Thursday, 6 December 2018

संक्रमण जनित रोग का यग्योपैथी से उपचार सम्भव है।*

*संक्रमण जनित रोग का यग्योपैथी से उपचार सम्भव है।*


यदि किसी को संक्रमण का रोग डायग्नोस् हो तो उस व्यक्ति को देवसंस्कृति विश्वविद्यालय से सम्बंधित संक्रमण के रोग की औषधीय हवन सामग्री मंगवाकर नित्य यज्ञ करने को बोलें, औषधीय धूम्र में बताया गया प्राणायाम करें, आहार-विहार में परिवर्तन के साथ साथ निम्नलिखित उपाय और अपनाएं:-

समस्त रोग की जड़ मन में होती है, अतः जड़ को क्लीन करके पोषण देने हेतु उगते हुए सूर्य का ध्यान करते हुए गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र जप के साथ निम्नलिखित स्वास्थ्य परक वांगमय का स्वाध्याय करें:-

1- जीवेम शरदः शतम (वांगमय नम्बर 41)
2- व्यक्तित्व विकास की उच्चस्तरीय साधनाएं(वांगमय नम्बर 20)
3- यज्ञ एक समग्र उपचार (वांगमय नम्बर 26)

निम्नलिखित छोटी पुस्तकें भी पढ़े:-

1- मानसिक संतुलन
2- दृष्टिकोण ठीक रखें
3- निराशा को पास न फटकने दें
4- हारिये न हिम्मत
5- अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार
6- मैं क्या हूँ?

आयु और आरोग्य बढ़ाने में पर पीड़ा पतन निवारण और दूसरों को खुशियां बांटना सबसे असर दायक है।

गरीब सरकारी स्कूल में बच्चो के बीच सँस्कार शाला चलायें, उनमें प्रतिस्पर्धा करके पेंसिल रबर कॉपी बांटे, उन्हें कहानी चुटकुले सुनाएं और जी भर के हंसे और दूसरों को हँसाये।

गौ मूत्र जबरजस्त एंटीबायोटिक और पोषण कर्ता है, प्राचीन भारतीय ऋषियों के ज्ञान पर अमेरिका ने 10 पेटेंट लिए हैं। अतः इसका खाली पेट एक बड़ा चम्मच जल में डाइल्यूट करके सेवन बड़ा लाभकारी है। गौ सेवा अत्यंत पुण्यदायी है।
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श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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