और कम अमीर डॉक्टर, जिसके लिए चिकित्सा पीड़ित मानवता की सेवा का सौभाग्य हो, जो चिकित्सा को व्यवसाय नहीं बल्कि सेवा की तरह करता हो तो उसे मानव मूल्यांकन की दृष्टि से उच्च शिखर पर रखा जाएगा।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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