Sunday 24 February 2019

प्रश्न - पत्नी कर्कशा(खराब भाषा शैली), क्रोधी और झगड़ालु है..कैसे हैंडल करें..

प्रश्न -  *दीदी जी मेरी पत्नी को बाणी दोष है उसकी बातों से मुझे मानसिक तनाव होता हैं उसकी बातों में मिठास नहीं है। उसकी भाषा शैली भी खराब है। उपाय बतायें बहुत जल्दी नराज व रूठ जाती हैं। मुझे कम बोलना पसंद है और उसे बक बक करना।*

उत्तर - आत्मीय भाई, यदि पत्नी कर्कशा(खराब भाषा शैली), क्रोधी और झगड़ालु है। तो इसका अर्थ यह है कि अब तुम्हें महान दार्शनिक और सन्त बन जाना चाहिए। यह मार्ग इस गृहस्थ जीवन को व्यतीत करने का उत्तम मार्ग है। इस बात को दो महान संत और दार्शनिक के जीवन दृष्टांत से समझो।

👉🏼सुकरात का एक शिष्य इस पशोपेश में था कि उसे विवाह करना चाहिए या नहीं करना चाहिए। वह सुकरात से इस विषय पर सलाह लेने के लिए आया। सुकरात ने उससे कहा कि उसे विवाह कर लेना चाहिए।शिष्य यह सुनकर हैरान था। वह बोला – *“आपकी पत्नी तो इतनी झगड़ालू है कि उसने आपका जीना दूभर किया हुआ है, फ़िर भी आप मुझे विवाह कर लेने की सलाह दे रहे हैं?”*

*सुकरात ने कहा – “यदि विवाह के बाद तुम्हें बहुत अच्छी पत्नी मिलती है तो तुम्हारा जीवन संवर जाएगा क्योंकि वह तुम्हारे जीवन में खुशियाँ लाएगी। तुम खुश रहोगे तो जीवन में उन्नति करोगे और रचनाशील बनोगे। यदि तुम्हें जेंथीप की तरह पत्नी मिली तो तुम भी मेरी तरह दार्शनिक तो बन ही जाओगे! किसी भी परिस्तिथि में विवाह करना तुम्हारे लिए घाटे का सौदा नहीं होगा।”*

👉🏼 सुकरात पश्चिमी विद्वानों में सबसे बड़े दार्शनिक और ज्ञानी विद्वान थे, उनकी पत्नी जेंथीप बहुत झगड़ालू और कर्कशा थी। एक दिन सुकरात अपने शिष्यों के साथ किसी विषय पर चर्चा कर रहे थे। वे घर के बाहर धूप में बैठे हुए थे। भीतर से जेंथीप ने उन्हें कुछ कहने के लिए आवाज़ लगाई। सुकरात ज्ञानचर्चा में इतने खोये हुए थे कि जेंथीप के बुलाने पर उनका ध्यान नहीं गया। दो-तीन बार आवाज़ लगाने पर भी जब सुकरात घर में नहीं आए तो जेंथीप भीतर से एक घड़ा भर पानी लाई और सुकरात पर उड़ेल दिया। वहां स्थित हर कोई स्तब्ध रह गया लेकिन सुकरात पानी से तरबतर बैठे मुस्कुरा रहे थे। वे बोले:

“मेरी पत्नी मुझसे इतना प्रेम करती है कि उसने इतनी गर्मी से मुझे राहत देने के लिए मुझपर पानी डाल दिया है।”

👉🏼महान संत तुकाराम की पत्नी जीजाबाई बड़ी कर्कशा, झगड़ालु, क्रोधी थीं।

संत तुकाराम एक बार शहर से लौट रहे थे। रास्ते में गन्ने के खेत के मालिक ने तुकाराम जी को देखा। प्रसन्न होकर उन्हें प्रणाम और तुकाराम जी को अपने खेत से गन्ने भेंट किए। तुकराम जी को रास्ते में कुछ गरीब भूखे लोगों मिले जिन्‍हें वो गन्ने दान देते गए। घर पहुंचते-पहुंचते उनके पास एक ही गन्ना रह गया। संत तुकाराम की पत्नी झगड़ालू थी। जैसे ही तुकाराम को आते देखा घर के बर्तनों का गंदा पानी सीधा तुकाराम जी के ऊपर डाल दिया। तुकाराम जी ने शांत चित्त से हंसते हुए घर में प्रवेश किया।

धर्मपत्नी की तरफ गन्ना बढ़ाते हुए कहा आज शहर से लौट रहा था तब गन्ने के खेत के मालिक ने मुझे दो-चार गन्ने थमा दिए। इसलिए ले आया हूं। यह बात सुनते ही धर्मपत्नी को क्रोध आ गया व तुरंत बोली दो-चार दिए और आप तो एक ही गन्ना लेकर आए हो बाकी के गन्ने कहां हैं। तुकाराम ने उत्तर दिया कि वे तो रास्ते में कुछ भूखे और गरीब लोगों में बांट दिए। धर्मपत्नी को गुस्सा आ गया। उसी गन्ने से तुकाराम को पीटने लगी। गन्ने के 2 टुकड़े हो गए। तुकाराम ने हंसते हुए उत्तर दिया अच्छा हुआ पहले एक ही गन्ना था अब 2 हो गए। दोनों आराम से खा सकते हैं।

🙏🏻 सबके जीवनसाथी पिछले जन्मों के कर्मानुसार मिले हैं। अतः जो मिला है उसे स्वीकार के रिश्ता निभाएं। कोई जादू की उम्मीद न करें, कि रातों रात उनके सँस्कार बदल जाएंगे।

आपकी पत्नी को यह आभास भी नहीं है कि वो कर्कशा, झगड़ालु और क्रोधी है। वो स्वयं को नहीं जानती। उसके अनुसार वो बुद्धिमान और सुपर बेस्ट पत्नी है।

पत्नी की कर्कशा वाणी की बॉल पर कब विवेक की बैट से चौका-छक्का लगाना है, कब छोड़ देना है और कब केवल एक रन लेना है। यह कुशलता सीखने की आवश्यकता है। कुशल बैट्समैन के लिए कोई भी बॉल खेलना मुश्किल नहीं है। इसी तरह कुशल और सुदृढ़ मानसिक कुशल व्यक्ति के लिए विपरीत स्वभाब के जीवनसाथी को सम्हालना मुश्किल नहीं है।🙏🏻

*कुशलता हासिल करने के लिए निम्नलिखित पुस्तक पढें:-*

1- मित्रभाव बढ़ाने की कला
2- दृष्टिकोण ठीक रखें
3- गृहस्थ एक तपोवन
4- प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
5- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
6- मानसिक संतुलन
7- निराशा को पास न फटकने दें

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

सबसे पहले अपने को कुशल बनाओ, उसे हैंडल करने का मार्ग शांत दिमाग़ से ढूंढो। रोज ध्यान में उसके ऊर्जा शरीर और आत्मा का आह्वाहन करो और उसे गायत्री मंत्र पढ़ते हुए शुद्ध करने का भाव करो।

खाली दिमाग़ शैतान का घर होता है, अतः पत्नी को व्यस्त रखने हेतु कुछ उपाय सोचिए।

पाप से घृणा करो, पापी से नहीं। अपने जीवनसाथी का उद्धार करो। उसने पिछले जन्म में कुछ पुण्य किया था जिसके कारण उसे जीवनसाथी के रूप में अच्छे स्वभाव वाले तुम मिले हो, तुमने पिछले जन्म में कुछ पाप किया था जिसके बुरे स्वभाव की वो मिली है। अपने पुण्यकर्म बढ़ाओ और अपने प्रारब्ध को काटो। उसके पुण्यफल को उसे एन्जॉय करने दो।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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