प्रश्न - *दी, नये परिजन को आध्यात्मिक दिशा देने के लिऐ कैसे प्रेरित किया जाऐ? ख़ासकर युवाओं को अध्यात्म मार्ग का पथिक कैसे बनाया जाय?*
उत्तर- आत्मीय भाई, किसी को हम वही चीज़ दे सकते हैं जो हमारे पास स्वयं हो? किसी को वही मार्ग बता सकते हो जिस पथ पर तुम चल रहे हो या चल चुके हो...किसी को वही जानकारी दे सकते हैं जिसकी जानकारी स्वयं के पास हो? दूसरे दिए को तब जला सकेंगे जब हम उसके पास रौशन होकर पहुँचेंगे।
कुछ प्रश्न स्वयं से पूँछो:-
1- तुमने अध्यात्म क्यों चुना?
2- आध्यात्मिक पथ पर चलने से तुम्हें क्या मिला?
3- तुमने युगऋषि को गुरु क्यों चुना? उनसे जुड़कर तुम्हें क्या मिला?
4- गायत्री जप तुमने क्यों किया? इस जप से तुम्हें क्या मिला?
5- तुम गायत्री न जपने वालों से किस तरह बेहतर हो, स्वयं को मानसिक रूप से कितना स्थिर पाते हो? किस तरह तुम नशे के जाल में नहीं फँसे?
6- गुरूदेव के लिखे साहित्य में कौन सी 5 पुस्तकें तुमने पूरी पीढ़ी है, जिसने तुम्हारी आत्मा को स्पर्श किया और उसे ज्ञान से आलोकित किया?
7- युगनिर्माण योजना क्या है? और यह तुम्हें क्यों जरूरी लगती है?
8- व्यक्तिनिर्माण से तुम क्या समझते हो?
9- शत सूत्रीय कार्यक्रम में से किन 5 कार्यक्रम में तुम अपनी एक्टिव भागीदारी कर रहे हो?
10- व्यक्ति को समाज मे सुधार और विचार प्रदूषण क्यों दूर करना चाहिए।
तुलसीदास जी कहते हैं:- *खग जानहि/समझहि खगहि कर भाषा*
अपनी भाषा में अपने भावों और अनुभवों को व्यक्त करते हुए ही किसी को प्रेरित किया जा सकता है।
यदि तुम जुड़े नहीं होते, और तुम्हे कोई मिशन से जोड़ने आता। तब तुम्हारे क्या प्रश्न होते? तुम क्यों जुड़ते?
जब तक किसी प्रपोज़ल में स्वयं का लाभ और परिवार का लाभ नहीं दिखेगा तब तक कोई आपकी बातों को महत्त्व नहीं देगा।
आज की ज्वलंत समस्या है- आस्था संकट, डिप्रेशन, टूटते रिश्ते, हाई कम्पटीशन, टेंशन, अस्वस्थ शरीर इत्यादि
इन समस्याओं का समाधान:-
1- कम से कम 324 गायत्री मंन्त्र जप(3 माला)
2- ध्यान(15 से 20 मिनट बिना हिले डुले शांत बैठने का अभ्यास और उगते सूर्य का चिंतन)
3- अनुलोमविलोम प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम, प्रज्ञा योग
4- उषा पान और स्वस्थ दिनचर्या
5- निम्नलिखित पुस्तकों का स्वाध्याय:-
📖 प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
📖 व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
📖 भाव सम्वेदना की गंगोत्री
📖 गायत्री की सर्व समर्थ साधना
📖 अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार
📖 निराशा को पास न फटकने दो
📖 सफल जीवन की दिशा धारा
📖 आगे बढ़ने की तैयारी
🙏🏻 उपरोक्त विधियां अपनाकर आपको हुए लाभ लोगों को बताए, उपरोक्त पुस्तकों को पढ़कर प्रभावी ढंग से उसे क्यों पढ़े लोगो को बताएं। 🙏🏻
एक बात और - श्रीकृष्ण ने ज्ञान का प्रकाश देने का प्रयास दुर्योधन को भी किया था, मगर उसने ठुकरा दिया। गीता का ज्ञान का प्रकाश अर्जुन मिला क्योंकि उसने सुना और स्वीकारा। इसी तरह तुम्हें अर्जुन और दुर्योधन दोनों टाइप के लोग मिलेंगे। तुम केवल सच्चे मन से प्रयास करना और सफलता-असफलता की परवाह मत करना।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर- आत्मीय भाई, किसी को हम वही चीज़ दे सकते हैं जो हमारे पास स्वयं हो? किसी को वही मार्ग बता सकते हो जिस पथ पर तुम चल रहे हो या चल चुके हो...किसी को वही जानकारी दे सकते हैं जिसकी जानकारी स्वयं के पास हो? दूसरे दिए को तब जला सकेंगे जब हम उसके पास रौशन होकर पहुँचेंगे।
कुछ प्रश्न स्वयं से पूँछो:-
1- तुमने अध्यात्म क्यों चुना?
2- आध्यात्मिक पथ पर चलने से तुम्हें क्या मिला?
3- तुमने युगऋषि को गुरु क्यों चुना? उनसे जुड़कर तुम्हें क्या मिला?
4- गायत्री जप तुमने क्यों किया? इस जप से तुम्हें क्या मिला?
5- तुम गायत्री न जपने वालों से किस तरह बेहतर हो, स्वयं को मानसिक रूप से कितना स्थिर पाते हो? किस तरह तुम नशे के जाल में नहीं फँसे?
6- गुरूदेव के लिखे साहित्य में कौन सी 5 पुस्तकें तुमने पूरी पीढ़ी है, जिसने तुम्हारी आत्मा को स्पर्श किया और उसे ज्ञान से आलोकित किया?
7- युगनिर्माण योजना क्या है? और यह तुम्हें क्यों जरूरी लगती है?
8- व्यक्तिनिर्माण से तुम क्या समझते हो?
9- शत सूत्रीय कार्यक्रम में से किन 5 कार्यक्रम में तुम अपनी एक्टिव भागीदारी कर रहे हो?
10- व्यक्ति को समाज मे सुधार और विचार प्रदूषण क्यों दूर करना चाहिए।
तुलसीदास जी कहते हैं:- *खग जानहि/समझहि खगहि कर भाषा*
अपनी भाषा में अपने भावों और अनुभवों को व्यक्त करते हुए ही किसी को प्रेरित किया जा सकता है।
यदि तुम जुड़े नहीं होते, और तुम्हे कोई मिशन से जोड़ने आता। तब तुम्हारे क्या प्रश्न होते? तुम क्यों जुड़ते?
जब तक किसी प्रपोज़ल में स्वयं का लाभ और परिवार का लाभ नहीं दिखेगा तब तक कोई आपकी बातों को महत्त्व नहीं देगा।
आज की ज्वलंत समस्या है- आस्था संकट, डिप्रेशन, टूटते रिश्ते, हाई कम्पटीशन, टेंशन, अस्वस्थ शरीर इत्यादि
इन समस्याओं का समाधान:-
1- कम से कम 324 गायत्री मंन्त्र जप(3 माला)
2- ध्यान(15 से 20 मिनट बिना हिले डुले शांत बैठने का अभ्यास और उगते सूर्य का चिंतन)
3- अनुलोमविलोम प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम, प्रज्ञा योग
4- उषा पान और स्वस्थ दिनचर्या
5- निम्नलिखित पुस्तकों का स्वाध्याय:-
📖 प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
📖 व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
📖 भाव सम्वेदना की गंगोत्री
📖 गायत्री की सर्व समर्थ साधना
📖 अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार
📖 निराशा को पास न फटकने दो
📖 सफल जीवन की दिशा धारा
📖 आगे बढ़ने की तैयारी
🙏🏻 उपरोक्त विधियां अपनाकर आपको हुए लाभ लोगों को बताए, उपरोक्त पुस्तकों को पढ़कर प्रभावी ढंग से उसे क्यों पढ़े लोगो को बताएं। 🙏🏻
एक बात और - श्रीकृष्ण ने ज्ञान का प्रकाश देने का प्रयास दुर्योधन को भी किया था, मगर उसने ठुकरा दिया। गीता का ज्ञान का प्रकाश अर्जुन मिला क्योंकि उसने सुना और स्वीकारा। इसी तरह तुम्हें अर्जुन और दुर्योधन दोनों टाइप के लोग मिलेंगे। तुम केवल सच्चे मन से प्रयास करना और सफलता-असफलता की परवाह मत करना।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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