Monday, 15 October 2018

प्रश्न - *यदि कोई मिशन में पैसे की हेर फेर या अन्य गलती करते पकड़ा जाय तो क्या उसे निकाल देना चाहिए या सुधरने का दूसरा मौका देना चाहिए।*

प्रश्न - *यदि कोई मिशन में पैसे की हेर फेर या अन्य गलती करते पकड़ा जाय तो क्या उसे निकाल देना चाहिए या सुधरने का दूसरा मौका देना चाहिए।*

उत्तर - आपके कठिन प्रश्न के उत्तर को एक सत्य उदाहरण/घटना से समझाती हूँ।

बात उन दिनों की है जब वाउचर भी गुरूदेव ही चेक किया करते थे और आटा काफ़ी दूरी पर खड़खड़ी गांव में पिसने जाता था।

आज के वरिष्ठ लोग तब युवा हुआ करते थे।

उस समय जहाँ सब एक एक रुपये बचाकर ब्राह्मणोचित जीवन जीते थे, वहीं एक मिशन में कार्यरत एक युवक चुपके से पैसे से चाट पकौड़ी मिठाई खा लेता।

परमपूज्य गुरूदेव से सबने उसकी शिकायत की, गुरुदेव आश्वासन देते ठीक है उसे निकाल देंगे। ऐसे कई बार शिकायत हो चुकी थी, फिर भी वो युवक जिह्वा रोक न पाता और मिशन के पैसे को अपने पर्सनल चाट पकौड़ी में खर्च कर देता।

एक दिन सभी शिष्यों ने ग्रुप में जाकर गुरूदेव पर दबाव बनाने की ठानी, और सब मिलकर गुरूदेव के समक्ष जैसे ही पहुंचे, उनके बोलने से पहले अंतर्यामी गुरूदेव बोल पड़े कि अच्छा तो आज तुम लोग संकल्पित होकर आए हो कि मुझ पर दबाव बना के उसे निकलवा के दम लोगे।

सबने सहमति में सर हिलाया।

आगे गुरूदेव बोले, तुम लोग सोचते हो तुम सबको तो एक एक रुपये के हिसाब के लिए डाँट पड़ती है, फ़िर मैं उसे कुछ क्यों नहीं बोलता।

अच्छा उसे मैं निकाल दूंगा, लेकिन एक शर्त यह है कि तुम सब अपने हृदय में हाथ रख कर मुझे विश्वास दिलाओ कि यहां आने से पूर्व तुम लोगों ने कोई गलती नहीं की है। सब के सर झुक गए, क्योंकि सबने कुछ न कुछ भूल की थी।

गुरुदेव ने प्यार से कहा, बच्चों मैं तुम पर कठोर इसलिए हूँ कि तुम्हारी चेतना उच्च साधना की कक्षा में पहुंच गई है। इसलिए तुम्हारे साथ योगियों वाली कठोरता बरतता हूँ।

यदि तुम्हारी कसौटी पर मैं मिशन से परिजनों को निकालने लगूंगा तो सबको निकालना पड़ेगा। मैं ही अकेला बचूंगा।

भूले भटको को राह दिखाना और उन्हें सन्मार्ग पर लाना यही मेरा काम है। मेरे बाद यही काम तुम्हें भी करना है। पाप से घृणा करो पापी से नहीं, उसे सुधरने का वक्त जरूर दो। तुम मेरी तरह अनगिनत सुधार के अवसर नहीं दे सकते।

तो कम से कम तीन सुधरने के अवसर जरूर देना, और उसकी सद्बुद्धि के लिए प्रत्येक अवसर देते समय निर्मल मन से दस माला गायत्री की जपना, और प्रार्थना करना।

जब तीन प्रयास असफल हो जाएं, तीस माला जप काम मे न आये तब उसे मिशन के कार्य की जिम्मेदारी से मुक्त करना।

सबने धीरे से पूँछा, तो उस युवक को ऐसे ही मिशन के पैसे खर्च करने देंगे?

गुरूदेव ने मुस्कुरा के कहा, तुम उसके पिछले जन्म को नहीं जानते लेकिन मैं जानता हूँ। उसके अकाउंट में बहुत पुण्य जमा है, इसलिए वो मेरे पास है। जिस क्षण मैं उसे यहां से निकाल दूंगा, यहां से निकलते ही पिछले जन्म के पुण्य प्रभाव से वो देश का बड़ा राजनेता बन जायेगा, लेकिन इसकी बुद्धि इतनी भ्रष्ट है और इसकी चेतना का स्तर इतना निम्न है कि यह देश को बहुत नुकसान पहुंचाएगा, साथ में बहुतों को पीड़ा पहुंचाएगा। यह महाकाल का पैसा उड़ा रहा है, जिससे इसका पिछले जन्म का पुण्य तेजी से घट रहा है। जल्दी ही वह शून्य हो जाएगा तब ही इसे सही राह पर लाया जाएगा। तब यह रत्नाकर डाकू की तरह बदलकर बाल्मीकि बन जायेगा। मिशन का बहुत बड़ा सहयोगी और बड़ा कार्यकर्ता बनकर उभरेगा।

मैं महाकाल हूँ, अतः छोटे नुकसान से बड़े भविष्य के नुकसान को होने से बचा रहा हूँ। मिशन का पैसा खाने से पिछले जन्म और इस जन्म के कमाए समस्त पुण्यफ़ल तेजी से क्षीण होते है। पुण्यफ़ल खत्म होते ही पतन शुरू हो जाता है। अन्तरात्मा की आवाज के रूप में मैं सदा उसे टोकता रहता हूँ, जो मुझे अनसुना कर देता है, भला फिर उसे कौन बचा सकता है।
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ऐसे ही शारदा मैया के भाई सब्जी लाने के बहाने मिशन के पैसे से पर्सनल खर्च करते थे, जब विवेकानन्द जी ने शारदा माता से शिकायत की, तब माता ने कहा- पिछले जन्म के अथाह पुण्य के कारण यह मेरा भाई और ठाकुर का रिश्तेदार है। दुर्बुद्धि होने के कारण यदि यह यहां से छूटेगा तो बड़ी तबाही बाहर मचाएगा। इसलिए यह ठाकुर के पैसे चोरी करके पुण्यफ़ल को तेजी से क्षीण कर रहा है। ठाकुर अभी इसे मुक्ति देने का अधिकारी नहीं मान रहे। अतः इसे इसके हाल पर छोड़कर तुम ठाकुर का काम करो।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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