*जहां पर अनैतिकता है, वहां धर्म नहीं हो सकता। अतः उस अनैतिक पुरुष को महान नहीं कहा जा सकता।*
युगऋषि परमपूज्य गुरुदेव के दिये युगनिर्माण सत्संकल्प 9 के अनुसार - *अनीति से प्राप्त सफलता की अपेक्षा नीति पर चलते हुए असफलता को शिरोधार्य करेंगे।*
We will prefer failure while adhering to basic moral principles to so-called success obtained through unfair and foul means.
👉🏼हे रावण प्रशंषकों!
मुझे पता है आपका शोशल मीडिया गैंग रावण की प्रशंसा के क़सीदे भेज कर उन लोगों को बेवकूफ बनाने में सफ़लता हांसिल करेगा जिन्होंने श्रीमद भागवत गीता और रामायण कभी नहीं पढ़ी है। जो केवल सीरियल देख के बड़े हुए हैं।
मैं उन सभी भारतीयों को रावण से सम्बंधित कुछ तथ्य से अवगत करवाना चाहूंगी, जो इन तथ्यों से अनभिज्ञ है:-
1- रावण महान शिव भक्त था, और कई वरदान हासिल किए।
😞👉🏼 फिर उन वरदानों का दुरुपयोग करके आतंकवाद फैलाया और अपनी त्रिलोकविजयी आकांक्षा को पूरी करने के लिए कत्लेआम मचाया। यहां तक की अपनी बहन के पति को भी मार डाला और बहन सूर्पणखा को विधवा बना दिया है। *अब कितनी बहने रावण जैसा भाई चाहेंगी? और अपने भाई के हाथों स्वयं विधवा बनना चाहेंगी?*
जिस प्रकार जैसे एक बेस्ट इंस्टिट्यूट से टॉपर डॉक्टर बना व्यक्ति स्वार्थ में आकर अनैतिक तरीके से किडनी बेचने और मानव अंग तस्करी का डॉन बन जाये। उस कमाई को केवल अपने परिवार पर खर्च करे। तो क्या आप उसके टॉपर होने की प्रशंसा करेंगे? नहीं न...इसीलिए रावण महान भक्त होने पर भी प्रशंसा का पात्र नहीं है। *अब कितने लोग ऐसी भक्ति की प्रशंसा करेंगे जो केवल स्वार्थ पूर्ति और वरदानों के दुरुपयोग से जुड़ी हो?*
2- रावण राक्षस धर्म का पालक था, उसने पिता के धर्म का त्याग कर दिया और राजा बनते ही माता के राक्षस धर्म का पालक बना। राक्षस धर्म के विस्तार के लिए अपने पिता और दादा के समान धर्म पालन करने वाले उन्हीं के गोत्र के हज़ारों-लाखों ऋषियों का कत्लेआम किया। *आतंकवाद की दुनियां का यह बादशाह क्या प्रसंशा के योग्य है?*
3- रावण के दस सर और बीस आंख केवल सीता पर केंद्रित थीं, ऐसी पोस्ट आपके समक्ष फरवर्डेड मिलेगी।
👉🏼 रावण भी सीता जी के स्वयंवर में गया था, धनुष प्रत्यंचा चढ़ा के तोड़ नहीं पाया और पराजित होकर वापस आ गया। फ़िर जब राम धनुष तोड़कर सीता जी से शादी की तो भी रावण ने मर्दानगी दिखाते हुए उन्हें युद्ध के लिए नहीं ललकारा। सीता जी को युद्ध मे नहीं जीता। कायरो की भांति छल से सीता जी का किडनैप भेष बदलकर किया।
तो *सामने से युद्ध न करके कायरता से किडनैपिंग द्वारा बदला लेने की कायरतापूर्ण कृत्य - किडनैपिंग की क्या आप प्रशंसा करना चाहेंगे?*
4- तुलसीदास जी के दोहे अनुआर -
इक लख पूत सवा लख नाती,
ता रावण घर दिया न बाती।
तो ये बताइये हज़ारों रानी रखने वाला, लाखों पुत्र और पौत्रों के रहते हुए, इतनी बड़ी सेना रखने वाले और फिर भी कायरता करने वाले रावण क्या प्रशंशा का अधिकारी है? यदि सूर्पणखा की नाक कान काटने का बदला लेना ही था तो राम और लक्ष्मण से युद्ध करके वीरतापूर्ण बदला ले सकता था। फिर किडनैपिंग वो भी छल से करने की आवश्यकता क्या थी?
5- रावण ने सीता जी को हाथ और बाल पकड़कर घसीटते हुए अशोक वाटिका में किडनैप करके लाया था।
सीता जी के साथ जबरजस्ती न कर पाने के मुख्य चार कारण थे:-
👉🏼 सीता जी महान सती थीं, जो उनकी मर्ज़ी उनसे विवाह करता उसे उनकी तपश्चर्या मिलती और वो त्रिलोकविजयी बनता।
👉🏼 सीता जी को उनकी मर्ज़ी के बिना स्पर्श करने पर वो धरती में समा जाती। क्योंकि वो धरती पुत्री थीं और यह सबको पता था कि धरती में वो कभी भी समा सकती थी।
👉🏼 काशी नरेश की पुत्री जो महान सती थी जिसका सतीत्व रावण ने भंग किया था, उसने रावण को श्राप दिया था, अब यदि एक और स्त्री का जबरन शील भंग किया तो तत्क्षण नाभि का अमृत सूख जाएगा और उसके सर के सौ टुकड़े हो जाएंगे।
👉🏼 तप करके राक्षस शक्तिशाली बनते थे, अत्याचार और पापकर्म से तप शक्ति क्षीण होती रहती है। अतः जो शक्ति राक्षसों के पास शुरू में होती है वो अंत तक नहीं बचती, तप भी नित्य कमाना होता है। ठीक उसी प्रकार यदि एक बार धन कमा लिया और नियमित न कमाया और नित्य धन उपयोग में लिया तो धन अंत मे कुछ न बचेगा।
उम्मीद है रावण प्रशंषको के जाल में आप नहीं फँसेंगे।🙏🏻🙏🏻🙏🏻
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
युगऋषि परमपूज्य गुरुदेव के दिये युगनिर्माण सत्संकल्प 9 के अनुसार - *अनीति से प्राप्त सफलता की अपेक्षा नीति पर चलते हुए असफलता को शिरोधार्य करेंगे।*
We will prefer failure while adhering to basic moral principles to so-called success obtained through unfair and foul means.
👉🏼हे रावण प्रशंषकों!
मुझे पता है आपका शोशल मीडिया गैंग रावण की प्रशंसा के क़सीदे भेज कर उन लोगों को बेवकूफ बनाने में सफ़लता हांसिल करेगा जिन्होंने श्रीमद भागवत गीता और रामायण कभी नहीं पढ़ी है। जो केवल सीरियल देख के बड़े हुए हैं।
मैं उन सभी भारतीयों को रावण से सम्बंधित कुछ तथ्य से अवगत करवाना चाहूंगी, जो इन तथ्यों से अनभिज्ञ है:-
1- रावण महान शिव भक्त था, और कई वरदान हासिल किए।
😞👉🏼 फिर उन वरदानों का दुरुपयोग करके आतंकवाद फैलाया और अपनी त्रिलोकविजयी आकांक्षा को पूरी करने के लिए कत्लेआम मचाया। यहां तक की अपनी बहन के पति को भी मार डाला और बहन सूर्पणखा को विधवा बना दिया है। *अब कितनी बहने रावण जैसा भाई चाहेंगी? और अपने भाई के हाथों स्वयं विधवा बनना चाहेंगी?*
जिस प्रकार जैसे एक बेस्ट इंस्टिट्यूट से टॉपर डॉक्टर बना व्यक्ति स्वार्थ में आकर अनैतिक तरीके से किडनी बेचने और मानव अंग तस्करी का डॉन बन जाये। उस कमाई को केवल अपने परिवार पर खर्च करे। तो क्या आप उसके टॉपर होने की प्रशंसा करेंगे? नहीं न...इसीलिए रावण महान भक्त होने पर भी प्रशंसा का पात्र नहीं है। *अब कितने लोग ऐसी भक्ति की प्रशंसा करेंगे जो केवल स्वार्थ पूर्ति और वरदानों के दुरुपयोग से जुड़ी हो?*
2- रावण राक्षस धर्म का पालक था, उसने पिता के धर्म का त्याग कर दिया और राजा बनते ही माता के राक्षस धर्म का पालक बना। राक्षस धर्म के विस्तार के लिए अपने पिता और दादा के समान धर्म पालन करने वाले उन्हीं के गोत्र के हज़ारों-लाखों ऋषियों का कत्लेआम किया। *आतंकवाद की दुनियां का यह बादशाह क्या प्रसंशा के योग्य है?*
3- रावण के दस सर और बीस आंख केवल सीता पर केंद्रित थीं, ऐसी पोस्ट आपके समक्ष फरवर्डेड मिलेगी।
👉🏼 रावण भी सीता जी के स्वयंवर में गया था, धनुष प्रत्यंचा चढ़ा के तोड़ नहीं पाया और पराजित होकर वापस आ गया। फ़िर जब राम धनुष तोड़कर सीता जी से शादी की तो भी रावण ने मर्दानगी दिखाते हुए उन्हें युद्ध के लिए नहीं ललकारा। सीता जी को युद्ध मे नहीं जीता। कायरो की भांति छल से सीता जी का किडनैप भेष बदलकर किया।
तो *सामने से युद्ध न करके कायरता से किडनैपिंग द्वारा बदला लेने की कायरतापूर्ण कृत्य - किडनैपिंग की क्या आप प्रशंसा करना चाहेंगे?*
4- तुलसीदास जी के दोहे अनुआर -
इक लख पूत सवा लख नाती,
ता रावण घर दिया न बाती।
तो ये बताइये हज़ारों रानी रखने वाला, लाखों पुत्र और पौत्रों के रहते हुए, इतनी बड़ी सेना रखने वाले और फिर भी कायरता करने वाले रावण क्या प्रशंशा का अधिकारी है? यदि सूर्पणखा की नाक कान काटने का बदला लेना ही था तो राम और लक्ष्मण से युद्ध करके वीरतापूर्ण बदला ले सकता था। फिर किडनैपिंग वो भी छल से करने की आवश्यकता क्या थी?
5- रावण ने सीता जी को हाथ और बाल पकड़कर घसीटते हुए अशोक वाटिका में किडनैप करके लाया था।
सीता जी के साथ जबरजस्ती न कर पाने के मुख्य चार कारण थे:-
👉🏼 सीता जी महान सती थीं, जो उनकी मर्ज़ी उनसे विवाह करता उसे उनकी तपश्चर्या मिलती और वो त्रिलोकविजयी बनता।
👉🏼 सीता जी को उनकी मर्ज़ी के बिना स्पर्श करने पर वो धरती में समा जाती। क्योंकि वो धरती पुत्री थीं और यह सबको पता था कि धरती में वो कभी भी समा सकती थी।
👉🏼 काशी नरेश की पुत्री जो महान सती थी जिसका सतीत्व रावण ने भंग किया था, उसने रावण को श्राप दिया था, अब यदि एक और स्त्री का जबरन शील भंग किया तो तत्क्षण नाभि का अमृत सूख जाएगा और उसके सर के सौ टुकड़े हो जाएंगे।
👉🏼 तप करके राक्षस शक्तिशाली बनते थे, अत्याचार और पापकर्म से तप शक्ति क्षीण होती रहती है। अतः जो शक्ति राक्षसों के पास शुरू में होती है वो अंत तक नहीं बचती, तप भी नित्य कमाना होता है। ठीक उसी प्रकार यदि एक बार धन कमा लिया और नियमित न कमाया और नित्य धन उपयोग में लिया तो धन अंत मे कुछ न बचेगा।
उम्मीद है रावण प्रशंषको के जाल में आप नहीं फँसेंगे।🙏🏻🙏🏻🙏🏻
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
No comments:
Post a Comment