प्रश्न - *दी, जब कोई आपकी मेहनत का श्रेय स्वयं ले ले, और वरिष्ठों के सामने उसी कार्य हेतु सम्मानित किया जाय तो ऐसे में क्या करें? गुस्से को कैसे नियंत्रित करें..*
उत्तर - आत्मीय बहन, एक बार मधुमक्खी से मख्खी ने पूँछा, तुम इतनी मेहनत से शहद बनाती हो, और ये दुष्ट मानव तुम्हारे शहद को चुरा लेते हैं, अपनी अपनी कम्पनी का ब्रांड नेम ऐसे लगाते है मानो इन्ही ने बनाया हो, क्या तुम्हे गुस्सा नहीं आता?
मधुमक्खी ने कहा - प्रत्येक शहद खाने वाला जानता है, कि शहद के डिब्बे में कम्पनी का नाम कुछ भी लिखा हो, लेकिन शहद तो मधुमक्खी ने ही बनाया है।
इंसान केवल शहद(Creation) चुरा सकता है लेकिन वह मेरे शहद बनाने के गुण/योग्यता( art of making honey) नहीं चुरा सकता।
इसी तरह कोई आपसे आपके किये गए कार्य का श्रेय चुरा सकता है, लेकिन कार्य करने की गुणवत्ता, ज्ञान, योग्यता और समर्पण नहीं चुरा सकता।
रंगा सियार ज्यादा दिन तक टिक नहीं सकता, कभी न कभी तो रंग उतरेगा और असलियत सामने आएगी ही।
गुरूदेव और गायत्री माता जिनके साथ हमारी साझेदारी है, वो अंतर्यामी है। उनतक किसी का झूठ नहीं चलता। आप तो बस अपने हिस्से की ईमानदारी बरतो और कार्य करते चलो, आपके कार्य की चमक एक न एक दिन जहान रौशन करेगी ही। अनवरत प्रयास से समर्पित होकर कार्य करते चले। मान-अपमान सबकुछ श्रीगुरु चरणों मे अर्पित कर दें।
शिष्यों के गले मे पड़ने वाली प्रत्येक माला उसके गुरु के लिए ही होती है, वो तो बस गुरु निमित्त बनकर उसे ग्रहण करता है। यदि कोई अहंकार करे कि यह माला उसे पहनाई गयी है, तो वो महामूर्खता करेगा। न यह सम्मान उसका है और न ही यह कार्य का श्रेय उसका है। वह तो निमित्त मात्र है। तो यदि कोई एक निमित्त शिष्य दूसरे निमित्त शिष्य के कार्य को अपना बताता है तो वो सीधे सीधे गुरु की अवमानना कर रहा है। गुरु की अवमानना का फल तो उसे भुगतना ही पड़ेगा, आज नहीं तो कल...
मूकं करोति वाचालं
पङ्गुं लङ्घयते गिरिं ।
यत्कृपा तमहं वन्दे
परमानन्द श्री जगतगुरम ॥
सदगुरु तो गूंगे को वक्ता बना सकता है, और लँगड़े को दौड़ा सकता है, वो तो ईंट पत्थरो से भी या कीट पतंगों से भी युगनिर्माण करवा लेगा, उसने हमें अपनी सेवा का सौभाग्य दिया है यह हमारा सौभाग्य है। ऐसे सद्गुरु को स्वयं को समर्पित कर दो और इनके श्री चरणों की सेवा में लगे रहो। तुम्हे निमित्त बनाकर क्या क्या करवा लेंगे, तुम सोच भी नहीं सकते...
यदि किसी कार्य के लिए कर्ता भाव रखोगी तो गुस्सा आएगा, यदि स्वयं को निमित्त मानोगी तो कभी गुस्सा आएगा ही नहीं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय बहन, एक बार मधुमक्खी से मख्खी ने पूँछा, तुम इतनी मेहनत से शहद बनाती हो, और ये दुष्ट मानव तुम्हारे शहद को चुरा लेते हैं, अपनी अपनी कम्पनी का ब्रांड नेम ऐसे लगाते है मानो इन्ही ने बनाया हो, क्या तुम्हे गुस्सा नहीं आता?
मधुमक्खी ने कहा - प्रत्येक शहद खाने वाला जानता है, कि शहद के डिब्बे में कम्पनी का नाम कुछ भी लिखा हो, लेकिन शहद तो मधुमक्खी ने ही बनाया है।
इंसान केवल शहद(Creation) चुरा सकता है लेकिन वह मेरे शहद बनाने के गुण/योग्यता( art of making honey) नहीं चुरा सकता।
इसी तरह कोई आपसे आपके किये गए कार्य का श्रेय चुरा सकता है, लेकिन कार्य करने की गुणवत्ता, ज्ञान, योग्यता और समर्पण नहीं चुरा सकता।
रंगा सियार ज्यादा दिन तक टिक नहीं सकता, कभी न कभी तो रंग उतरेगा और असलियत सामने आएगी ही।
गुरूदेव और गायत्री माता जिनके साथ हमारी साझेदारी है, वो अंतर्यामी है। उनतक किसी का झूठ नहीं चलता। आप तो बस अपने हिस्से की ईमानदारी बरतो और कार्य करते चलो, आपके कार्य की चमक एक न एक दिन जहान रौशन करेगी ही। अनवरत प्रयास से समर्पित होकर कार्य करते चले। मान-अपमान सबकुछ श्रीगुरु चरणों मे अर्पित कर दें।
शिष्यों के गले मे पड़ने वाली प्रत्येक माला उसके गुरु के लिए ही होती है, वो तो बस गुरु निमित्त बनकर उसे ग्रहण करता है। यदि कोई अहंकार करे कि यह माला उसे पहनाई गयी है, तो वो महामूर्खता करेगा। न यह सम्मान उसका है और न ही यह कार्य का श्रेय उसका है। वह तो निमित्त मात्र है। तो यदि कोई एक निमित्त शिष्य दूसरे निमित्त शिष्य के कार्य को अपना बताता है तो वो सीधे सीधे गुरु की अवमानना कर रहा है। गुरु की अवमानना का फल तो उसे भुगतना ही पड़ेगा, आज नहीं तो कल...
मूकं करोति वाचालं
पङ्गुं लङ्घयते गिरिं ।
यत्कृपा तमहं वन्दे
परमानन्द श्री जगतगुरम ॥
सदगुरु तो गूंगे को वक्ता बना सकता है, और लँगड़े को दौड़ा सकता है, वो तो ईंट पत्थरो से भी या कीट पतंगों से भी युगनिर्माण करवा लेगा, उसने हमें अपनी सेवा का सौभाग्य दिया है यह हमारा सौभाग्य है। ऐसे सद्गुरु को स्वयं को समर्पित कर दो और इनके श्री चरणों की सेवा में लगे रहो। तुम्हे निमित्त बनाकर क्या क्या करवा लेंगे, तुम सोच भी नहीं सकते...
यदि किसी कार्य के लिए कर्ता भाव रखोगी तो गुस्सा आएगा, यदि स्वयं को निमित्त मानोगी तो कभी गुस्सा आएगा ही नहीं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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