Friday, 5 October 2018

प्रश्न - *जिस प्रकार बिना नक्शे के भवन नहीं बनता है उसी प्रकार बिना आध्यात्मिक पृष्ठभूमि के कोई यज्ञ नहीं हो सकता है। इस कथन को समझाएं।*

प्रश्न - *जिस प्रकार बिना नक्शे के भवन नहीं बनता है उसी प्रकार बिना आध्यात्मिक पृष्ठभूमि के कोई यज्ञ नहीं हो सकता है। इस कथन को समझाएं।*

उत्तर - आत्मीय बहन उपरोक्त कथन को समझने के लिए आपको प्राण विद्या को समझना होगा। तभी आप युगऋषि के कथन को समझ सकेंगे।

कर्मकांड शरीर है और भावनाएं आत्मा/प्राण है। जिस प्रकार शरीर बिन प्राण शव है, उसी प्रकार यज्ञ का कर्मकांड भी बिना भावनाओं के असरकारक नहीं। भावनाएं चेतना शक्ति ही उतपन्न कर सकती है कोई रोबोट भावनाओं/inner feelings को उतपन्न नहीं कर सकता।

भवन रोबोट बना सकता है, लेकिन निर्देशन कहाँ, किस नक्शे के आधार पर बनना है यह तो चेतन व्यक्ति ही निश्चित करता है।

यज्ञ एक आध्यात्मिक उपचार पद्धति है, जो पर्यावरण, वातारण, अन्तःकरण का सूक्ष्म शोधन और उपचार करता है, यज्ञ को यज्ञ तभी मानते है जब उसमें मंन्त्र, हवन सामग्री, घी, अग्नि(समिधा को जलाकर) और चेतन यजनकर्ता की भावनाएं सम्मिलित हों।

पृष्ठभूमि का शाब्दिक अर्थ होता है- भूमिका,  यज्ञ में आध्यात्मिक भूमिका जरूरी है। अध्यात्म का शाब्दिक अर्थ होता है - आत्मा संबंधी या आत्मा-परमात्मा के संबंध में चिन्तन-मनन। आत्मा क्या है? यदि गहराई में जानोगे तो पाओगे कि परमात्मा का ही अंश है। परमात्मा से सम्बन्ध बनाने के लिए आत्म चेतना चाहिए। यज्ञ का पूर्ण लाभ परमात्मा से सम्बन्ध स्थापित करके पाया जा सकता है। परमात्मा से सम्बन्ध केवल आत्मा भावसम्वेदना ही स्थापित कर सकती है। आत्मा की उपस्थिति जीवित मनुष्य में है। आवश्यक भावनाओ की यज्ञ में उतपत्ति हेतु मनुष्य अर्थात यजन कर्ता का आध्यात्मिक होना- ईश्वर पर विश्वास होना आवश्यक है।

रोबोट द्वारा यज्ञ करवाकर, टेपरिकॉर्डर से मंन्त्र बुलवाकर यज्ञ का लाभ नहीं ले सकते। यह कर्मकांड चेतना रहित/भावना रहित होने के कारण आध्यात्मिक भूमिका विहीन होगा।

यज्ञ का पूर्ण लाभ आध्यात्मिक मनोभूमि के यजनकर्ता के श्रद्धा और आवश्यक भावनाओँ के ही ऊपर निर्भर करता है। औषधियों के कारण शक्ति को जगाने का काम केवल चेतना शक्ति कर सकती है, क्योंकि यहां भी यह कार्य भावयुक्त मंन्त्र ही करेंगे।

यज्ञ में यजनकर्ता की भावनाएं ही  चुम्बकत्व पैदा करती है, महर्षि पतंजलि के सादृश्य और आन्तर्य का सिद्धांत भी यज्ञकर्ता के आध्यात्मिक मनोभावों पर ही निर्भर करता है।

उम्मीद है कि आपको आध्यात्मिक पृष्ठभूमि (आध्यात्मिक मनोभूमि के यजनकर्ता की यज्ञ में भूमिका) क्यों आवश्यक है क्लियर हो गया होगा।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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