Monday, 11 February 2019

प्रश्न - *पूजन में दीप जलाने के क्या फ़ायदे हैं? एक से अधिक कई दीपयज्ञ क्यों करते हैं? कृपया बतायें*

प्रश्न - *पूजन में दीप जलाने के क्या फ़ायदे हैं? एक से अधिक कई दीपयज्ञ क्यों करते हैं? कृपया बतायें*

उत्तर - आत्मीय भाई, युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी जो कि एक अध्यात्म के गूढ़ रहस्यों पर शोध करने वाले वैज्ञानिक थे, उन्होंने गायत्री मंत्र और यज्ञ पर विविध शोध किये। जिसे उन्होंने निम्नलिखित पुस्तकों(वांगमय) में प्रकाशित किया:-

1- गायत्री महाविज्ञान
2- व्यक्तित्व विकास की उच्चस्तरीय साधनाएं
3- प्रसुप्ति से जागृति की ओर
4- शब्द ब्रह्म नाद ब्रह्म
5- यज्ञ का ज्ञान विज्ञान
6- यज्ञ एक समग्र उपचार
7- चेतन, अचेतन और सुपरचेतन

भाई, भारतीय संस्कृति में कोई भी नियम या परंपरा खोखली नहीं है, पीछे ऋषियों की गहन रिसर्च होता है, सभी के पीछे एक सोचा समझा विज्ञान कार्य करता है। हमारे मनीषी ऋषियों ने गहन शोध के बाद ही हर उस नियम को जीवन से जोड़ा है, जो सार्वजनिक रूप से सकारात्मकता लाता है। दीपक जलाना भी एक ऐसा ही नियम है, जो जीवन को उसके मूलतत्वों से जोड़ता है और व्यक्ति को सकारात्मक रूप से ऊर्जावान बनाता है।

👉🏼 *सूर्य को ब्रह्मांड की समस्त ऊर्जा का केंद्र*
पहली बात - हमारे यहां सूर्य को ब्रह्मांड की समस्त ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। सूर्य ही समस्त ग्रहों की चेतना का आधार है, उससेे ही जीवन प्रारंभ और पोषित होता है। इसीलिए भारतीय संस्कृति में सूर्य को देवता मान पूजा जाता है। इसी तारतम्य में धरती पर अग्नि को सूर्य की ऊर्जा का परिवर्तित रूप माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि अग्नि की उपस्थिति में प्रारंभ किए गए समस्त कार्य अवश्य ही सफल होते हैं। इस प्रकार हर कार्यक्रम की सफलता की कामना के लिए प्रारंभ में दीपक जलाया जाता है।

👉🏼 *हमारा शरीर पंचतत्वों से बना है*
दूसरी बात यह है कि हमारा शरीर पंचतत्वों से बना है, जिनमें धरती, आकाश, अग्नि, वायु और जल सम्मिलित हैं। इनमें भी अग्नि हमारे अस्तित्व का एक अटूट हिस्सा है। माना जाता है कि जब हम किसी कार्यक्रम, पूजा-पाठ आदि के प्रारंभ में दीप प्रज्वलित करते हैं तो उसी के साथ हम अपने अस्तित्व को जीवंत कर रहे होते हैं। शरीर का अग्नितत्व और अग्निचक्र दीपक, यज्ञाग्नि से शक्ति प्राप्त करते हैं और ऊर्जावान होते हैं।

👉🏼 *सूर्य या अग्नि ऊर्जा के स्रोत हैं*
तीसरी बात यह है कि ब्रह्मांड का निर्माण भी पंचतत्वों के न्यूनाधिक संयोजन से हुआ माना जाता है। इसीलिए पंचतत्वों में सम्मिलित अग्नि महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि वह ऊर्जा का मुख्य स्रोत होती है। समस्त ब्रह्मांड सूर्य या अग्नि से ही ऊर्जा पाता है। इसीलिए जब हम किसी धार्मिक या सांस्कृतिक कार्यक्रम से पहले दीपक जलाते हैं तो समस्त ब्रह्मांड की ऊर्जा वहां केंद्रीभूत हो जाती है। इसे आप औरा स्कैनर मशीन से चेक कर सकते हैं। यूट्यूब पर डॉक्टर ममता सक्सेना(पीएचडी यग्योपैथी, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार, उत्तराखंड) के यज्ञ पर हुए विविध वैज्ञानिक शोध को देख सुन व समझ सकते हैं। 

👉🏼पूजन के दौरान दीपक तो आप भी जलाते ही होंगे लेकिन उपरोक्त ज्ञान-विज्ञान बहुत कम लोग जानते हैं।

👉🏼 *आइये दीपक जलाने का दर्शन भी समझ लेते हैं।*

- हम ईश्वर को प्रकाश के रूप में मानते हैं,  इसलिए दीपक जलाकर उसकी ज्योति के रूप में ईश्वर को स्थापित करते हैं।

- दीपक जलाकर पूजा करने से एकाग्रता और उर्जा दोनों प्राप्त होती है। मन में प्रकाश प्रवेश करता है और सकारात्मकता बढ़ती है।

- अलग-अलग मुखी दीपक जलाकर अलग मनोकामनाएं पूरी की जा सकती हैं। जैसे घर की नकारात्मक ऊर्जा शमन करने के लिए चार बाती को क्रॉस करते हुए सरसों के तेल से जलाना।

- आमतौर पर एकमुखी दीपक शुद्ध घी से जलाना सबसे उत्तम होता है, क्योंकि आत्मा में परमात्मा को धारण करने का उपक्रम है। दीप आत्मज्योति का भी प्रतीक है। नित्य पूजन और अनुष्ठान में एक मुखी दीपक ही जलाया जाता है। नित्य स्वयं को ऊर्जावान बनाने के लिए घी का दीपक जलाकर कम से कम 108 बार गायत्री जप अवश्य करें।

👉🏼 तनावमुक्ति और मानसिक शांति के लिए दीपक के समझ जप करने से लाभ मिलता है।

👉🏼 दीपयज्ञ वास्तव में यज्ञ का ही एक रूप है, जिसमें अग्नि को कई दियों में प्रज्ववलित करके स्वचालित मानसिक यज्ञ आहुति क्रम गायत्री मंत्र के साथ किया जाता है। मंन्त्र की शब्द ऊर्जा और अग्नि ऊर्जा मिलकर प्राण ऊर्जा को चार्ज करती है।

👉🏼 गायत्री मंत्र जप के लाभ तो आप सबको पता हैं ही, यदि पुनः जानना चाहते हैं तो निम्नलिखित लिंक पर जाएं दर्शन, विज्ञान और गायत्री मंत्र पर हुई रिसर्च पढ़े:-

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=642829612804154&id=596434594110323

🙏🏻 युगऋषि कहते हैं, अज्ञान होना उतनी लज्जा की बात नहीं, जितनी की सीखने के लिए तैयार न होना।
🙏🏻 आज अधिकतर युवा भटक गया है, वो पाश्चात्य का ग़ुलाम है, और अधिकतर वृद्ध कुछ नया सीखने को तैयार नहीं हैं, वो रूढ़िवादी परम्परा का गुलाम है। लकीर के फ़क़ीर है। वैज्ञानिक अध्यात्म और प्राचीन ऋषियों का ज्ञान जब तक पढ़ेंगे नहीं तो जानेंगे कैसे? AIIMS और NASA भारतीय मंत्रविज्ञान और रिसर्च को वरीयता देते हुए शोध कर रहे हैं, लेकिन भारतीय जनता तो टीवी सीरियल और फिल्मों के एक्टर ऐक्ट्रेस को गुरु मान बैठी है। उनकी नकल करने में व्यस्त है।
🙏🏻 शर्मनाक बात तब होती है, जब पढ़े लिखे लोग स्वास्थ्य और ऊर्जा को नष्ट करने वाले सिगरेट औऱ नशे के नुकसान को जानते हुए पीते हैं। स्वास्थ्य और ऊर्जा को बढ़ाने वाले प्राचीन विधिव्यवस्था गायत्री मंत्र, यज्ञ, ध्यान, योग, प्राणायाम, घी के दीपक के समक्ष प्रार्थना को नहीं अपनाते। नशे के समर्थन में कुतर्क और अध्यात्म की उपेक्षा में कुतर्क करते हैं।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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