Tuesday, 5 February 2019

प्रश्न - *दी, मेरा मूड अक्सर ऑफ हो जाता है? कुछ करने का मन नहीं करता उदासी सी लगती है। जब पढ़ रहा था तब भी ऐसा था, अब जॉब करता हूँ तो भी वही हाल है। क्या मुझे चिकित्सक की सलाह लेना चाहिए।*

प्रश्न - *दी, मेरा मूड अक्सर ऑफ हो जाता है? कुछ करने का मन नहीं करता उदासी सी लगती है। जब पढ़ रहा था तब भी ऐसा था, अब जॉब करता हूँ तो भी वही हाल है। क्या मुझे चिकित्सक की सलाह लेना चाहिए।*

उत्तर - आत्मीय भाई, आओ समझते हैं कि यह *मूड* ऑफ क्यों हो जाता है?

👉🏼 *"मूड" किसे कहते हैं?* - एक मानसिक अवस्था जब वह अच्छी हो तो प्रफुल्लता उत्साह उमंग होता है, प्रत्येक काम में मन लगता है, शरीर ऊर्जावान और स्वस्थ रहता है। ठीक इसके विपरीत मूड खराब होने पर किसी काम में मन नहीं लगता, शरीर उर्जाविहीन होने से शरीर में भारीपन या हल्की पीड़ा, आलस्य आता है।

 👉🏼 *क्या इसका इलाज़ चिकित्सक के पास है?* - बदलती मानसिक अवस्था जो कि परिस्थिति और मनःस्थिति से प्रेरित है, इच्छा कामना और विकृत चिंतन से प्रेरित है। विकृत आहार-विहार से उतपन्न इस रोग का इलाज़ किसी डॉक्टर के पास नहीं है। डॉक्टर केवल कुछ क्षण के लिए आपको भूलने हेतु और सुलाने हेतु नशे मिश्रित नींद की गोली दे सकता है। जैसे ही जगोगे पुनः समस्या वहीं पाओगे।

👉🏼 *"मूड" ऑफ होने के लक्षण* - आलस्य, अतिरिक्त शारीरिक मानसिक थकान, अनुत्साह, उर्जाविहीन, चित्त उदास, मन बैचेन

👉🏼 *"मूड" ऑफ होने का कारण* -
1- जटिल जीवन और उलझा चिंतन, सांसारिक वस्तुओं में सुख ढूंढना
2- अनियंत्रित उच्च महत्वाकांक्षी होना
3- बनावटी जीवन, झूठी शान, दिखावा, अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना
4- ईर्ष्या और द्वेष, अहंकार
5- योग्यता पात्रता बढ़ाये बिना कुछ पाने की कल्पना
6- आध्यात्मिक न होना- जप, ध्यान, प्राणायाम और स्वाध्याय नहीं करना
7- दूसरों में बुराई की खाई और स्वयं में अच्छाई का पहाड़ देखना
8- राजनीति युक्त ऑफिस में मन्दिर और आश्रम जैसे उदारचरित्र मैनेजर और सहकर्मी चाहना
9- जीवित जीवनसाथी में आज्ञाकारी रोबोट को ढूंढना
10- यादों के खंडहर में जीना या भविष्य की कल्पनाओं में जीना और वर्तमान से भागना
11- वर्तमान में वो जॉब कर रहे हैं जो पसन्द नहीं और करना नहीं चाहते। जो करना चाहते हैं वो सुअवसर नहीं मिल रहा।

👉🏼 *"मूड ठीक करने के सांसारिक उपाय* -
1- अपने अच्छे मित्रों से गपशप
2- कॉमेडी वीडियो या फ़िल्म देखना
3- कहीं बाहर खुली हवा में घूमने जाना
4- वृक्ष वनस्पति और प्रकृति के सम्पर्क से मूड अच्छा होता है। अतः बगीचे में कार्य करें।
5- नियमित व्यायाम और खेलना
6- जो पसन्द है वह कार्य करो
7- जिसमें मन लगता हो वो जॉब करो

*नोट* :- नशे का सेवन करने से मूड ठीक नहीं होता, विषाद का इलाज़ नहीं होता। बल्कि शरीर और मन को भारी नुकसान पहुंचता है। यह केवल कुछ क्षण के लिए विषाद भुलाता है लेकिन इलाज़ नहीं करता। समस्या का समाधान नहीं देता।

👉🏼 *"मूड" का आध्यात्मिक इलाज़, आनन्द प्राप्ति के उपाय* -

मनुष्य जबतक जीवित रहता है वो इन चार अवस्थाओं में से किसी न किसी अवस्था में होता है - *जागृति, स्वप्न, सुषुप्ति और तुर्या अवस्था*

*जागृति* - जब व्यक्ति सोचता, बोलता, देखता, सुनता या कुछ न कुछ करता है। मन और बुद्धि जागृत अवस्था मे काम करता है।स्थूल ज्ञानेंद्रियां और स्थूल कर्मेन्द्रियाँ जागृत अवस्था मे काम करती हैं।
🙏🏻 यदि जागृति में होशपूर्वक और साक्षीभाव विकसित किया जाय तो मूड कभी खराब नहीं होगा🙏🏻

*स्वप्न* - चित्त और अहंता निद्रित और अर्धनिद्रित अवस्था में सक्रिय होते हैं, सूक्ष्म कर्मेन्द्रियाँ और सूक्ष्म ज्ञाननेद्रियाँ चित्त और सूक्ष्म शरीर से जुड़े हैं । आम सांसारिक जनता की भरी हुई कल्पनाएं, वासनाएं, इच्छाएँ स्वप्न में सिनेमा की तरह दिखती है।
🙏🏻यदि मन को संयमित और जीवन में चित्त वृत्ति निरोध जैसी साधना को अपना लिया जाय तो इस अवस्था में अतीन्द्रिय ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। भविष्य में होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास, मनचाही जगहों में सूक्ष्म शरीर से यात्रा संभव हो जाएगी। स्वप्न तब आनन्ददायक हो जाएगा🙏🏻

*सुषुप्ति* - जागृति और नींद के सम्मिश्रण की अवस्था। यह ध्यान और एकाग्रता की अवस्था है। वैज्ञानिक, कवि, चित्रकार, लेखक, दार्शनिक, ऋषि इसी अवस्था में जाकर अविष्कार कर पाते हैं।
🙏🏻नित्य ध्यान के अभ्यास में इस अवस्था को साधने पर जीवन के समस्त समस्याओं के समाधान प्राप्त किये जा सकते हैं। सुपर मैन जैसे सुपर शक्तियो से जुड़ा जा सकता है।🙏🏻

*तुर्यावस्था* - इस अवस्था में जप, तप और ध्यान की उच्च अवस्था समाधि से पहुंचा जा सकता है। यहां पहुंचने पर शाप और वरदान दोनों सिद्ध हो जाते हैं। योगियों की तरह परमानन्द की अवस्था में पहुंचा सकता है। जंगल में भी मंगल मिलता है, शत्रु को भी मित्र बनाया जा सकता है।
🙏🏻 नित्य उपासना(गायत्री जप और उगते हुए सूर्य का ध्यान), साधना (आत्मशोधन, योग, प्राणायाम, स्वाध्याय) और आराधना (लोकल्याण और समाज के उत्थान हेतु अंशदान और समयदान, लोगों की निःश्वार्थ सेवा) से चेतना को ऊपर उठाया जा सकता है और सांसारिक आकर्षणो, प्रलोभनों के दबाव से मुक्त हुआ जा सकता है। प्रकाश जीवन मे लाया जा सकता है, आत्मज्ञान पाया जा सकता है।🙏🏻

*संक्षेप में, मूड का एकमात्र स्थायी उपचार आध्यात्मिक होना ही है। भौतिक जीवन में आध्यात्मिकता का समावेश करें और आवश्यक संयम और नियम जीवन में अपनाएं। शरीर को नश्वर और आत्मा को शाश्वत जानें। आवश्यता और अय्याशी में फ़र्क़ समझें। आवश्यकता से अधिक की चाह न करें, स्तर से ज्यादा चाह में प्रवृत्त न रहें। मनुष्य में रोबोट न ढूढ़ें, ऑफिस में सन्त मैनेजर न ढूढ़ें। अपनी प्लेट के खाने में ख़ुश रहें और दूसरे की प्लेट के खाने की ताक झाँक न करें। रोज़ नया जन्म और रोज नई मौत समझें, प्रत्येक दिन को सकारात्मकता के साथ जियें। अपनी खुशियां बांटे और दुःख दूसरों का बंटवाये। व्यस्त रहें, मस्त रहें। केवल स्वयं को सुधारें और स्वयं से ही प्रतिस्पर्धा करें। जो भी कर रहे हो प्रभु को समर्पित करते चलो। जो भी कार्य हाथ में है उसी में रुचि लेने लगो। उसे रुचिकर बनाओ। मनःस्थिति बदलते ही परिस्थिति बदल जाएगी। नज़रिया बदलते ही नज़ारे बदल जाएंगे। आनन्दित और प्रफुल्लति मूड मिल जाएगा।*

रुचिकर कार्य को करने हेतु योग्यता पात्रता बढ़ाएं। उदाहरण गायक बनना चाहते हो तो तानसेन के गुरु की तरह योग्यता हासिल करो कि बादशाह स्वयं तुम तक चलकर आये। एक यूट्यूब वीडियो अपलोड करो और मिलियन व्यू आ जाएं।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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