प्रश्न - *बच्चे हँसते खेलते हुए जब अचानक बीमार होते हैं, तो घर के बुज़ुर्ग कहते हैं नज़र लग गयी। यह अंधविश्वास है या इसके पीछे कोई सच्चाई है। यदि सचमुच नजर लगती है तो इसे ठीक करने के उपाय बताएँ।*
उत्तर - आत्मीय बहन, प्रत्येक शरीर में मानवीय विद्युत/बिजली/ऊर्जा होती है, आंखों के माध्यम से नकारात्मक ऊर्जा और सकारात्मक ऊर्जा दोनों ही किसी अन्य व्यक्ति पर छोड़ी जा सकती है प्रभावित किया जा सकता है।
ठीक उसी प्रकार जैसे हाथ के स्पर्श से किसी को सकारात्मक ऊर्जा या नकारात्मक ऊर्जा दी जा सकती है।
*📖 मानवीय विद्युत के चमत्कार को समझने के लिए पुस्तक पढ़ें*:-
http://literature.awgp.org/book/Wondersof_Human_Bioelectricity/v2
*नजर कैसे लगती है, इसे अखण्डज्योति के निम्नलिखित लेख में पढ़े:-* http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1940/January/v2.28
👉🏼 *साधारण बच्चे की मानवीय विद्युत बड़े व्यक्ति से कम होती है, वह व्यक्ति जो निःसन्तान हो या सन्तान प्राप्ति को लालायित हो या ईर्ष्यालु हो, ऐसे पुरुष या महिला बच्चे को ज्यादा देर तक देखे या गोद में लें तो बच्चे की सकारात्मक ऊर्जा सोख लेते है और नकारात्मक ऊर्जा डाल देते हैं। बच्चा बीमार पड़ जाता है।*
किसी अनजान या ईर्ष्यालु या कुसंस्कारी नाते रिश्तेदारों की गोद में बच्चा नहीं देना चाहिए।
🙏🏻 *गायत्री साधना और यज्ञ करने वाली स्त्री के गर्भ से जन्में बच्चो को जल्दी नज़र नहीं लगती। क्योंकि माँ की सकारात्मक ऊर्जा लेकर वो पैदा होता है। साथ ही नित्य साधना करने वाले माँ और पिता के स्पर्श से उसकी प्राणऊर्जा बढ़ती रहती है। घर में यज्ञ से उतपन्न मंन्त्र पूरित धूम्र ऊर्जा 24 घण्टे तक बना रहता है, ऐसे घर में किसी की नकारात्मक ऊर्जा काम नहीं करती। तो घर में नज़र नहीं लग सकती।*
👉🏼 *नज़र यदि लग गयी हो तो, जिस हवनकुंड में कम से कम 108 गायत्री मंत्र की आहुति हुई हो उसकी भष्म कपड़े से छानकर रख लें। या युगतीर्थ शान्तिकुंज, गायत्री तपोभूमि मथुरा या नजदीकी शक्तिपीठ से भष्म मांगकर ले आएं। अब उस भष्म को तर्जनी और अँगूठे की मदद से एक चुटकी पकड़ लें और कम से कम 24 गायत्री मंत्र बच्चे को देखते हुए जपें, 5 महामृत्युंजय मंत्र जपें। फ़िर उस भष्म को हल्के से मुंह से फूँक मारकर उस बच्चे के ऊपर बिखेर दें। थोड़ा माथे पर लगा दें, थोड़ा उसे जीभ में लगा दें और थोड़ा सा पेट में स्पर्श करा दें। इस प्रक्रिया से आप यज्ञ भष्म को अभिमंत्रित करके और अपनी सकारात्मक ऊर्जा को बच्चे के अंदर प्रवेश करवा देते हैं। जो उसके ऊर्जा शरीर को चार्ज कर देता है। उसकी रोगप्रतिरोधक बढ़ा देता है।*
👉🏼 *ध्यान में बैठें और भावना करें कि आप बच्चे के ऊर्जा शरीर को अपने दोनों हाथों से शक्ति प्रदान कर रहे हैं। ब्रह्माण्ड से नीली नीली रौशनी उस बच्चे के समस्त चक्रों को जागृत कर रही है, वो प्रकाशित हो रहा है, स्वस्थ हो रहा है और ऊर्जावान बन रहा है। गायत्री मंत्र जपिये। यह प्राणिक हिंलिंग है, जिसे रेकी भी कहते हैं।*
👉🏼 *अंत में शांतिपाठ कर दीजिए*
नोट- *अगर बच्चा स्वस्थ भी है और आप उसको और ऊर्जावान बनाना चाहते है, तो प्राणिक हिंलिंग कर सकते हैं। स्वयं पर भी प्राणिक हिंलिंग करके लाभ उठा सकते हो*।
प्राणिक हिंलिंग के विस्तृत प्रयोग को जानने हेतु पुस्तक 📖 *प्राण चिकित्सा विज्ञान* पढ़ें:-
http://literature.awgp.org/book/Pran_Chikitsa_Vigyan/v1
🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
नोट:- मनुष्य की सीमित बुद्धि में जो ज्ञान नहीं समाता या जो समझ नहीं आता। उसे वो यदि मान लेता है तो वो उसे चमत्कार या अंधविश्वास की संज्ञा दे देता है। जबकि यह मात्र ऊर्जा का विज्ञान है जिसके नियम सबपर लागू होते हैं मानो या न मानो।
जो ऊर्जा के नियम को जान लेता है उसके लिए यह एक विज्ञान ही है। जल में भी विद्युत है और मनुष्य में भी विद्युत है। ज्ञानार्जन द्वारा मनचाहा प्रयोग संभव है। घर भी रौशन कर सकते हो और असावधानी में करंट भी खा सकते हो।
उत्तर - आत्मीय बहन, प्रत्येक शरीर में मानवीय विद्युत/बिजली/ऊर्जा होती है, आंखों के माध्यम से नकारात्मक ऊर्जा और सकारात्मक ऊर्जा दोनों ही किसी अन्य व्यक्ति पर छोड़ी जा सकती है प्रभावित किया जा सकता है।
ठीक उसी प्रकार जैसे हाथ के स्पर्श से किसी को सकारात्मक ऊर्जा या नकारात्मक ऊर्जा दी जा सकती है।
*📖 मानवीय विद्युत के चमत्कार को समझने के लिए पुस्तक पढ़ें*:-
http://literature.awgp.org/book/Wondersof_Human_Bioelectricity/v2
*नजर कैसे लगती है, इसे अखण्डज्योति के निम्नलिखित लेख में पढ़े:-* http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1940/January/v2.28
👉🏼 *साधारण बच्चे की मानवीय विद्युत बड़े व्यक्ति से कम होती है, वह व्यक्ति जो निःसन्तान हो या सन्तान प्राप्ति को लालायित हो या ईर्ष्यालु हो, ऐसे पुरुष या महिला बच्चे को ज्यादा देर तक देखे या गोद में लें तो बच्चे की सकारात्मक ऊर्जा सोख लेते है और नकारात्मक ऊर्जा डाल देते हैं। बच्चा बीमार पड़ जाता है।*
किसी अनजान या ईर्ष्यालु या कुसंस्कारी नाते रिश्तेदारों की गोद में बच्चा नहीं देना चाहिए।
🙏🏻 *गायत्री साधना और यज्ञ करने वाली स्त्री के गर्भ से जन्में बच्चो को जल्दी नज़र नहीं लगती। क्योंकि माँ की सकारात्मक ऊर्जा लेकर वो पैदा होता है। साथ ही नित्य साधना करने वाले माँ और पिता के स्पर्श से उसकी प्राणऊर्जा बढ़ती रहती है। घर में यज्ञ से उतपन्न मंन्त्र पूरित धूम्र ऊर्जा 24 घण्टे तक बना रहता है, ऐसे घर में किसी की नकारात्मक ऊर्जा काम नहीं करती। तो घर में नज़र नहीं लग सकती।*
👉🏼 *नज़र यदि लग गयी हो तो, जिस हवनकुंड में कम से कम 108 गायत्री मंत्र की आहुति हुई हो उसकी भष्म कपड़े से छानकर रख लें। या युगतीर्थ शान्तिकुंज, गायत्री तपोभूमि मथुरा या नजदीकी शक्तिपीठ से भष्म मांगकर ले आएं। अब उस भष्म को तर्जनी और अँगूठे की मदद से एक चुटकी पकड़ लें और कम से कम 24 गायत्री मंत्र बच्चे को देखते हुए जपें, 5 महामृत्युंजय मंत्र जपें। फ़िर उस भष्म को हल्के से मुंह से फूँक मारकर उस बच्चे के ऊपर बिखेर दें। थोड़ा माथे पर लगा दें, थोड़ा उसे जीभ में लगा दें और थोड़ा सा पेट में स्पर्श करा दें। इस प्रक्रिया से आप यज्ञ भष्म को अभिमंत्रित करके और अपनी सकारात्मक ऊर्जा को बच्चे के अंदर प्रवेश करवा देते हैं। जो उसके ऊर्जा शरीर को चार्ज कर देता है। उसकी रोगप्रतिरोधक बढ़ा देता है।*
👉🏼 *ध्यान में बैठें और भावना करें कि आप बच्चे के ऊर्जा शरीर को अपने दोनों हाथों से शक्ति प्रदान कर रहे हैं। ब्रह्माण्ड से नीली नीली रौशनी उस बच्चे के समस्त चक्रों को जागृत कर रही है, वो प्रकाशित हो रहा है, स्वस्थ हो रहा है और ऊर्जावान बन रहा है। गायत्री मंत्र जपिये। यह प्राणिक हिंलिंग है, जिसे रेकी भी कहते हैं।*
👉🏼 *अंत में शांतिपाठ कर दीजिए*
नोट- *अगर बच्चा स्वस्थ भी है और आप उसको और ऊर्जावान बनाना चाहते है, तो प्राणिक हिंलिंग कर सकते हैं। स्वयं पर भी प्राणिक हिंलिंग करके लाभ उठा सकते हो*।
प्राणिक हिंलिंग के विस्तृत प्रयोग को जानने हेतु पुस्तक 📖 *प्राण चिकित्सा विज्ञान* पढ़ें:-
http://literature.awgp.org/book/Pran_Chikitsa_Vigyan/v1
🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
नोट:- मनुष्य की सीमित बुद्धि में जो ज्ञान नहीं समाता या जो समझ नहीं आता। उसे वो यदि मान लेता है तो वो उसे चमत्कार या अंधविश्वास की संज्ञा दे देता है। जबकि यह मात्र ऊर्जा का विज्ञान है जिसके नियम सबपर लागू होते हैं मानो या न मानो।
जो ऊर्जा के नियम को जान लेता है उसके लिए यह एक विज्ञान ही है। जल में भी विद्युत है और मनुष्य में भी विद्युत है। ज्ञानार्जन द्वारा मनचाहा प्रयोग संभव है। घर भी रौशन कर सकते हो और असावधानी में करंट भी खा सकते हो।
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