Monday 26 November 2018

विवाह के आदर्श और सिद्धान्त

*विवाह के आदर्श और सिद्धान्त*

माता पिता को यह समझना होगा कि विवाह दो व्यक्तियों के बीच साथ जीवन निभाने का स्वेच्छा से समझौता है। इस समझौते को ईश्वर के साक्षी में लिया जाता है। स्त्री पुरूष दोनों को यह विवाह बंधन स्वीकारते वक्त यह ध्यान रखना चाहिए ये प्रेम का बन्धन है, पतंग की तरह डोर से जुड़े भी रहना है और आकाश में उड़ना भी है। डोर से पतंग को बांधकर कैद भी नहीं करना है और न ही डोर काटनी है।

लड़कियों को स्वतंत्रता पढ़ने, आगे बढ़ने और अपनी जिंदगी खुशहाल जीने का उतना ही हक है जितना लड़को का। यदि लड़की को अदब सिखाते हो तो उतना ही अदब लड़को को भी सिखाइये। इसी तरह लड़को को योग्य बनाते हो उसी तरह उतना ही योग्य लड़की को बनाने के लिए धन खर्च कीजिये और स्वतंत्रता दीजिये।

लड़की को हरवक्त विवाहयोग्य हो जाने पर ताने मारकर सिखाना यह अमुक सीख ले, क्योंकि पराए घर जाना है, ससुराल के ताने बार बार मारने पर लड़कियां अंदर ही अंदर चिढ़ जाती है। अच्छे गुणों की लड़के और लड़की दोनों को आवश्यकता है। अच्छा सेवाभावी इंसान बनाइये। तो सब सध जाएगा।

ऊपरवाला भगवान भी बेमेल जोड़े को सफल दाम्पत्य का आशीर्वाद कैसे दे? स्वयं विचार करें,

एक टायर में हवा भरोगे और दूसरे को पंचर रखोगे, फिर भगवान से विवाह की गाड़ी की स्पीड और आनन्दमय सफर की दुआ माँगोगे?

उदाहरण -
जब एक बेअदब और दूसरा अदबदार हो

जब एक योग्य हो औऱ दूसरा अयोग्य हो

जब एक शिक्षित हो और दूसरा अशिक्षित हो

युगऋषि की कुछ पुस्तकें जरूर पढ़ें और पढ़ाये, लोगों का दाम्पत्य जीवन सफल बनायें:-

1- गृहस्थ में प्रवेश से पूर्व उसकी जिम्मेदारी समझें
2- गृहस्थ एक तपोवन
3- विवाह के आदर्श और सिद्धान्त

http://literature.awgp.org/hindi/books/category/family%20relationships

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