Tuesday, 4 December 2018

एक सवाल का जवाब दो, सोचो विचारो और फिर जवाब दो,

एक सवाल का जवाब दो,
सोचो विचारो और फिर जवाब दो,

क्या दृश्य और दृष्टा एक हो सकता है?
क्या सृष्टि और सृष्टा एक हो सकता है?

क्या वस्तु और बनाने वाला एक हो सकता है?
क्या साज और बजाने वाला एक हो सकता है?

क्या जड़ और चेतन एक हो सकता है?
क्या गाड़ी और ड्राइवर एक हो सकता है?

क्या जड़ शरीर ,
और चेतन आत्मा एक ही हो सकता है?
क्या विचार मन,
और सोचने वाला चेतन एक हो सकता है?

नहीं न...दोनों को अलग मानते हो..हैं न...

तुम क्या हो? जड़ शरीर या चेतन आत्मा?
तुम कौन हो? विचार मन या जीवात्मा?

जिस जड़ को चेतन चला रहा है,
जिस चेतन से ही जड़ गति पा रहा है,

क्या उस चेतन को जानने का प्रयास किया?
मैं क्या हूँ? कौन हूँ? कहाँ से आया हूँ?
इन प्रश्नों पर गहन विचार किया?

अरे जब हम शरीर नहीं है,
जब यह मन भी हम नहीं है,
जब हम चेतन आत्मा ही हैं,
तो फिर स्वयं से अनभिज्ञ क्यों है?
फिर स्वयं की असीमित शक्तियों से,
अनभिज्ञ - अंजान क्यों है?

सोचो सोचो, जवाब दो,
गहन विचार मंथन कर, जवाब दो...

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

जब युवा के मन मे यह प्रश्न उठेंगे, तब ही देवत्व के स्वरूप उभरेंगे।

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