Tuesday, 12 February 2019

प्रश्न - *क्या एकादशी व्रत से अनेक रोगों से बचाव होता है और यह उपवास चिकित्सा पद्धति का महत्त्वपूर्ण अंग है? कैंसर से बचने हेतु क्या यह सहायक है और आरोग्य वर्धक है? यदि हाँ तो व्रत के नियम बतायें।*

प्रश्न - *क्या एकादशी व्रत से अनेक रोगों से बचाव होता है और यह उपवास चिकित्सा पद्धति का महत्त्वपूर्ण अंग है? कैंसर से बचने हेतु क्या यह सहायक है और आरोग्य वर्धक है? यदि हाँ तो व्रत के नियम बतायें।*

उत्तर - आत्मीय बहन, वेदों-पुराणों में एकादशी की महिमा वर्णित इस प्रकार की गई है:-

श्लोक -
मातेव सर्वबालानां,
औषधि रोगिणां हि।
रक्षार्थ सर्व लोकानां,
 निर्मितिरतैकादशी तिथि:ङ्क।।

*अर्थात एकादशी व्रत करने वाले बालकों की माता समान है, जो रोगियों के लिए औषधि समान हितकारी है और यह आरोग्यवर्धक और रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली है, समस्त कष्टो से मुक्त करने वाली है।*

एकादशी व्रत सङ्कल्प लेकर शुरू किया जाता है, जब भी बन्द करना हो तो विधिवत उद्यापन अवश्य करें। उद्यापन विधि 📖पुस्तक *कर्मकांड भाष्कर* में लिखी हुई है।

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*शरीर में मुख्यतया दो क्रियाएँ होती हैं- पाचन और निष्कासन। पाचन से रस बनता है और उससे नए कोष्ठ(Cell) बनते हैं और शरीर का निर्माण करते हैं। पसीना, कफ, मल और मूत्र के साथ टूटे और ख़राब(Cell) का निष्कासन होता है*।

जो दोनों वक़्त मल का त्याग नहीं करता, कम से कम 4 से बार मूत्र का त्याग नहीं करता, ऐसा शारीरिक श्रम और व्यायाम नहीं करता जिससे पसीना निकले या धूप में बैठ कर पसीना नहीं निकालता, ऐसे लोगो के शरीर के अंदर के विषैले पदार्थों का निष्कासन नहीं हो पाता, जिसके कारण भूख न लगना, अजीर्ण, कब्ज, अम्ल पित्त, ज्वर, यकृत वृद्धि, आमवात, गठिया वात तथा नाना प्रकार के रोग उत्तपन्न होते है।

दिन भर दो से तीन बार खाने पर भी कोष(Cell) टूटते रहते है, लेकिन निकालने की व्यवस्था न हुई तो यह ही रोगकारक बनेंगे।

😇 *मन(दिमाग़) औऱ पाचन(पेट) आपस में जुड़े है, एक के खराब होने पर दूसरा स्वतः खराब हो जाता है। पेट भारी तो मन भारी होगा, मन टेंशन में तो पेट मे पाचन बिगड़ेगा ही। अतः बुद्धिकुशलता बढाने के लिए भी पेट का साफ़, स्वस्थ और हल्का होना अनिवार्य है। पाचन ठीक से हो इसलिए मन हल्का और तनावमुक्त होना ही चाहिए।*

अंग्रेजी एलोपैथी दवा अत्यंत आवश्यकता पर ही लेना चाहिए। सभी बड़े चिकित्सा शास्त्री एकमत है कि एलोपैथ(अंग्रेजी) एक  विज्ञान नहीं है, अगर ऐसा होता तो एक दवा सब पर समान असरकारक होती। तथा इसका सबसे बड़ा नुकसान यह है कि यह शत्रुसेना(रोगाणु) के साथ मित्रसेना(रोगप्रतिरोधक जीवाणु एवं श्वेतरक्त कण) को भी मार देती है। अर्थात एक बीमारी को ठीक करने के बाद एक नई बीमारी को जन्म दे देती है। इसका अत्यंत कम प्रयोग ही करें।

📖पुस्तक - *रोग: औषधि आहार-विहार एवं उपवास* ज्यादा जानकारी के लिए पढें।

जापान के योशिनोरी ओसुमी, चिकित्सा (मेडिसिन) को नोबल पुरस्कार मिला है, जिन्होंने यह सिद्ध किया है कि यदि पेट को भूखा रखा जाय तो यह मृत/टूटी कोशिकाओं को खा जाता है। प्राचीन चिकित्साविद चरक, सुश्रुत और अमेरिकन डॉक्टर डेबी का भी कहना है कि रोगी को उपवास(भूखा) रखो तो रोगकारक कोष(Cell) को ही खा जाता है।

*युगऋषि परमपूज्य गुरूदेव पण्डित श्रीराम शर्मा अचरज जी ने उपवास के आधारभूत तीन सिद्धांत बताये है*:-

1- इस बात पर पूर्ण विश्वास रखना की अन्य पक्षु पक्षी जीव वनस्पतियों की तरह हम भी व्रत/उपवास रखकर स्वचिकित्सा के माध्यम से शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं।

2- तीव्र रोग में भोजन न लेना और पाचन के श्रम द्वारा कोषों(Cells) को टूटने से बचाना।

3- किसी अंग विशेष की रोगावस्था को दूर करने के लिए दूसरे अंगों को उसकी सहायता का अवसर देना।

*एकादशी व्रत - पाँच कर्मेन्द्रिय, पाँच ज्ञाननेद्रिय और एक मन इन ग्यारह इंद्रियों पर नियन्त्रण की शक्ति देता है, जो आध्यात्मिक उन्नति और लाभ तो देता ही है और शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर आरोग्य प्रदान करता है।*

प्रत्येक हिंदी माह की ग्यारह/ग्यारस तिथि को एकादशी कहते हैं, यह महीने में दो बार आती है।

*यह शारीरिक उपवास के साथ मानसिक उपवास भी है। यह तीन दिन का उपक्रम होता है*:-

1- ब्रह्मचर्य दशमी और एकादशी दो दिन पालन करना अनिवार्य है। लेकिन जिनके जीवनसाथी न माने और कलह की स्थिति उतपन्न हो वो मानसिक ब्रह्मचर्य पालन कर लें और व्रत रख लें।

2- दशमी की शाम को दलिया या दो रोटी, उबली सब्जी और दाल इत्यादि आधा पेट हल्का सुपाच्य भोजन बिना लहसन प्याज के सेंधानमक उपयोग कर खायें। 

3- उड़ीसा, पंजाब, बंगाल और अन्य प्रान्त के लोग जो मांसाहारी हैं, वैसे तो उन्हें मांस खाना ही नहीं चाहिए। लेकिन क्योंकि यह व्रत क्षत्रिय राजा भी रखते थे तो वो यह व्रत क्षत्रिय मर्यादानुसार आप लोग भी रख सकते है और दशमी, एकादशी और द्वादशी इन तीन दिनों तक मांस का सेवन न करें। और अन्य एकादशी विधियों का पालन करें।

4- एकादशी के दिन आपके पेट की किचन फ़्री होनी चाहिए। अतः गरिष्ठ फ़ल और तलाभुना न खाएं जिसके कारण पाचन प्रक्रिया को एक्टिव होना पड़े। आप छाछ, दही, फलों के जूस और सेंधा नमक का सेवन कर सकते हैं। चीनी और मिठाई वर्जित है। वैसे तो चाय-कॉफी अत्यंत नुकसानदायक है, इसे न पिएं तो अच्छा है। लेकिन यदि चाय या कॉफी पीने के आदी व्यक्ति है तो वो बिना चीनी के चाय-कॉफी पी सकता है।

*नोट*:- कैंसर उस व्यक्ति को नहीं हो सकता जो चीनी नहीं खाता-पिता है और महीने में कम से कम दो दिन व्रत रखता हो। ग्लुकोज़ के अभाव में कैंसर का पनपना संभव नहीं होता। इसी तरह रेडियोएक्टिव तरंगे उस व्यक्ति पर असर नहीं कर सकती जो साधारण नमक नहीं खाता।

5- दशमी, एकादशी, द्वादशी इन तीनों तिथियों में नित्य 11 माला गायत्री मंत्र- ( *ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात*) जप (पांच कर्मेन्द्रियों,पांच ज्ञाननेद्रियों और मन) को नियंत्रण करने हेतु जपें, एक माला द्वादश वासुदेव मंन्त्र ( *ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः*)  की जपें, और कम बोलें या हो सके तो मौन रहें। झूठ बोलने और क्रोध करने से व्रत का आधा फल नष्ट हो जाता है। ऑफिस जाएं तो एकादशी के दिन केवल ऑफिस कार्य सम्बन्धी यदि व्यवसायगत कुछ बोलना पड़े तो ही बोलें अन्यथा अन्य गपशप में न उलझें। श्रीमद्भागवत गीता या युगगीता या प्रज्ञा पुराण या अखण्डज्योति का स्वाध्याय करें। टीवी, फ़िल्म, फिल्मी मैगजीन और न्यूज़ पेपर इत्यादि न पढ़े। न्यूज की हेडलाइन और समरी जरूरत पड़ने पर शाम को न्यूज चैनल या यूट्यूब पर देख लें।

6- द्वादशी के दिन दशमी की तरह हल्का सुपाच्य दलिया ख़ाकर व्रत का पारण(व्रत खोलें) करें।

7- दशमी, एकादशी, द्वादशी तीनों दिन सुबह सुबह हल्के गुनगुने पानी में बेकिंग सोडा एक छोटा चाय का चम्मच मिलाकर और उसमें नींबू का रस आधा चम्मच मिलाकर पी लीजिये। बेकिंग सोडा जो असल में सोडियम बाई कोर्बोनेट होता है। एक एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, एंटीसेप्टिक, एंटीइंफ्लेमेटरी और अल्कलाइन होता है। जो शरीर की पूर्ण सफाई करके जमे हुए अम्ल को साफ़ कर देता है।

यह व्रत एक तरह से शरीर और मन की सफ़ाई का उत्तम स्वचिकित्सा विधि है। ऋषियों की बनाई शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक शक्ति संवर्धन विधिव्यवस्था है।

साल की 24 एकादशी के आध्यात्मिक लाभ निम्नलिखित फेसबुक पेज पर चेक करें:-
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=646033172483798&id=596434594110323

उपवास के प्रकार जानने के लिए यह साइट विजिट करें:-
http://literature.awgp.org/book/Gayatree_kee_panchakoshee_sadhana/v7.55

ध्यान की विधि जानने के लिए यह साइट विजिट करें
ध्यान विधि:-
http://literature.awgp.org/book/Gayatree_kee_panchakoshee_sadhana/v7.85

गायत्री मंन्त्र के लाभ और विधि जानने के लिए यह फेसबुक पेज लिंक विजिट करें:-
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=642829612804154&id=596434594110323

*बेकिंग सोडा के स्वास्थ्य उपयोग जानने के लिए निम्नलिखित साइट विजिट करें:-* https://www.healthline.com/nutrition/baking-soda-benefits-uses#section24
 https://m.onlymyhealth.com/lemon-and-baking-soda-combinaton-is-best-remedy-for-cancer-in-hindi-1480940241


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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