प्रश्न - *क्या ससुराल में प्रॉपर्टी में अपना हक मांगना आध्यात्मिक रूप से जायज है?*
उत्तर - आत्मीय बहन, पिता की सम्पत्ति में सभी संतानों का बरबार हक होता है। यदि पिता वसीयत करके नहीं जाते तो ऐसी अवस्था मे अपने हिस्से के सम्पत्ति को मांगना सर्वथा उचित है और आध्यात्मिक रूप से सही भी है।
धन के सदुपयोग की व्यवस्था रखें, किसी के हक का लीजिये मत और अपने हक का छोड़िए मत। भाई बहनों से मित्रभाव रखिये, अत्यंत जरूरत पड़ने पर उनकी मदद अवश्य कीजिये।
दान सुपात्र और सुयोग्य को देना चाहिए, सम्पत्ति का सदुपयोग करना चाहिए। माता पिता की सेवा करनी चाहिए। अपनी संतानों को सुयोग्य बनाकर उनके लिए सम्पत्ति रखने के साथ साथ स्वयं की वृद्धावस्था में आत्मनिर्भर रहने के लिए धन-संपत्ति बचाकर रखनी चाहिए। कभी भी बच्चों पर आर्थिक रूप से निर्भर नहीं होना चाहिए।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय बहन, पिता की सम्पत्ति में सभी संतानों का बरबार हक होता है। यदि पिता वसीयत करके नहीं जाते तो ऐसी अवस्था मे अपने हिस्से के सम्पत्ति को मांगना सर्वथा उचित है और आध्यात्मिक रूप से सही भी है।
धन के सदुपयोग की व्यवस्था रखें, किसी के हक का लीजिये मत और अपने हक का छोड़िए मत। भाई बहनों से मित्रभाव रखिये, अत्यंत जरूरत पड़ने पर उनकी मदद अवश्य कीजिये।
दान सुपात्र और सुयोग्य को देना चाहिए, सम्पत्ति का सदुपयोग करना चाहिए। माता पिता की सेवा करनी चाहिए। अपनी संतानों को सुयोग्य बनाकर उनके लिए सम्पत्ति रखने के साथ साथ स्वयं की वृद्धावस्था में आत्मनिर्भर रहने के लिए धन-संपत्ति बचाकर रखनी चाहिए। कभी भी बच्चों पर आर्थिक रूप से निर्भर नहीं होना चाहिए।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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