प्रश्न - *दी, मैं कम्पटीशन की तैयारी कर रहा हूँ, जिस कोचिंग में पढ़ता हूँ वहीं पास में रहता हूँ। क्षमा करें यह प्रश्न पूंछने का साहस कर रहा हूँ, लेकिन एक समस्या है कि वासनात्मक- विचारों से ग्रसित हूँ। मैं लड़कियों की ओर कुदृष्टि नहीं रखना चाहता लेकिन बेबसी महसूस होती है। मेरे दोस्त और साथ पढ़ने वाले के अन्य लड़को में अधिकतर गन्दी बातों और कुकृत्य में हैं। लिवइन रिलेशनशिप में कई लोग हैं, ये लोग गन्दे वीडियो देखते और साहित्य पढ़ते हैं। लड़कियाँ स्वयं लिवइन को ओके मानती हैं।*
*मेरी माँ धार्मिक है उन्होंने मुझे अच्छे सँस्कार दिए, उनके कहने पर ही मैं आपके फेसबुक पोस्ट पढ़ने लगा, मेरे जीवन में परिवर्तन भी आ रहा है। लेकिन माँ के दिये अच्छे संस्कारों की रक्षा करने में बड़ी कठिनाई होती है। बड़ा अंतर्द्वंद्व होता है। माँ ने कहा है कि कोई समस्या या उलझन हो तो आपसे पूँछ सकता हूँ, दी, प्लीज़ मेरा मार्गदर्शन करें जिससे इस वासना के युद्ध को जीत सकूँ और पढ़ाई में मन लगा सकूँ।*
उत्तर - आत्मीय बेटे, आपकी माता को चरण स्पर्श कर प्रणाम! जिनके दिये अच्छे सँस्कार तुम्हें पाप करने से रोक रहे हैं।
लेकिन यह जानकर दुःख हुआ कि दोस्तों की बुरी संगति और आसपास कामोत्तेजक परिस्थितियाँ तुम पर हावी हो रही है। जिसके कारण तुम अंतर्द्वंद्व की विकटता में उलझ गए हो।
👉🏼 *व्यभिचार के दुष्परिणाम* :-
बेटे, व्यभिचारी और दुराचारिणी स्त्री हो या पुरुष इनका स्वभाव और व्यवहार दूषित होता है। इनका नकारात्मक ऊर्जा युक्त वायुमण्डल इतना प्रभावी होता है कि यह युवाओं को अपने जैसा व्यभिचारी बनाने में सफल हो जाते हैं।
शुरू शुरू में प्रायः चोरी, अनैतिक कर्म और व्यभिचार करने में झिझक होती है और आत्मा कचोटती है।लेक़िन निरन्तर अभ्यास में आने के बाद अंतरात्मा में से देवत्व लुप्त हो जाता है, अन्तःकरण कलुषित हो जाता है और आसुरी-पैशाचिक प्रवृत्ति हावी हो जाती है। फिर ऐसे कुकर्मियों को निर्भयाकांड और प्रायमरी स्कूल की बच्चियों को नुकसान पहुंचाने में भी झिझक नहीं होती और हाथ नहीं कांपता।
ऐसे लोग चिड़चिड़े, झुंझलाहट लिए, अतृप्त, अशांत, अस्थिर, कामी, लोलुप, बैचेन और व्यग्र होते हैं। इनकी घटती प्राणऊर्जा के कारण शरीर और सर में दर्द, कब्ज, खुश्की, प्यास-त्रास, अनिंद्रा, थकावट, दुःस्वप्न और दुर्गंध इत्यादि के विकार बढ़ने लगते हैं।
व्यभिचार स्त्री करे या पुरुष दोनों की जीवनीशक्ति घटती है, मानसिक एवं शारीरिक रोगों से शरीर भर जाता है- मल-मूत्र नलिका के अनेक गम्भीर रोग, कमज़ोर हृदय, रीढ़ की हड्डी की बीमारी, पसलियों के रोग सम्बन्धी अनेक घृणित बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं।
बेटे, जिन युवाओं ने विवाह से पूर्व कई लोगों से बिना भावनात्मक और आध्यात्मिक जुड़ाव के शारीरिक रिश्ते बनाएं, वो जीवनीशक्ति घटा चुके होते हैं। ऐसे लोग जब विवाह करते हैं तो उनका घर कभी बसता नहीं, और संताने हमेशा रोगी और मानसिक रूप से कमज़ोर पैदा होती हैं। यह कभी सुखी नहीं हो पाते, विभिन्न रोगों से ग्रसित होकर अशांत और व्यग्र जीवन जीते हुए बेमौत मरते हैं।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
*अब तय युवाओं को करना है कि* - 20 से 50 वर्ष के बीच की यौवन को को कुछ वर्षों में ख़र्च देना है और बाक़ी उम्र अशांत व्यग्र बेचैन और रोगी बनकर जीना है, रुग्ण और विकृत समाज का निर्माण करना है, जहां प्रायमरी स्कूल के बच्चे-बच्चियां भी यौन शोषण का शिकार हों। रुग्ण मानसिकता और शरीर के सन्तान पाना है।
या
विवाह के पवित्र बंधन में बंध कर आनंदित प्यार-सहकार से भरा ऊर्जावान जीवन बिताना है। श्रेष्ठ सन्तान प्राप्त करना है। श्रेष्ठ समाज का निर्माण करना है।
सरकार और आम जनता दोनों को मिलकर स्वस्थ सभ्य समाज का निर्माण करना होगा। ताकि तुम जैसे बच्चों को इन अंतर्द्वंदों का सामना ही न करना पड़े।
👉🏼 *व्यभिचार और वासनात्मक मानसिक उलझन से बचने के सांसारिक उपाय* :-
1- सिनेमा, टीवी सिरियल और विज्ञापन मनोरंजन की आड़ में व्यभिचार की दुकान हैं और देवसंस्कृति को विनाश करने के उपाय हैं। इनसे दूर रहो।
2- अश्लील साहित्य, गाने और पत्रिकाएं कामोत्तेजक होती हैं, *युगऋषि अपनी पुस्तक - प्राणघातक व्यसन* में लिखते हैं कि ये युवा मन में व्यभिचार का बीजारोपण करते हैं। यह विषय भोग सम्बन्धी साहित्य वैसा ही घातक है जैसा भले चंगे व्यक्ति के लिए विष।
3- टीवी सीरियल, फ़िल्म घर बैठे चोरी और अनैतिक कर्म करने की ट्रेनिंग देते हैं, शराब पीना और नशा करना सिखाते हैं। निर्लज्जता और व्यभिचार सिखाते हैं। अतः बेटे इन्हें देखोगे, तो ये दुर्गणों का स्वयं में बीजारोपण तय मानो, मानसिक व्यभिचार तो तुरन्त दिमाग़ में एक्टिवेट हो जाता है। मन फ़िर उस कुकल्पना को साकार करने के लिए आसपास उपलब्ध प्रेमी प्रेमिका को ढूंढता है। अतः इनसे दूर रहो।
4- घर में चलते टीवी सीरियल, घर मे और आसपड़ोस में बजते अश्लील गाने नई पीढ़ी में कामांधता के विष घोल रहे हैं। बचपन में मिले गन्दे दूषित सँस्कार हमारे राष्ट्र को कामुक और चरित्रहीन बना देंगे। देश विदेशों की तरह भविष्य में नाज़ायज बच्चों से भर जाएगा। अतः इनसे दूरी बनाये।
5- नशा नाश की जड़ है और व्यभिचार-अपराध की उपज है। इससे दूर रहें।
6- जैसी संगत वैसी रंगत, बुरे दोस्तों की संगति बुरा बना देती है। इनसे दूर रहें।
7- अच्छे दोस्त की संगति मनोबल बढ़ाती है, अच्छा बनाती है।
👉🏼👉🏼 *व्यभिचार और वासनात्मक मानसिक उलझन से बचने के आध्यात्मिक उपाय* :-
1- बेटे पूरी दुनियां पर अपना नियन्त्रण नहीं है, लेक़िन ख़ुद पर तो नियंत्रण किया जा सकता है। जिस प्रकार गन्दा साहित्य हमें नर पशु और नर पिशाच बनाता है, वैसे ही अच्छा साहित्य हममें देवत्व गढ़ता है, और हमें देवता बनाता है।
2- जिस प्रकार गन्दा विचार वासना को उद्दीप्त करता है, उसी तरह अच्छे विचार वासना को शांत करते हैं। इसलिए रोज सुबह शाम अच्छी पुस्तकों का अध्ययन करो और अच्छे विचारों का चिंतन करो।
3- गन्दे गाने भावनाओ को कलुषित करते हैं उसी तरह अच्छे अच्छे भजन भावनाओं को शुद्ध करते हैं। संस्कृत के श्लोक, चालीसा और मन्त्रों का निरन्तर जप भावनाओं को निर्मल करता है। भाव शरीर शुद्ध होता है। अतः रोज अच्छे भजन, मोटिवेशनल वीडियो और प्रवचन सुनो।
4- ख़ाली मन शैतान का घर होता है, मन को किसी बड़े लक्ष्य और कैरियर चिंतन में व्यस्त रखिये। कुछ चिंतन को न हों तो मन ही मन गायत्री मंत्र जपें या श्वांसों द्वारा *सो$हम* जपें। श्वांस लेते वक्त *सो* और छोड़ते वक्त *हम*।
5- गन्दे साहित्य से बचने का श्रेष्ठ उपाय है कि जब भी मन विचलित हो उच्चकोटि के साहित्य के स्वाध्याय में संलग्न रहना।
6- यह व्यभिचार का विषय इतना गन्दा है कि इससे होने वाले अपराधों, लड़कियों और बच्चों का देहव्यापार, मर्डर इत्यादि परिणाम दिल दहलाने वाले हैं। अनियंत्रित वासना कभी तृप्त नहीं होती और लगातार केवल भड़कती रहती है, पाप में धकेलती है। इस बुराई का अंत मन को साधने पर ही संभव है।
7- नित्य उपासना, साधना और आराधना करो। इससे मन मजबूत होगा।
8- *चश्में अगर रंगीन पहन लो तो दुनियाँ रंगीन दिखती है, अतः तुम अपनी आंख में मातृ शक्ति का चश्मा चढ़ा लो, दुनियाँ मातृवत दिखेगी। वंदनीया माता और गुरूदेव की फ़ोटो ध्यान से देखो, फ़िर कल्पना करो कि बाएं आंख में माता जी और दाएं आंख में गुरूदेव हैं, यह चश्मा तुमने पहन लिया। इस चश्मे से प्रत्येक कन्यां में बाएं आंख से तुम्हें वन्दनीया माता दिखेंगी, और दाहिने आंख से X-Ray मशीन की तरह गुरुदेव चमड़ी के पीछे के हड्डियों के ढाँचे को दिखाएंगे। अब कोई भी लड़की की फ़ोटो X-Ray मशीन वाली देख के वासना तो जगेगी नहीं बल्कि आत्मज्ञान जरूर जग जाएगा।*
9- *ध्यान करो कि हृदय को खाली करके तुमने गायत्री माता की देवस्थापना कर दी, और प्रतिपल हृदय में यज्ञ हो रहा है। प्रत्येक श्वास आहुति है। अब मन्दिर जब हृदय बन गया तो भक्ति भाव ही जगेगा, कुकल्पना बेचारी यज्ञ में राख हो जाएगी।*
10- *गुरुदेव माता जी केवल तुम्हारी जीवन संगिनी को नेत्र द्वार से प्रवेश करने देंगे। हृदय मन्दिर में माता जी आराधना करने केवल अच्छी लड़की ही आएगी।*
स्वयं के नेत्र द्वार में गुरुदेव माताजी का ध्यान, हृदय में माता गायत्री और यज्ञ, श्वांस श्वांस से *सो$हम* जप और यज्ञ आहुति का ध्यान करो, नित्य जप और स्वाध्याय करो। तुम्हारे मान सम्मान, अच्छे संस्कारो का गुरूदेव माताजी स्वतः ख्याल रख लेंगे। सभी अंतर्द्वंद शांत हो जाएंगे, पढ़ाई में मन लगेगा। शांत मन से चेहरे पर ओज और तेज की आभा दिखेगी।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
[7/23, 10:17 PM] .: 1. From fresh ambitions and desires and karmas, everything from past can,be easily diluted, you are not your thoughts, facts, circumstances, situation and people around you.
2. Know how mind is controlled, when there is a Time Bound Goal, Energy concentrates.
3.So draft weekly planners with a Test on Saturday Evening, Reward yourself for every two and half hour of work, cup of tea, organising table, TT match, Taking bath, Cooking something different, early morning visit to Bangla Sahb Gurudwara, mind Wants Variety, Zoo,
[7/23, 10:18 PM] .: 4. Before start of planning for Test, On Sunday reward self and after test reward self and in between preparations fill time table with small rewards between half hour to two Hours per day, Rewards like Motivational Movie, Motivational Videos, Book Reading,
[7/23, 10:18 PM] .: 5. Write 10 Positive and 10Negative reasons on the subject Why this Goal , Logics and Reasoning is the main cause of Motivation.
[7/23, 10:18 PM] .: 6. Add Weekly Gayatri Mantra Targets and weekly One Book Reading Targets, Start Small like 32PAGES BOOK PER WEEK, 4 PAGES A DAY.
[7/23, 10:18 PM] .: 7. READ ONE SMALL BOOK IN AREAS WHERE YOU FEEL LACKING, FOR EXAMPLE READ CELIBACY, WOMEN AND IDEAL OF PURITIES, GOD AS MOTHER
[7/23, 10:27 PM] .: 8. FOR ATTRACTION TOWARDS FEMALE, GUESS AGE OF FEMALE and Make a mountain in your imagination of Tons of Potty,Urine, vomit,Stink, she might have thrown out til now, smell in your imagination and ask yourself is it worth allowing deviation from goals, try to Vomit on that,stink if you will vomit twice or Thrice your mind will stop looking at girls.
[7/23, 10:27 PM] .: 10. Monthly from Janshatabdi at minimum cost reward yourself for tough work by trip outside , From Delhi Single day Trip to Agra, Haridwar, Jaipur, chandigarh, Nainital,
[7/23, 10:27 PM] .: 11. Start morning with Positive Resolutions you will find in chapter 6, Vangmaya 57, lot of them available on Google, Morning affirmations have huge powers
[7/23, 10:27 PM] .: 9.Weekly sit and loudly sing two hours bhajans by Gurudev on subject of mata they wil lpurify you and stop deviation, Add these bhajans as part of your rewards
[7/23, 10:27 PM] .: 12. Your mind need variety and changes make Time table and Feedback Notes, 3 Hours of Rewards and 12 Hours of Study and 3 Hours for other works and 6, Hours for Study
*मेरी माँ धार्मिक है उन्होंने मुझे अच्छे सँस्कार दिए, उनके कहने पर ही मैं आपके फेसबुक पोस्ट पढ़ने लगा, मेरे जीवन में परिवर्तन भी आ रहा है। लेकिन माँ के दिये अच्छे संस्कारों की रक्षा करने में बड़ी कठिनाई होती है। बड़ा अंतर्द्वंद्व होता है। माँ ने कहा है कि कोई समस्या या उलझन हो तो आपसे पूँछ सकता हूँ, दी, प्लीज़ मेरा मार्गदर्शन करें जिससे इस वासना के युद्ध को जीत सकूँ और पढ़ाई में मन लगा सकूँ।*
उत्तर - आत्मीय बेटे, आपकी माता को चरण स्पर्श कर प्रणाम! जिनके दिये अच्छे सँस्कार तुम्हें पाप करने से रोक रहे हैं।
लेकिन यह जानकर दुःख हुआ कि दोस्तों की बुरी संगति और आसपास कामोत्तेजक परिस्थितियाँ तुम पर हावी हो रही है। जिसके कारण तुम अंतर्द्वंद्व की विकटता में उलझ गए हो।
👉🏼 *व्यभिचार के दुष्परिणाम* :-
बेटे, व्यभिचारी और दुराचारिणी स्त्री हो या पुरुष इनका स्वभाव और व्यवहार दूषित होता है। इनका नकारात्मक ऊर्जा युक्त वायुमण्डल इतना प्रभावी होता है कि यह युवाओं को अपने जैसा व्यभिचारी बनाने में सफल हो जाते हैं।
शुरू शुरू में प्रायः चोरी, अनैतिक कर्म और व्यभिचार करने में झिझक होती है और आत्मा कचोटती है।लेक़िन निरन्तर अभ्यास में आने के बाद अंतरात्मा में से देवत्व लुप्त हो जाता है, अन्तःकरण कलुषित हो जाता है और आसुरी-पैशाचिक प्रवृत्ति हावी हो जाती है। फिर ऐसे कुकर्मियों को निर्भयाकांड और प्रायमरी स्कूल की बच्चियों को नुकसान पहुंचाने में भी झिझक नहीं होती और हाथ नहीं कांपता।
ऐसे लोग चिड़चिड़े, झुंझलाहट लिए, अतृप्त, अशांत, अस्थिर, कामी, लोलुप, बैचेन और व्यग्र होते हैं। इनकी घटती प्राणऊर्जा के कारण शरीर और सर में दर्द, कब्ज, खुश्की, प्यास-त्रास, अनिंद्रा, थकावट, दुःस्वप्न और दुर्गंध इत्यादि के विकार बढ़ने लगते हैं।
व्यभिचार स्त्री करे या पुरुष दोनों की जीवनीशक्ति घटती है, मानसिक एवं शारीरिक रोगों से शरीर भर जाता है- मल-मूत्र नलिका के अनेक गम्भीर रोग, कमज़ोर हृदय, रीढ़ की हड्डी की बीमारी, पसलियों के रोग सम्बन्धी अनेक घृणित बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं।
बेटे, जिन युवाओं ने विवाह से पूर्व कई लोगों से बिना भावनात्मक और आध्यात्मिक जुड़ाव के शारीरिक रिश्ते बनाएं, वो जीवनीशक्ति घटा चुके होते हैं। ऐसे लोग जब विवाह करते हैं तो उनका घर कभी बसता नहीं, और संताने हमेशा रोगी और मानसिक रूप से कमज़ोर पैदा होती हैं। यह कभी सुखी नहीं हो पाते, विभिन्न रोगों से ग्रसित होकर अशांत और व्यग्र जीवन जीते हुए बेमौत मरते हैं।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
*अब तय युवाओं को करना है कि* - 20 से 50 वर्ष के बीच की यौवन को को कुछ वर्षों में ख़र्च देना है और बाक़ी उम्र अशांत व्यग्र बेचैन और रोगी बनकर जीना है, रुग्ण और विकृत समाज का निर्माण करना है, जहां प्रायमरी स्कूल के बच्चे-बच्चियां भी यौन शोषण का शिकार हों। रुग्ण मानसिकता और शरीर के सन्तान पाना है।
या
विवाह के पवित्र बंधन में बंध कर आनंदित प्यार-सहकार से भरा ऊर्जावान जीवन बिताना है। श्रेष्ठ सन्तान प्राप्त करना है। श्रेष्ठ समाज का निर्माण करना है।
सरकार और आम जनता दोनों को मिलकर स्वस्थ सभ्य समाज का निर्माण करना होगा। ताकि तुम जैसे बच्चों को इन अंतर्द्वंदों का सामना ही न करना पड़े।
👉🏼 *व्यभिचार और वासनात्मक मानसिक उलझन से बचने के सांसारिक उपाय* :-
1- सिनेमा, टीवी सिरियल और विज्ञापन मनोरंजन की आड़ में व्यभिचार की दुकान हैं और देवसंस्कृति को विनाश करने के उपाय हैं। इनसे दूर रहो।
2- अश्लील साहित्य, गाने और पत्रिकाएं कामोत्तेजक होती हैं, *युगऋषि अपनी पुस्तक - प्राणघातक व्यसन* में लिखते हैं कि ये युवा मन में व्यभिचार का बीजारोपण करते हैं। यह विषय भोग सम्बन्धी साहित्य वैसा ही घातक है जैसा भले चंगे व्यक्ति के लिए विष।
3- टीवी सीरियल, फ़िल्म घर बैठे चोरी और अनैतिक कर्म करने की ट्रेनिंग देते हैं, शराब पीना और नशा करना सिखाते हैं। निर्लज्जता और व्यभिचार सिखाते हैं। अतः बेटे इन्हें देखोगे, तो ये दुर्गणों का स्वयं में बीजारोपण तय मानो, मानसिक व्यभिचार तो तुरन्त दिमाग़ में एक्टिवेट हो जाता है। मन फ़िर उस कुकल्पना को साकार करने के लिए आसपास उपलब्ध प्रेमी प्रेमिका को ढूंढता है। अतः इनसे दूर रहो।
4- घर में चलते टीवी सीरियल, घर मे और आसपड़ोस में बजते अश्लील गाने नई पीढ़ी में कामांधता के विष घोल रहे हैं। बचपन में मिले गन्दे दूषित सँस्कार हमारे राष्ट्र को कामुक और चरित्रहीन बना देंगे। देश विदेशों की तरह भविष्य में नाज़ायज बच्चों से भर जाएगा। अतः इनसे दूरी बनाये।
5- नशा नाश की जड़ है और व्यभिचार-अपराध की उपज है। इससे दूर रहें।
6- जैसी संगत वैसी रंगत, बुरे दोस्तों की संगति बुरा बना देती है। इनसे दूर रहें।
7- अच्छे दोस्त की संगति मनोबल बढ़ाती है, अच्छा बनाती है।
👉🏼👉🏼 *व्यभिचार और वासनात्मक मानसिक उलझन से बचने के आध्यात्मिक उपाय* :-
1- बेटे पूरी दुनियां पर अपना नियन्त्रण नहीं है, लेक़िन ख़ुद पर तो नियंत्रण किया जा सकता है। जिस प्रकार गन्दा साहित्य हमें नर पशु और नर पिशाच बनाता है, वैसे ही अच्छा साहित्य हममें देवत्व गढ़ता है, और हमें देवता बनाता है।
2- जिस प्रकार गन्दा विचार वासना को उद्दीप्त करता है, उसी तरह अच्छे विचार वासना को शांत करते हैं। इसलिए रोज सुबह शाम अच्छी पुस्तकों का अध्ययन करो और अच्छे विचारों का चिंतन करो।
3- गन्दे गाने भावनाओ को कलुषित करते हैं उसी तरह अच्छे अच्छे भजन भावनाओं को शुद्ध करते हैं। संस्कृत के श्लोक, चालीसा और मन्त्रों का निरन्तर जप भावनाओं को निर्मल करता है। भाव शरीर शुद्ध होता है। अतः रोज अच्छे भजन, मोटिवेशनल वीडियो और प्रवचन सुनो।
4- ख़ाली मन शैतान का घर होता है, मन को किसी बड़े लक्ष्य और कैरियर चिंतन में व्यस्त रखिये। कुछ चिंतन को न हों तो मन ही मन गायत्री मंत्र जपें या श्वांसों द्वारा *सो$हम* जपें। श्वांस लेते वक्त *सो* और छोड़ते वक्त *हम*।
5- गन्दे साहित्य से बचने का श्रेष्ठ उपाय है कि जब भी मन विचलित हो उच्चकोटि के साहित्य के स्वाध्याय में संलग्न रहना।
6- यह व्यभिचार का विषय इतना गन्दा है कि इससे होने वाले अपराधों, लड़कियों और बच्चों का देहव्यापार, मर्डर इत्यादि परिणाम दिल दहलाने वाले हैं। अनियंत्रित वासना कभी तृप्त नहीं होती और लगातार केवल भड़कती रहती है, पाप में धकेलती है। इस बुराई का अंत मन को साधने पर ही संभव है।
7- नित्य उपासना, साधना और आराधना करो। इससे मन मजबूत होगा।
8- *चश्में अगर रंगीन पहन लो तो दुनियाँ रंगीन दिखती है, अतः तुम अपनी आंख में मातृ शक्ति का चश्मा चढ़ा लो, दुनियाँ मातृवत दिखेगी। वंदनीया माता और गुरूदेव की फ़ोटो ध्यान से देखो, फ़िर कल्पना करो कि बाएं आंख में माता जी और दाएं आंख में गुरूदेव हैं, यह चश्मा तुमने पहन लिया। इस चश्मे से प्रत्येक कन्यां में बाएं आंख से तुम्हें वन्दनीया माता दिखेंगी, और दाहिने आंख से X-Ray मशीन की तरह गुरुदेव चमड़ी के पीछे के हड्डियों के ढाँचे को दिखाएंगे। अब कोई भी लड़की की फ़ोटो X-Ray मशीन वाली देख के वासना तो जगेगी नहीं बल्कि आत्मज्ञान जरूर जग जाएगा।*
9- *ध्यान करो कि हृदय को खाली करके तुमने गायत्री माता की देवस्थापना कर दी, और प्रतिपल हृदय में यज्ञ हो रहा है। प्रत्येक श्वास आहुति है। अब मन्दिर जब हृदय बन गया तो भक्ति भाव ही जगेगा, कुकल्पना बेचारी यज्ञ में राख हो जाएगी।*
10- *गुरुदेव माता जी केवल तुम्हारी जीवन संगिनी को नेत्र द्वार से प्रवेश करने देंगे। हृदय मन्दिर में माता जी आराधना करने केवल अच्छी लड़की ही आएगी।*
स्वयं के नेत्र द्वार में गुरुदेव माताजी का ध्यान, हृदय में माता गायत्री और यज्ञ, श्वांस श्वांस से *सो$हम* जप और यज्ञ आहुति का ध्यान करो, नित्य जप और स्वाध्याय करो। तुम्हारे मान सम्मान, अच्छे संस्कारो का गुरूदेव माताजी स्वतः ख्याल रख लेंगे। सभी अंतर्द्वंद शांत हो जाएंगे, पढ़ाई में मन लगेगा। शांत मन से चेहरे पर ओज और तेज की आभा दिखेगी।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
[7/23, 10:17 PM] .: 1. From fresh ambitions and desires and karmas, everything from past can,be easily diluted, you are not your thoughts, facts, circumstances, situation and people around you.
2. Know how mind is controlled, when there is a Time Bound Goal, Energy concentrates.
3.So draft weekly planners with a Test on Saturday Evening, Reward yourself for every two and half hour of work, cup of tea, organising table, TT match, Taking bath, Cooking something different, early morning visit to Bangla Sahb Gurudwara, mind Wants Variety, Zoo,
[7/23, 10:18 PM] .: 4. Before start of planning for Test, On Sunday reward self and after test reward self and in between preparations fill time table with small rewards between half hour to two Hours per day, Rewards like Motivational Movie, Motivational Videos, Book Reading,
[7/23, 10:18 PM] .: 5. Write 10 Positive and 10Negative reasons on the subject Why this Goal , Logics and Reasoning is the main cause of Motivation.
[7/23, 10:18 PM] .: 6. Add Weekly Gayatri Mantra Targets and weekly One Book Reading Targets, Start Small like 32PAGES BOOK PER WEEK, 4 PAGES A DAY.
[7/23, 10:18 PM] .: 7. READ ONE SMALL BOOK IN AREAS WHERE YOU FEEL LACKING, FOR EXAMPLE READ CELIBACY, WOMEN AND IDEAL OF PURITIES, GOD AS MOTHER
[7/23, 10:27 PM] .: 8. FOR ATTRACTION TOWARDS FEMALE, GUESS AGE OF FEMALE and Make a mountain in your imagination of Tons of Potty,Urine, vomit,Stink, she might have thrown out til now, smell in your imagination and ask yourself is it worth allowing deviation from goals, try to Vomit on that,stink if you will vomit twice or Thrice your mind will stop looking at girls.
[7/23, 10:27 PM] .: 10. Monthly from Janshatabdi at minimum cost reward yourself for tough work by trip outside , From Delhi Single day Trip to Agra, Haridwar, Jaipur, chandigarh, Nainital,
[7/23, 10:27 PM] .: 11. Start morning with Positive Resolutions you will find in chapter 6, Vangmaya 57, lot of them available on Google, Morning affirmations have huge powers
[7/23, 10:27 PM] .: 9.Weekly sit and loudly sing two hours bhajans by Gurudev on subject of mata they wil lpurify you and stop deviation, Add these bhajans as part of your rewards
[7/23, 10:27 PM] .: 12. Your mind need variety and changes make Time table and Feedback Notes, 3 Hours of Rewards and 12 Hours of Study and 3 Hours for other works and 6, Hours for Study
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