Wednesday, 13 February 2019

प्रश्न - *हमारे घर विपत्तियों ने डेरा डाल रखा है, एक ख़त्म होती नही कि दूसरी उत्तपन्न हो जाती है। मेरा बेटा जब पूँछता है तो कहती हूँ प्रारब्ध है तो पूँछता है कि हम सारे पापी क्या एक ही घर में पैदा हुए हैं?*

प्रश्न - *हमारे घर विपत्तियों ने डेरा डाल रखा है, एक ख़त्म होती नही कि दूसरी उत्तपन्न हो जाती है। मेरा बेटा जब पूँछता है तो कहती हूँ प्रारब्ध है तो पूँछता है कि हम सारे पापी क्या एक ही घर में पैदा हुए हैं?*

उत्तर - आत्मीय बहन, बेटे को गोद में लीजिये और उससे कहिये, इस संसार में जन्मने से पूर्व कोई व्यक्ति आर्थिक संपन्नता के लिए यह तय नहीं कर सकता कि हम कहाँ जन्मेंगे? यदि ऐसा होता तो लोग टाटा-बिड़ला और अरबपतियों के घर ही चुनते।

ग़रीब जन्मना हमारा प्रारब्ध है, लेक़िन यदि हम ग़रीब मरते हैं तो यह हमारी जिम्मेदारी है और अकर्मण्यता की निशानी होगी।

एक ही प्रकार की विपरीत परिस्थिति में कोई कोयला खदान और बंधुआ मजदूरी से निकलकर अमेरिका जैसे देश का राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन बन जाता है। एक ही प्रकार की गरीब परिस्थिति में कोई चायवाले से भारत देश का प्रधानमंत्री मोदी बन जाता है। किस्से क़ामयाबी के और जोश टाक यूट्यूब में बच्चे को दिखाओ कि कैसे एक मजदूर लेदर जंक्शन का मालिक बना, कैसे एक साधारण लड़का इंटेक्स कम्पनी का मालिक बना?

यह विश्व महान संभावनाओं से भरा पड़ा है, लेक़िन जो लोग हाथ पर हाथ धरे यह सोचते हैं कि मेरी तो किस्मत खराब है और जीवन की समस्याएं गिनते हैं। उनका जीवन कभी नहीं सुधरता। लेकिन जो लोग समस्याओं से कहते हैं कि मैं विजेता हूँ तुम्हें परास्त कर दूंगा और एक नया इतिहास लिखूँगा वो इतिहास बना लेते हैं।

क़िस्मत के भरोसे बैठे लोगों के हाथ केवल उतना लगता है जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं।

मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता आप है। ईश्वर और टीचर मार्गदर्शन करते हैं। लेक़िन अर्जुन की तरह अपना युद्ध स्वयं लड़ना पड़ता है, विद्यार्थी की तरह अपना एग्जाम स्वयं पास करना पड़ता है।

बेटे हम लोगों ने पिछले जन्म में अपनी किस्मत अच्छी बनाने में चूक गए, लेकिन चलो इस जन्म में मिलकर अच्छी किस्मत बनाते हैं। भाग्य और पुरुषार्थ की चाबी से सौभाग्य और सफ़लता मिलती है। भाग्य की चाबी तप से मिलती है, मैं तप करूंगी और तुम पुरुषार्थ करो, इतनी मेहनत करो और सफल बनो कि तुम्हारी सन्तान को तुम पर गर्व हो, हम सबको तुम पर गर्व हो। तुम भी जोश टाक और किस्से कामयाबी के मंच पर जाकर अपनी सफलता के किस्से सुनाओ।

जितना बड़ा संघर्ष होगा, बेटे उतनी बड़ी सफ़लता होती है।

अब निर्णय तुम्हें लेना हैं कि रोज जीवन की समस्या गिनोगे और स्वयं के मनोबल को तोड़ोगे या रोज एक एक समस्या को तोड़ोगे, उसका समाधान ढूंढोगे और मनोबल-आत्मविश्वास बढ़ाते चलोगे।

उद्यमी पुरुषः बपुतः लक्ष्मी:, उद्यमी पुरुष के पास लक्ष्मी स्वयं चलकर आती हैं। ईश्वर उसकी मदद करता है जो अपनी मदद स्वयं करता है। गाड़ी का कीचड़ में फँसना प्रारब्ध है, सर पर हाथ रखकर कीचड़ का रोना रोना कायरता-अकर्मण्यता है, गायत्री जप और ध्यान द्वारा दिमाग को एकाग्र कर समस्या का समाधान ढूंढना बुद्धिमानी है और पुरुषार्थ द्वारा गाड़ी को कीचड़ से बाहर निकालना बहादुरी और समझदारी है।

अतः बेटे आज से चलो, हम समस्या को गिनने की जगह समाधान ढूंढने में जुटते हैं। हम सब सैनिक की तरह समस्या से लड़ेंगे या शहीद हो जाएंगे या विजय पाएंगे। इतिहास के पन्नो में वीर कहलायेंगे। स्वयं की नज़रों में ऊपर उठेंगे और गर्व से कहेंगे की हमने कभी हार नहीं मानी, हम विजेता की तरह लड़े।

आज से उन लोगों की जीवनियाँ पढ़ेंगे औऱ उनसे प्रेरणा लेंगे जिन्होंने गरीबी से अमीरी तक का सफ़र तय किया, जिन्होंने न सिर्फ  स्वयं को योग्य बनाया बल्कि अनेकों के प्रेरणाश्रोत बनकर उनके जीवन को भी रौशन किया।

हम दिमाग़ की कुशलता बढ़ाने के लिए गायत्री जप और ध्यान नित्य करेंगे और कुशलतापूर्वक अपनी किस्मत नए तरीके से लिखेंगे।

युगऋषि परमपूज्य गुरुदेव की लिखी निम्नलिखित पुस्तकें स्वयं पढ़िये और बच्चे को पढाईये:-
1- गहना कर्मणो गतिः(कर्मफ़ल का सिद्धांत)
2- सफ़लता आत्मविश्वासी को मिलती है
3- दृष्टिकोण ठीक रखें
4- शक्तिवान बनिये
5- प्रबन्धव्यवस्था एक विभूति एक कौशल
6- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
7- निराशा को पास न फटकने दें
8- सफ़लता के सात सूत्र साधन
9- जीवन जीने की कला
10- अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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