प्रश्न - *बहोत दिन से पूछना चाह रहा था कि, गुरुदेव हमेशा कहते थे की तुम मेरा काम करो और मैं तुम्हारा। अब मुझे आपसे जानना है गुरुदेव का कौन कौन सा काम है, और किसको प्राथमिकता देना चाहिए। मैं आईटी कंपनी में जॉब करता हूँ। और मुझे क्या करना चाहिए, कृपया मार्गदर्शन करें*
उत्तर - आत्मीय भाई, इस प्रश्न का उत्तर समझने से पहले आपको यह समझना होगा कि गुरु का कार्य क्या है?
गुरूदेव ने कलियुगी विचारधारा को सतयुगी विचारधारा में बदलने का कार्य युगनिर्माण योजना के रूप में दिया है। क्योंकि समस्या की जड़ विकृत चिंतन ही है।
इस लक्ष्य पूर्ति हेतु सप्त आन्दोलन और शत सूत्रीय कार्यक्रम दिए हैं।
अतः सर्वप्रथम आप वक्त निकाल कर क्रांतिधर्मी साहित्य की 20 छोटी पुस्तकों का स्वाध्याय शुरू कर दीजिये, जिससे रोडमैप क्या करना है क्लियर हो जाये। बिना पढ़े डॉक्टर नहीं बन सकते, इसी तरह बिन पढ़े युगनिर्माणि भी नहीं बन सकते। स्वाध्याय बन्द तो युगनिर्माण बन्द होना तय है । जैसे सांसारिक जॉब के लिए हम योग्यता अर्जित करते हैं, वैसे ही शान्तिकुंज में दी जा रही विभिन्न ट्रेनिंग प्रोग्राम में जाकर सम्बन्धित योग्यता अर्जित कर सकते हैं। सम्बन्धित हुनर होगा तो आत्मविश्वास बढ़ेगा।
दूसरे स्तर पर यह जानना जरूरी है कि जो कार्य लिस्ट आपको समझ आ गयी उसमें आप के लिए कौन सा बेस्ट है, इसके लिए स्वयं की स्ट्रेंथ गुरुकार्य हेतु जानने के लिए गुरुचरणों का ध्यान करते हुए गहन चिंतन कीजिये, मार्गदर्शन मिलेगा।
तीसरे स्तर पर, नज़दीकी शक्तिपीठ जाइये और वहां चल रही एक्टिविटी की लिस्ट देखिए, जिसमें आप सहयोग कर सकें उसमें जुट जाइये। समयदान कीजिये।
चौथे स्तर पर - समयदान के साथ साथ धन की आवश्यकता सभी रचनात्मक कार्यो में होती है, उदाहरण - वृक्षारोपण, नशामुक्ति आंदोलन, बाल सँस्कार शाला, साहित्य विस्तार इत्यादि में समयदान के साथ साथ अंशदान कर सकते हैं।
पांचवे स्तर पर व्यक्तिगत तौर पर - फेसबुक, व्हाट्सएप, न्यूज़पेपर यदि पहुंच हो तो वहां युगऋषि के विचार पोस्ट कर सकते हैं। मित्रों और परिवार वालो के बीच युगऋषि के संदेश देकर उन्हें मोटिवेट कर सकते हैं।
छठवें स्तर पर, रविवार के छुट्टी के दिन सप्ताह में एक बार आसपास के बच्चो में सँस्कार गढ़ने औऱ उन्हें अच्छा इंसान बनाने के लिए बाल सँस्कार शाला चला सकते हैं। महीने में एक बार आसपास की सोसायटी के दम्पत्तियों को एकत्र करके उन्हें हैप्पी पैरेंटिंग और गर्भ सँस्कार की वर्कशॉप दे सकते है। अवेयरनेस जगा सकते है। योग और ध्यान करवा सकते हैं। जन्मदिन और विवाहदिवस सँस्कार सामूहिक मना सकते है।
सातवे स्तर पर - महीने में एक बार किसी नज़दीकी स्कूल में सम्पर्क करके सुबह सुबह वर्कशॉप लेकर ऑफिस 10 बजे तक जा सकते है। बच्चो के बीच विचारमन्च आयोजित करके उन्हें पुरस्कृत कर सकते है।
आठवें स्तर पर - यदि रिसर्च में रुचि हो तो यग्योपैथी रिसर्च ग्रुप से जुड़कर यज्ञ और मंन्त्र पर हो रहे रिसर्च में भाग ले सकते है। अपनी सोसायटी में यग्योपैथी और मन्त्रचिकित्सा के जरिये लोगों को स्वास्थ्य प्रदान कर सकते है। वैकल्पिक चिकित्सा से सोसायटी को स्वस्थ कर सकते है।
नवें स्तर पर - स्वयं को मिशन के लिए एसेट बना सकते है, लेखन और वक्तव्य द्वारा अपने जैसे कार्यकर्ताओ के संगठन खड़े कर सकते है और कुछ यूनिक तरीक़े से कॉरपोरेट सेक्टर में युगनिर्माण योजना को पहुंचा सकते हैं।
हमारा अन्तःकरण सच्चा मार्गदर्शक है, लेकिन घर की चहारदीवारी में और ऑफिस की व्यस्तता में हम अपने अन्तःकरण की आवाज सुन नहीं पाते। अतः कुछ दिन दो या तीन दिन की छुट्टी लेकर युगतीर्थ शान्तिकुंज या गायत्री तपोभूमि मथुरा चले जाइए या किसी हिल स्टेशन में एकांत साधना कीजिये। स्वयं के भीतर बैठी गुरुसत्ता और अन्तःकरण को सुनिये। अपने जन्म के उद्देश्य को समझिए, और कार्ययोजना बनाकर वापस अपने घर आइये और युगनिर्माण में जुट जाइये। गुरूदेव आपको युगनिर्माण में आपका रोल और रिस्पांसिबिलिटी समझने में मदद करे, साथ ही आपको इस महान मिशन में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने की शक्ति सामर्थ्य दे।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय भाई, इस प्रश्न का उत्तर समझने से पहले आपको यह समझना होगा कि गुरु का कार्य क्या है?
गुरूदेव ने कलियुगी विचारधारा को सतयुगी विचारधारा में बदलने का कार्य युगनिर्माण योजना के रूप में दिया है। क्योंकि समस्या की जड़ विकृत चिंतन ही है।
इस लक्ष्य पूर्ति हेतु सप्त आन्दोलन और शत सूत्रीय कार्यक्रम दिए हैं।
अतः सर्वप्रथम आप वक्त निकाल कर क्रांतिधर्मी साहित्य की 20 छोटी पुस्तकों का स्वाध्याय शुरू कर दीजिये, जिससे रोडमैप क्या करना है क्लियर हो जाये। बिना पढ़े डॉक्टर नहीं बन सकते, इसी तरह बिन पढ़े युगनिर्माणि भी नहीं बन सकते। स्वाध्याय बन्द तो युगनिर्माण बन्द होना तय है । जैसे सांसारिक जॉब के लिए हम योग्यता अर्जित करते हैं, वैसे ही शान्तिकुंज में दी जा रही विभिन्न ट्रेनिंग प्रोग्राम में जाकर सम्बन्धित योग्यता अर्जित कर सकते हैं। सम्बन्धित हुनर होगा तो आत्मविश्वास बढ़ेगा।
दूसरे स्तर पर यह जानना जरूरी है कि जो कार्य लिस्ट आपको समझ आ गयी उसमें आप के लिए कौन सा बेस्ट है, इसके लिए स्वयं की स्ट्रेंथ गुरुकार्य हेतु जानने के लिए गुरुचरणों का ध्यान करते हुए गहन चिंतन कीजिये, मार्गदर्शन मिलेगा।
तीसरे स्तर पर, नज़दीकी शक्तिपीठ जाइये और वहां चल रही एक्टिविटी की लिस्ट देखिए, जिसमें आप सहयोग कर सकें उसमें जुट जाइये। समयदान कीजिये।
चौथे स्तर पर - समयदान के साथ साथ धन की आवश्यकता सभी रचनात्मक कार्यो में होती है, उदाहरण - वृक्षारोपण, नशामुक्ति आंदोलन, बाल सँस्कार शाला, साहित्य विस्तार इत्यादि में समयदान के साथ साथ अंशदान कर सकते हैं।
पांचवे स्तर पर व्यक्तिगत तौर पर - फेसबुक, व्हाट्सएप, न्यूज़पेपर यदि पहुंच हो तो वहां युगऋषि के विचार पोस्ट कर सकते हैं। मित्रों और परिवार वालो के बीच युगऋषि के संदेश देकर उन्हें मोटिवेट कर सकते हैं।
छठवें स्तर पर, रविवार के छुट्टी के दिन सप्ताह में एक बार आसपास के बच्चो में सँस्कार गढ़ने औऱ उन्हें अच्छा इंसान बनाने के लिए बाल सँस्कार शाला चला सकते हैं। महीने में एक बार आसपास की सोसायटी के दम्पत्तियों को एकत्र करके उन्हें हैप्पी पैरेंटिंग और गर्भ सँस्कार की वर्कशॉप दे सकते है। अवेयरनेस जगा सकते है। योग और ध्यान करवा सकते हैं। जन्मदिन और विवाहदिवस सँस्कार सामूहिक मना सकते है।
सातवे स्तर पर - महीने में एक बार किसी नज़दीकी स्कूल में सम्पर्क करके सुबह सुबह वर्कशॉप लेकर ऑफिस 10 बजे तक जा सकते है। बच्चो के बीच विचारमन्च आयोजित करके उन्हें पुरस्कृत कर सकते है।
आठवें स्तर पर - यदि रिसर्च में रुचि हो तो यग्योपैथी रिसर्च ग्रुप से जुड़कर यज्ञ और मंन्त्र पर हो रहे रिसर्च में भाग ले सकते है। अपनी सोसायटी में यग्योपैथी और मन्त्रचिकित्सा के जरिये लोगों को स्वास्थ्य प्रदान कर सकते है। वैकल्पिक चिकित्सा से सोसायटी को स्वस्थ कर सकते है।
नवें स्तर पर - स्वयं को मिशन के लिए एसेट बना सकते है, लेखन और वक्तव्य द्वारा अपने जैसे कार्यकर्ताओ के संगठन खड़े कर सकते है और कुछ यूनिक तरीक़े से कॉरपोरेट सेक्टर में युगनिर्माण योजना को पहुंचा सकते हैं।
हमारा अन्तःकरण सच्चा मार्गदर्शक है, लेकिन घर की चहारदीवारी में और ऑफिस की व्यस्तता में हम अपने अन्तःकरण की आवाज सुन नहीं पाते। अतः कुछ दिन दो या तीन दिन की छुट्टी लेकर युगतीर्थ शान्तिकुंज या गायत्री तपोभूमि मथुरा चले जाइए या किसी हिल स्टेशन में एकांत साधना कीजिये। स्वयं के भीतर बैठी गुरुसत्ता और अन्तःकरण को सुनिये। अपने जन्म के उद्देश्य को समझिए, और कार्ययोजना बनाकर वापस अपने घर आइये और युगनिर्माण में जुट जाइये। गुरूदेव आपको युगनिर्माण में आपका रोल और रिस्पांसिबिलिटी समझने में मदद करे, साथ ही आपको इस महान मिशन में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने की शक्ति सामर्थ्य दे।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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