Sunday, 9 December 2018

प्रश्न - *कार्यकर्ताओ के बीच मतभेद और वैचारिक युद्ध का मुख्य कारण क्या है? ऐसे वैचारिक युद्ध से कैसे बचें...*

प्रश्न - *कार्यकर्ताओ के बीच मतभेद और वैचारिक युद्ध का मुख्य कारण क्या है? ऐसे वैचारिक युद्ध से कैसे बचें...*

उत्तर - सभी कार्यकर्ता शिष्य सदगुरु से प्रेम करते है उनके प्रेम से जुड़े हैं, यह मिशन प्यार और सहकार की नींव पर खड़ा है। ज्ञान और कार्य तो इसकी दीवार और छत है।

सबके लिए समस्या यह हो गयी कि हमारा गुरु साक्षात महाकाल है, इंसान को इंसानी बुद्धि से समझ सकते हो लेकिन भगवान को कैसे पूरा समझोगे? और उनकी विशाल योजना युगनिर्माण है, जितना बड़ा नाम उतनी ही विशाल कार्य योजना।

उन्हें सबने अपने एंगल से समझा है, हाथी की तरह कोई पूंछ पकड़े बैठा है और कोई कान और कोई पैर कोई सूंड...

लड़ाई तब होती है जब सब स्वयं की समझ को सही और दूसरे की समझ को गलत ठहराते हैं। यदि सब केवल अपनी अपनी समझ रखें और फिर उसके आधार पर निर्णय लें तो कोई वैचारिक युद्ध नहीं होगा।

सब अपने अपने दिमाग़ के रूपी कप में महाकाल सद्गुरु रूपी सागर को भरने का दावा कर रहे हैं। जो सम्भव ही नहीं है। क्योंकि पूरा साहित्य जितना उन्होंने लिखा है उसे किसी ने पढ़ा ही नहीं है।

तो क्या करें, जो भी जितना भी पढ़ा है उसे आत्मसात करके समझने और उसी हिसाब से करने का प्रयास करें। सप्त आन्दोलन और शत सूत्रीय कार्यक्रम में जो समझ मे आ जाये बस उसमें जुट जाएं, कोई अन्य कौन कौनसा कर रहा है उसे न रोकें उन्हें भी अपना करने दें।

जिसने *स्वयं को,अपने मैं को, अपने दिमाग़ रूपी कप को* उसी समुद्र में विलीन कर दिया, गुरु को समर्पित कर दिया, और यह मान लिया कि अब *करिष्ये वचनम तव* बस गुरु ने जो कहा वही करना है,  वही खुले विचार और समुद्र की तरह विशाल हृदय का बन पाएगा और इन युद्धों से बच पायेगा।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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