Thursday, 4 October 2018

प्रश्न - *गर्भ विज्ञान क्या है? गर्भ सँस्कार क्या है? कृपया बताएं*

प्रश्न - *गर्भ विज्ञान क्या है? गर्भ सँस्कार क्या है? कृपया बताएं*

उत्तर - *युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी* ने गर्भ से ही *गर्भस्थ शिशु के समग्र स्वास्थ्य का विज्ञान* प्रतिपादित किया है, जिसे *पुंसवन* सँस्कार भी कहा जाता है।

आधुनिक चिकित्सक केवल गर्भस्थ शिशु की धड़कन, वजन, और शारिरिक आकार प्रकार की ग्रोथ पर ही उसके स्वास्थ्य का परीक्षण करते हैं। जो भी दवाएं फोलिक एसिड, कैल्शियम, आयरन इत्यादि दिए जाते है और जो समय समय पर टीके लगाए जाते हैं, वो भी शरीर के स्वास्थ्य पर ही केंद्रित है। आहार-विहार भी शरीर पर ही केंद्रित है।

लेकिन सत्य तो यह है कि सफल व्यक्तित्व में शारीरिक सुदृढ़ता तो 10% का ही योगदान करता है, 90% मानसिक सुदृढ़ता का योगदान सफल व्यक्तित्व और जीवन मे सफलता में होता है।

 विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी तो यही कहता है कि स्वस्थ व्यक्ति वो है जो शारीरिक-मानसिक-सामाजिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ हो। लेकिन आधुनिक चिकित्सा विज्ञान तो अन्य तीन पर ध्यान ही नहीं दे रहा, तो बुद्धिमान और मनचाही सन्तान कैसे मिलेगी?

युगऋषि ने गर्भस्थ शिशु के समग्र स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने हेतु गर्भ विज्ञान को समझाया। यह गर्भ विज्ञान वास्तव में विचार शक्ति विज्ञान का ही अंग है। पुंसवन/गर्भ सँस्कार के माध्यम से गर्भस्थ माता के लिए आध्यात्मिक और मनोमानसिक टीके की व्यवस्था दी।

माता के शरीर से बच्चे का शरीर(आकृति) बनता है, और माता के मन से बच्चे का मन बनता है। माता की विचारणा और मानसिकता बच्चे के व्यक्तित्व(प्रकृति) को गढ़ती है। गर्भ में ही शिक्षण-प्रशिक्षण माता विचार शक्ति विज्ञान से दे सकती है।

माता विचार शक्ति(एक निश्चित क्रम से ध्यानस्थ हो सोच सोच कर, कल्पना कर कर के) बच्चे के DNA में बन रहे सँस्कार को भी बदल सकती है।

यहां तक की गर्भस्थ बच्चे की आकृति और प्रकृति, विभिन्न अनुवांशिक रोग हो या आंतरिक शक्ति सब पर माता की विचार शक्ति का प्रभाव होता है। गर्भ में बच्चे के अचेतन मन मे मनचाहे संस्कारो के बीज बोए जा सकते है।

सरल शब्दों में समझें तो जैसे  विचार माता सोचती है वैसे ही भाव और मानसिकता गर्भस्थ शिशु में ब्रह्मांड शक्ति डालती है। माता के विचार ही वह चुम्बक है जो ब्रह्मांडीय शक्ति को आकर्षित करते है। यह ठीक वैसे ही कार्य करता जैसे गूगल या शॉपिंग साइट कार्य करती है, जो सर्च या ऑर्डर दोगे वो सामान घर पर पहुंचेगा, ब्राउज़र पर डाउनलोड होगा। अतः सन्तुलित अच्छा आहार जितना स्वास्थ्य के लिए जरूरी है उससे ज्यादा सन्तुलित अच्छा विचार मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।

गर्भिणी मनमाना सोचेगी और हिंसक टीवी सीरियल देखेगी तो ब्रह्मांड से हिंसक शक्ति गर्भ में प्रवेश करके बच्चे को हिंसक बना देगी।

गर्भिणी यदि गहन ध्यान, गायत्री मंत्र जप, अच्छी पुस्तकों का स्वाध्याय और उसका मनन चिंतन करते हुए सकारात्मक सोच दिन भर रखेगी तो ब्रह्माण्डीय शक्ति वैसे ही अच्छी प्रवृत्ति गर्भ में प्रवेश करेगी और बच्चे की मानसिक प्रवृत्ति का निर्माण करेगी।

इन्ही सभी विधिव्यवस्था को बेहतर तरीके से *गर्भ सँस्कार* के माध्यम से गर्भिणी को समझाया जाता है सँस्कार के माध्यम से उस की वर्कशॉप ली जाती है। इतनी छोटी सी पोस्ट में गर्भ विज्ञान का साग़र भरा नहीं जा सकता। संक्षेप में इतना समझ लीजिए *विचारों की सृजनात्मक शक्ति और विज्ञान से गर्भ में मनचाही सन्तान के निर्माण का विज्ञान गर्भ विज्ञान है। विचार ही वो टूल और तकनीक है जिससे गर्भ का मनचाहा निर्माण होगा। जैसे विचारों का वातावरण गर्भ को दोगे वैसा ही बालक जन्मेगा।*

गायत्री परिवार में कुशल डॉक्टरों की टीम और बुद्धिजीवियों की टीम इस गर्भ ज्ञान-विज्ञान को जन जन तक पहुंचाने का भागीरथी पुरुषार्थ कर रहे हैं।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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