*युगऋषि परमपूज्य गुरुदेव के साहित्य से निकाले कुछ सुखी गृहस्थी के सूत्र:-*
Quote 1 :
वही उन्नति कर सकता है, जो स्वयं को उपदेश देता है । वही गृहस्थी में सुखी रह सकता है जो केवल स्वयं को सुधार सकता है और गृहस्थ तपोमय बना सकता है। जीवनसाथी को उपदेश करने से पहले स्वयं को उपदेश देकर आचरण सुधारे।
Quote 2 : धनवान नहीं चारित्र्यवान ही सुख पाते है । गृहस्थ में सुख का आधार पति-पत्नी का उत्तम चरित्र है।
Quote 3 : विकास की सबसे बड़ी बाधा मनुष्य के अहंकारपूर्ण विचार है । गृहस्थ में सुख-शांति की बाधा अहंकार है। पति-पत्नी को एक दूसरे के अहम और भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए।
Quote 4 : बहादुरी का अर्थ है – हिम्मत भरी साहसिकता, निर्भिकता, पुरुषार्थ परायणता । पति का पुरुषार्थ-समर्पण और पत्नी की आत्मियता-सम्वेदना से घर एक मन्दिर बनता है।
Quote 5 : स्वाध्याय और सत्संग में जितना अधिक समय लगाया जाता है, उतनी ही कुविचारो से सुरक्षा बन पड़ती है । स्वाध्याय करने वाले पति पत्नी के घर मे झगड़े नहीं होते, कुविचार नहीं पनपता।
Quote 6 : सफलताये अपने ही पुरुषार्थ और परिश्रम (Hard Work) का फल होती है । जो लोग सुखी गृहस्थी चाहते हैं वो दोनों एक दूसरे का साथ देते हुए पुरुषार्थ, परिश्रम और प्रेम से सूखी गृहस्थी का निर्माण करें।
Quote 7 : आत्म प्रशंसा तथा बडबोलेपन में लगा मनुष्य कोई ठोस कार्य नहीं कर सकता । दूसरे की बुराई और स्वयं की केवल आत्मप्रसंशा के साथ बड़बोलेपन से गृहस्थी में दरार पड़ती है।
Quote 8 : तीव्र इच्छाशक्ति के बिना कोई महत्वपूर्ण वस्तु प्राप्त नहीं होती । आदर्श और प्रेम सहकार से भरी गृहस्थी के लिए पति-पत्नी दोनों को संकल्पित होना चाहिए।
Quote 9 : असफलता केवल यह सिद्ध कराती है कि सफलता का प्रयत्न पुरे मन से नहीं हुआ । गृहस्थी में मन मुटाव और झगड़े है, तो यह सिद्ध करते हैं कि पूरे मनोयोग से प्रेम-सहकार स्थापति करने का प्रयास नहीं किया गया।
Quote 10 : मनुष्य की चारित्रिक दुर्बलता से बढाकर और कोई बुराई नहीं । अच्छी भली गृहस्थी को तबाह चारित्रिक दुर्बलता कर देती है। इसके दुष्परिणाम कई पीढ़ियों तक भुगतने पड़ते हैं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशनन
Quote 1 :
वही उन्नति कर सकता है, जो स्वयं को उपदेश देता है । वही गृहस्थी में सुखी रह सकता है जो केवल स्वयं को सुधार सकता है और गृहस्थ तपोमय बना सकता है। जीवनसाथी को उपदेश करने से पहले स्वयं को उपदेश देकर आचरण सुधारे।
Quote 2 : धनवान नहीं चारित्र्यवान ही सुख पाते है । गृहस्थ में सुख का आधार पति-पत्नी का उत्तम चरित्र है।
Quote 3 : विकास की सबसे बड़ी बाधा मनुष्य के अहंकारपूर्ण विचार है । गृहस्थ में सुख-शांति की बाधा अहंकार है। पति-पत्नी को एक दूसरे के अहम और भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए।
Quote 4 : बहादुरी का अर्थ है – हिम्मत भरी साहसिकता, निर्भिकता, पुरुषार्थ परायणता । पति का पुरुषार्थ-समर्पण और पत्नी की आत्मियता-सम्वेदना से घर एक मन्दिर बनता है।
Quote 5 : स्वाध्याय और सत्संग में जितना अधिक समय लगाया जाता है, उतनी ही कुविचारो से सुरक्षा बन पड़ती है । स्वाध्याय करने वाले पति पत्नी के घर मे झगड़े नहीं होते, कुविचार नहीं पनपता।
Quote 6 : सफलताये अपने ही पुरुषार्थ और परिश्रम (Hard Work) का फल होती है । जो लोग सुखी गृहस्थी चाहते हैं वो दोनों एक दूसरे का साथ देते हुए पुरुषार्थ, परिश्रम और प्रेम से सूखी गृहस्थी का निर्माण करें।
Quote 7 : आत्म प्रशंसा तथा बडबोलेपन में लगा मनुष्य कोई ठोस कार्य नहीं कर सकता । दूसरे की बुराई और स्वयं की केवल आत्मप्रसंशा के साथ बड़बोलेपन से गृहस्थी में दरार पड़ती है।
Quote 8 : तीव्र इच्छाशक्ति के बिना कोई महत्वपूर्ण वस्तु प्राप्त नहीं होती । आदर्श और प्रेम सहकार से भरी गृहस्थी के लिए पति-पत्नी दोनों को संकल्पित होना चाहिए।
Quote 9 : असफलता केवल यह सिद्ध कराती है कि सफलता का प्रयत्न पुरे मन से नहीं हुआ । गृहस्थी में मन मुटाव और झगड़े है, तो यह सिद्ध करते हैं कि पूरे मनोयोग से प्रेम-सहकार स्थापति करने का प्रयास नहीं किया गया।
Quote 10 : मनुष्य की चारित्रिक दुर्बलता से बढाकर और कोई बुराई नहीं । अच्छी भली गृहस्थी को तबाह चारित्रिक दुर्बलता कर देती है। इसके दुष्परिणाम कई पीढ़ियों तक भुगतने पड़ते हैं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशनन
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