Friday, 14 December 2018

प्रश्न - परेशानी की बात यह है कि फूफा जी बिना आयुर्वेद की प्रोफेशनल डिग्री/पढ़ाई किये हुए भी स्वयं को आयुर्वेदाचार्य समझते है और एलोपैथी के सख्त दुश्मन हैं।

प्रश्न - *मेरे फूफा जी सरकारी सर्विस में थे रिटायर हो गए है, बुआ जॉब करती है। दोनों बेटे जॉब करते है, बड़े बेटे-बहु दूसरे शहर में है और उनकी छोटी बहू को बच्चा होने वाला है। परेशानी की बात यह है कि फूफा जी बिना आयुर्वेद की प्रोफेशनल डिग्री/पढ़ाई किये हुए भी स्वयं को आयुर्वेदाचार्य समझते है और एलोपैथी के सख्त दुश्मन हैं। अतः बीमार पड़ने पर हॉस्पिटल नहीं जाने देते, बड़ी बहू की डिलीवरी घर पर करवाने के लिए अड़ गए थे, हालत बिगड़ने और दाई के बहुत समझाने पर हॉस्पिटल ले गए। छोटी बहू बड़ी भयाक्रांत है उनसे, हर वक्त उस पर नजर रखते है और उसे आराम करने नहीं देते, पूजा-पाठ यज्ञ और ध्यान करने नहीं देते है, फोन का उपयोग भी इंटरनेट, व्हाट्सएप हेतु करने नहीं देते, बुआ जी फूफा जी की हाँ में हाँ मिलाती है। कहते है कि नॉर्मल बच्चा चाहिए तो काम करो। ख़ुद फीका डायबटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर के कारण खाते है और पूरे परिवार को वही खिलाने की जिद करते है। मेरा बुआ का लड़का और उसकी पत्नी बहुत परेशान है। दोनों बड़े सीधे साधे है। मार्गदर्शन करें।*

उत्तर - आत्मीय बहन,

*श्रेष्ठता या महानता का व्यामोह (Delusion of grandeur)*: महानता की सनक लानेवाला पागलपन या महानता के व्यामोह में व्यक्ति अपने को कोई महान हस्ती और सर्वज्ञाता समझता है। यह मनोवैज्ञानिक बीमारी है, जिसका इलाज़ कठिन है। इसके उद्भव का मुख्य कारण मन मे छिपी कोई अतृप्त इच्छा या भावनात्मक चोट होती है। जो बाहर समाज से मिली होती है। वह तृप्ति मन स्वयं को कल्पना में एक महान शख्सियत के रूप में गढ़कर पूरी करता है, जिस सनक का खामियाजा पूरे परिवार को भुगतना पड़ता है। सनकी व्यक्ति यह समझता है कि वो परिवार के कल्याण के लिए सर्वश्रेष्ठ कार्य कर रहा है, उनका भला कर रहा है। जबकि वास्तव में वो परिवार वालो को प्रताड़ित करके मुसीबत में डालता है। आपके फूफाजी स्वयं की कल्पना में विश्व के नम्बर 1 आयुर्वेदाचार्य चरक और सुश्रुत की तरह है। अतः उन्होंने अपने नीचे वाले डॉक्टर और वैद्य को तुच्छ समझ रखा है। तो उन्हें कोई वैद्य या डॉक्टर द्वारा समझाना असम्भव है।

अपनी बुआ के लड़के और बहु को बोलिये, जिस प्रकार बीरबल अकबर की सनक को झेलते हुए भी बुद्धिप्रयोग से बेहतर जिंदगी जीते थे, आप दोनों को वही विधि अपनानी होगी। अकबर पढ़ा लिखा नहीं था, युद्ध कुशल था, और महान सनकी था, सत्ता के मद में मतवाला हाथी था। थोड़ी सी चूक सर धड़ से अलग करवा देता था। तो सोचो बीरबल उसे कैसे झेलता होगा? अतः दोनों को बोलो अकबर-बीरबल की कहानियां पढ़े या यूट्यूब पर देखे, बहु का मोबाइल बन्द है लेकिन बेटे का तो चालू है। रात को यूट्यूब पर देखें और सोचो पिता को अकबर और स्वयं को बीरबल और उनकी नाक के नीचे से शांतिपूर्वक अपना काम चलाओ। जहां समस्या है समाधान वहीं है। ऐसे लोग प्रशन्नता स्वयं की सुनना पसंद करते है, इन्हें मानसिक बीमार मानते हुए सुबह शाम उनकी महानता की प्रसंशा जरूर करो। किसी अन्य बहाने को बनाकर डॉक्टर को दिखाने जाओ और जरूरत का इलाज़ करवाओ। स्मार्ट बनो।

गायत्री सद्बुद्धि की देवी है, जब भी गायत्री जपो गुरूदेव और माता भगवती से प्रार्थना करो, कि इन्हें हैंडल करने की शक्ति सामर्थ्य दें, समस्या का समाधान मांगो। मन ही मन गायत्री जपो, और बुद्धि को समस्या गिनने की जगह 👉🏼समस्या का समाधान ढूंढने में लगाओ। स्थूल यज्ञ करने नहीं देगा, लेकिन मानसिक यज्ञ कौन रोक सकता है? स्थूल ध्यान नहीं करने देगा, लेकिन मन मे कोई ध्यानस्थ हो उसे कोई कैसे देख सकता है? स्थूल पुस्तक नहीं पढ़ने देगा, कोई बात नहीं। ब्रह्माण्ड की लाइब्रेरी को पढ़ने से तो नहीं रोक सकता... हिमालय जो लोग तप करने जाते है कोई किताब नहीं ले जाते लेकिन ज्ञानी बनकर लौटते हैं? बहु से बोलो ध्यान में किसी विचार का गहन अध्ययन करें उससे सम्बन्धित विचार उसमे उतरने लगेंगे।

बहु को बोलो - मन से भय निकाल दे, उसे किसी से भी डरने की जरूरत नहीं है, बच्चा स्वस्थ प्रशन्न होगा, वह मां गायत्री की शरण मे है माता किसी न किसी रूप में उस तक मदद पहुंचा देंगी।

बीमारी होती है तो हम इलाज ढूंढते है न कि बीमारी पर दोषारोपण करते है, इसी तरह पाप से घृणा करो पापी से नहीं, ससुर की सनक की समस्या(महानता के व्यामोह) से निपटो लेकिन ससुर से चिढ़ना मत, उसके दुर्व्यवहार पर उसके लिए अपने मन मे घृणा का भाव मत लाना, क्योंकि वह स्वयं अपनी बीमारी से अंजान है।। जब ससुर समक्ष हो बहु को बोलो कि मन ही मन गायत्री मंत्र जपकर भोजन परोसे और उनकी सद्बुद्धि की प्रार्थना करे।

दुनियाँ में ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसका समाधान शांत मन और गहन विचार मंथन से न ढूढ़ा जा सके। अतः समाधान ढूंढो। हर ताले की चाबी है, हर समस्या का समाधान है। नजरिया बदलो नजारे बदल जाएंगे। सब कुशल मंगल होगा। स्वस्थ सुंदर युगनिर्माणि उसके गर्भ से जन्मेगा।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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