प्रश्न - *दी, आज़कल फ़ेसबुक में कुछ सरफिरे लोग है जो होली के विरोध में निम्नलिखित मैसेज के साथ फ़ोटो भेज रहे हैं?*
1- होलिका एक नारी थी, होलिका दहन की आड़ में नारी का अपमान बन्द करो
2- लैंगिक उत्पीड़न को सांस्कृतिक उत्सव न बनाएं
🔥🔥🔥🔥🔥
उत्तर - आत्मीय बहन, *ऐसे सरफिरों और नादानों को निम्नलिखित जवाब दें*
😇😇😇:-
👉🏼1- भारतीय संस्कृति में बुराई अच्छाई की जीत के उत्सव मनाए जाते हैं। इसमें स्त्री-पुरुष का भेदभाव हम नहीं करते। प्रतीक रूप में दशहरा में रावण(पुरुष) और होली में होलिका(स्त्री) को जलाकर उसका धूमधाम से अंतिम क्रिया करते हैं।
👉🏼2- भारतीय संस्कृति में मरने पर ज़मीन में दफ़न करने/गाड़ने का रिवाज नहीं है।हमारे यहां 🔥 चिता जलाई जाती है। तो रावण हो या होलिका दोनों बुराइयों का अंतिम सँस्कार प्रतीक रूप में अग्नि से ही किया जाता है।
3- भारतीय संविधान में हो या भारतीय संस्कृति हो दोनों में मृत्यु दण्ड किये गए अपराध के आधार पर दिया जाता है, इसमें लैंगिक भेदभाव नहीं किया जाता।
4- अन्य धर्मों में स्त्रियों को पूजा नहीं जाता है वहां आपको मुख्य देवता या गुरु रूप में पुरुष ही मिलेंगे, 👉🏼🙏🏻 लेकिन भारतीय संस्कृति में त्रिदेव(ब्रह्मा, विष्णु, महेश) हैं तो त्रिदेवियाँ(सरस्वती, लक्ष्मी, दुर्गा) है। जिसतरह देव शक्तियों को पूजते वक्त हम भेदभाव नहीं करते, उसी तरह हम दुष्टशक्तियों के विनाश में भी भेदभाव नहीं करते। लैंगिक भेदभाव भारतीय संस्कृति में नहीं है।
5- मुस्लिमों में जन्नत और 72 हूर पुरुषों के लिए हैं और नारियों के लिए कुछ भी वर्णित नहीं है। हमारे भारतीय संस्कृति में स्वर्ग के सुख हों या नर्क के दुःख कर्मानुसार बिना लैंगिक भेदभाव के मिलते हैं।
6- परिवार में अर्धांगिनी और अर्धांग का कॉन्सेप्ट है। दो शरीर एक जान।
7- धर्म आयोजन में स्त्री पुरुष के दाहिने तरफ बैठकर धर्म क्षेत्र में उससे आगे ही होती है।
🤩अतः बिना भारतीय संस्कृति को समझे बिन सर पैर का ज्ञान हमें न बांटे।
हमारे सनातन धर्म के व्रत त्यौहार को समझने के लिए थोड़ा भारतीय संस्कृति का अध्ययन करें। स्त्री हो या पुरुष अच्छा कर्म करेगा तो पूजा जाएगा और बुरा कर्म करेगा तो पुरुष(रावण) हो या स्त्री(होलिका) जलाया जाएगा।
बुराई कितनी ही बड़ी क्यों न हो, उसका अंतिम संस्कार तो अच्छाई के हाथों ही होगा। अब हम अंतिम संस्कार 🔥अग्नि से ही करते हैं।😂😂😂😂😂
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
1- होलिका एक नारी थी, होलिका दहन की आड़ में नारी का अपमान बन्द करो
2- लैंगिक उत्पीड़न को सांस्कृतिक उत्सव न बनाएं
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उत्तर - आत्मीय बहन, *ऐसे सरफिरों और नादानों को निम्नलिखित जवाब दें*
😇😇😇:-
👉🏼1- भारतीय संस्कृति में बुराई अच्छाई की जीत के उत्सव मनाए जाते हैं। इसमें स्त्री-पुरुष का भेदभाव हम नहीं करते। प्रतीक रूप में दशहरा में रावण(पुरुष) और होली में होलिका(स्त्री) को जलाकर उसका धूमधाम से अंतिम क्रिया करते हैं।
👉🏼2- भारतीय संस्कृति में मरने पर ज़मीन में दफ़न करने/गाड़ने का रिवाज नहीं है।हमारे यहां 🔥 चिता जलाई जाती है। तो रावण हो या होलिका दोनों बुराइयों का अंतिम सँस्कार प्रतीक रूप में अग्नि से ही किया जाता है।
3- भारतीय संविधान में हो या भारतीय संस्कृति हो दोनों में मृत्यु दण्ड किये गए अपराध के आधार पर दिया जाता है, इसमें लैंगिक भेदभाव नहीं किया जाता।
4- अन्य धर्मों में स्त्रियों को पूजा नहीं जाता है वहां आपको मुख्य देवता या गुरु रूप में पुरुष ही मिलेंगे, 👉🏼🙏🏻 लेकिन भारतीय संस्कृति में त्रिदेव(ब्रह्मा, विष्णु, महेश) हैं तो त्रिदेवियाँ(सरस्वती, लक्ष्मी, दुर्गा) है। जिसतरह देव शक्तियों को पूजते वक्त हम भेदभाव नहीं करते, उसी तरह हम दुष्टशक्तियों के विनाश में भी भेदभाव नहीं करते। लैंगिक भेदभाव भारतीय संस्कृति में नहीं है।
5- मुस्लिमों में जन्नत और 72 हूर पुरुषों के लिए हैं और नारियों के लिए कुछ भी वर्णित नहीं है। हमारे भारतीय संस्कृति में स्वर्ग के सुख हों या नर्क के दुःख कर्मानुसार बिना लैंगिक भेदभाव के मिलते हैं।
6- परिवार में अर्धांगिनी और अर्धांग का कॉन्सेप्ट है। दो शरीर एक जान।
7- धर्म आयोजन में स्त्री पुरुष के दाहिने तरफ बैठकर धर्म क्षेत्र में उससे आगे ही होती है।
🤩अतः बिना भारतीय संस्कृति को समझे बिन सर पैर का ज्ञान हमें न बांटे।
हमारे सनातन धर्म के व्रत त्यौहार को समझने के लिए थोड़ा भारतीय संस्कृति का अध्ययन करें। स्त्री हो या पुरुष अच्छा कर्म करेगा तो पूजा जाएगा और बुरा कर्म करेगा तो पुरुष(रावण) हो या स्त्री(होलिका) जलाया जाएगा।
बुराई कितनी ही बड़ी क्यों न हो, उसका अंतिम संस्कार तो अच्छाई के हाथों ही होगा। अब हम अंतिम संस्कार 🔥अग्नि से ही करते हैं।😂😂😂😂😂
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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