Sunday, 11 November 2018

प्रश्न - *क्या आप राजीव दीक्षित की इस वीडियो में लगाये आरोप के सम्बंध में अपना मत दे सकती है? गायत्री परिवार की पुस्तकों में विदेशी वैज्ञानिकों और विचारकों के नाम को लेकर जो राजीव दीक्षित ने आरोप लगाए है? उन पर आपका क्या विचार है..*

https://youtu.be/FUI-10UlyFw

प्रश्न - *क्या आप राजीव दीक्षित की इस वीडियो में लगाये आरोप के सम्बंध में अपना मत दे सकती है? गायत्री परिवार की पुस्तकों में विदेशी वैज्ञानिकों और विचारकों के नाम को लेकर जो राजीव दीक्षित ने आरोप लगाए है? उन पर आपका क्या विचार है..*

उत्तर - प्रत्येक व्यक्ति उस ग्लास की तरह है जो आधी खाली और आधी भरी है। भगवान भी कुछ कलाओं में जन्म लेता है वो भी कभी पूर्ण अवतार नहीं लेता। तो इस आधार पर राजीव दीक्षित पूर्ण ब्रह्म है और उनके वाक्य परब्रह्म के वाक्य है, ऐसा सोचना मूर्खता होगी। 3200 पुस्तकों को पूरा पढ़ लेने का दावा खोखला है, चंद पुस्तको को पढ़ा होगा, लिखने का पैटर्न समझ लिया इसलिए पूरा साहित्य पढ़ने का झूठा दावा कर दिया।

राजीव दीक्षित पाश्चात्य से घोर नफ़रत(बड़ी घृणा) करते थे, और अपनी भारतीय संस्कृति से घोर प्रेम(बड़ी मोहब्बत/प्रेम) करते थे। वो एक देश प्रेमी व्यक्ति थे। उन्होंने पाश्चात्य संस्कृति सभ्यता से जंग छेड़ रखी थी, इश्क और जंग में सब जायज़ है इस रास्ते पर वो चल रहे थे। महाभारत में भी छल का जवाब छल से दिया गया था। जब पाश्चात्य ने भारतीय संस्कृति और स्वास्थ्य पद्धति को बिना जांचे परखे अयोग्य ठहराया तो राजीव दीक्षित ने वैसा ही किया तो इसमें जैसे को तैसा वाली कहावत सिद्ध हुई।

घृणा और प्रेम एक ऐसा आवेग है जो आंखों पर मोह की पट्टी बांध देता है। घृणा में हमें उस देश या धर्म- संस्कृति या व्यक्ति की अच्छाई नहीं दिखती और प्रेम में हमें उस देश या धर्म-संस्कृति या व्यक्ति की बुराई नहीं दिखती।

राजीव दीक्षित भारतीय संस्कृति और स्वास्थ्य को पुनर्जीवित करना चाहते थे, और पाश्चात्य से कम्पटीशन और एक प्रकार का अधोषित युद्ध कर रहे थे। युद्ध मे विजय के लिए ज्ञान जरूरी था इसलिए उन्होंने जितने भी प्राचीन स्वास्थ्य सम्बन्धी धर्म ग्रन्थ से उसे हृदयग्राह्य करना शुरू किया। जिसमे घाघ-भड्डरी, चरक, सुश्रुत इत्यादि प्रमुख थे। जब उन्हें पता चला कि आचार्य श्रीराम शर्मा आचार्य नामक विद्वान प्राचीन धर्मग्रंथों को पुनर्जीवित हिंदी भाषा मे कर रहा है, तो उन्होंने साहित्य खरीदा और वो भी केवल स्वास्थ्य सम्बन्धी। उसे पढ़ा, लेकिन ज्यों ही पुस्तकों में विदेशियों के नाम का प्रतिपादन देखा उनके हृदय के घृणा ने उनकी आंख पर पट्टी बांध दी और उनकी नज़र में गायत्री परिवार को अपराधी घोषित कर दिया। दूसरा झटका उन्हें तब लगा जब गायत्री परिवार सभी देशों में मानव कल्याण का कार्य जाति-धर्म-सम्प्रदाय-देश से परे जाकर करने लगा। उन्हें गुस्सा आ गया। वो चाहते थे युगनिर्माण तो हो लेकिन केवल भारत देश में.... जबकि युगऋषि आचार्य श्रीराम का स्वप्न युगनिर्माण पूरे विश्व के लिए है, पूरे विश्व के मानव जाति के कल्याण के लिए है। वसुधैव कुटुम्बकम का भाव लिए था।

युगऋषि आचार्य श्रीराम जी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, तपस्वी ज्ञानी भगवत भक्त श्रेष्ठ विचारक और साधक तपस्वी थे। उनकी नज़र में  पूरा विश्व ईश्वर ने बनाया है, समस्त मानव जाति के कल्याण का भाव उन्होंने रखा। राजनीति से दूर रहकर धर्मनीति से लोगों के भीतर बदलाव लाना उनका मुख्य उद्देश्य था। अतः विचारों में क्रांति के लिए उन्होंने जो भी साहित्य लिखे उसमें समानांतर विचार यदि किसी विदेशी ने कहा हो कही तो उसका भी रेफरेन्स डाल दिया। जो एक सहज प्रतिक्रिया थी, क्योंकि वो राग द्वेष से परे थे। वो भारतीयों का उत्थान तो चाहते थे लेकिन किसी को दोषारोपित करके, निगेटिव मार्केटिंग करके नहीं चाहते थे।

गायत्री परिवार को उन्होंने ने राजनीति से दूर रहने की सलाह दी, इसी आदेश को शिरोधार्य करते हुए प्रणव पण्ड्या जी ने राज्यसभा के लिए चयनित होने पर भी उसे विनम्रता से अस्वीकार कर दिया।

गायत्री परिवार उन आंदोलनों में हिस्सा नहीं लेता जो राजनीति प्रेरित होकर किसी विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए किए जाते हैं।

गायत्री परिवार उन सभी आंदोलनों में जान की बाजी लगा देता है जो लोकल्याण के लिए किए जाते हैं।

*वातावरण विचार तरंगों से बना हुआ है, और पर्यावरण विभिन्न गैसों से बना है*। वातावरण में व्याप्त हानिकारक विचारो का प्रदूषण सद्बुद्धि के मन्त्रों युक्त विचारों से दूर होगा। पर्यावरण में व्याप्त हानिकारक गैसों और Particulate matter(PM)  का प्रदूषण औषधीय घी युक्त धूम्र से दूर होगा। यज्ञ एक समग्र उपचार है-पर्यावरण शोधन और वातावरण संशोधन का। यदि यह हम आधुनिक मशीनों के द्वारा सत्यापित करके आज के नए बच्चो को दिखा के इसमें जोड़ रहे है तो इसमें बुराई क्या है?

 ब्रह्मा जी ने वेदों में, भगवान कृष्ण ने गीता में, ऋषियों, योगियों ने पुराणों और उपनिषदों में बताये गायत्री मंत्र के लाभ को यदि पाश्चात्य वैज्ञानिकों और भारतीय चिकित्सकों के समूह (AIMS) ने विभिन्न रिसर्च और आधुनिक मशीनों से सत्यापित किया तो इसमें बुराई क्या है? क्या गायत्री मंत्र के प्रभाव की रीडिंग MRI और EEG में आने से उसकी महत्ता को ठेस पहुंचेगी? , न्यूज मीडिया ने लगभग सब बुद्धिजीवियों ने गायत्री मंन्त्र का महत्त्व पुनः बता दिया तो मंन्त्र की पवित्रता और प्रभाव में कोई फर्क पड़ेगा क्या?

सत्य पहले भी सत्य ही था, बुद्धिबल मनोबल और निर्णयक्षमता के विकास में और मनप्रबन्धन में गायत्री मंत्र सहायक था, है और रहेगा।

जब हम बिजली एडिसन और निकोला टेस्ला की बिजली के आविष्कार को एन्जॉय कर रहे हैं,  पाश्चात्य टेक्नोलॉजी के दिये मोबाइल, टीवी, लैपटॉप, यूट्यूब, गूगल उपयोग कर रहे हैं। तो फिर यूरोप से इतनी नफ़रत क्यों?

यूरोपीय और भारत की सभ्यता संस्कृति भी आधी अच्छी और आधी खराब है। ग्लास की तरह आधी भरी और आधी खाली है। राजीव दीक्षित के लेक्चर में यूरोपीय सभ्यता का आधा ख़ाली भाग विस्तार से बताया जाता है, और भारतीय सभ्यता का आधा भरा भाग विस्तार से बताया जाता है। सच दोनों ही है।

गायत्री परिवार घृणा का शिकार नहीं है, आत्मियता विस्तार की कसौटी पर कार्य करता है। अतः निरपेक्षता के साथ यूरोप का आधा भरा और भारत का आधा भरा स्वीकारता है। यूरोप के आधे खाली और भारत के आधे खाली को कैसे भरा जाय इस पर कार्य कर रहा है, समाधान केंद्रित दृष्टिकोण के साथ।

हमारी किसी से दुश्मनी नहीं है, और हम सबका भला चाहते है। युगपरिवर्तन की शुरुआत स्वयं से करने पर विश्वास रखते है, स्वयं सुधार की पहली शर्त है घृणा का त्याग और प्रेमान्ध होने से बचना है।

उम्मीद है आपको मेरा मत क्लियर हो गया है।

मैं शान्तिकुंज हरिद्वार की स्पोक पर्सन नहीं हूँ। एक सामान्य सी छोटी सी कार्यकर्ता हूँ जो गुरुग्राम में रहती है। मेरा देश और मेरा गुरु मुझे मेरी स्वतन्त्र राय रखने की इजाजत देता है। अतः यह मेरा व्यक्तिगत विचार है, इस पर कोई प्रश्न हो तो निःसंकोच पूंछ सकते है।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
Email :- sweta.awpg@gmail.com

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