प्रश्न - *दी, साधना के दौरान लहसन प्याज क्यों नहीं खाते हैं? क्या इससे पाप लगता है और भगवान हमे दण्ड देते हैं? हमारी ससुराल में लहसन प्याज़ का सब्जी और दाल में प्रयोग होता है? हम बलिवैश्व यज्ञ किचन में कर सकते हैं क्या?मार्गदर्शन करें..*
उत्तर - आत्मीय बहन, प्याज और लहसन खाने से पाप और पुण्य का कोई लेना देना नहीं है। भगवान इसका सेवन करने वाले पर न प्रशन्न होते है और न हीं उनपर क्रोधित होते हैं।
*अतःब्राह्मण और साधनारत लोग क्यों नहीं खाते प्याज और लहसुन, इसे स्वस्थ मानसिकता से समझो*
प्याज और लहसुन के बिना कई लोगों को खाना बेस्वाद लगता होगा लेकिन साधक और ब्राह्मण इससे दूरी बनाकर चलते हैं। ब्राह्मण प्याज और लहसुन से परहेज क्यों करते हैं, ऐसा प्रश्न तुम्हारी तरह अनेक युवाओं के दिमाग में भी ये सवाल कभी न कभी कौंधता ही होगा। कुछ लोग इसके पीछे धार्मिक मान्यताओं का हवाला देते हैं, लेकिन कुछेक इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी बताते हैं।
*फूड कैटगराइजेशन:*
आयुर्वेद में खाद्य पदार्थों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है - सात्विक, राजसिक और तामसिक। मानसिक स्थितियों के आधार पर इन्हें हम ऐसे बांट सकते हैं...
👉🏼 *सात्विक:* शांति, संयम, पवित्रता और मन की शांति जैसे गुण
👉🏼 *राजसिक:* जुनून और खुशी जैसे गुण
👉🏼 *तामसिक:* क्रोध, जुनून, अहंकार और विनाश जैसे गुण
👉🏼 *ये हैं वजह:*
👉🏼 *अहिंसा:* प्याज़ और लहसुन तथा अन्य ऐलीएशस (लशुनी) पौधों को राजसिक और तामसिक रूप में वर्गीकृत किया गया है। जिसका मतलब है कि ये जुनून और अज्ञानता में वृद्धि करते हैं।
*अशुद्ध उत्तेजक भावनाओ में वृद्धि*: कुछ लोगों का ये भी कहना है कि मांस, प्याज और लहसुन का अधिक मात्रा में सेवन व्यवहार में बदलाव का कारण बन जाता है। शास्त्र के अनुसार लहसुन, प्याज और मशरूम ब्राह्मणों के लिए निषिद्ध हैं, क्योंकि आमतौर पर ये अशुद्ध उत्तेजक भावनाएं और विचार बढ़ाते है। ब्राह्मणों को विचारों में पवित्रता और हृदय में शांति बनाए रखने की जरूरत होती है, क्योंकि वे देवताओं की पूजा करते हैं जोकि प्रकृति में सात्विक (शुद्ध) होते हैं।
*सनातन धर्म के अनुसार*: सनातन धर्म के वेद शास्त्रों के अनुसार प्याज और लहसुन जैसी सब्जियां प्रकृति प्रदत्त भावनाओं में सबसे निचले दर्जे की भावनाओं जैसे जुनून, उत्तजेना और अज्ञानता को बढ़ावा देती हैं, जिस कारण अध्यात्मक के मार्ग पर चलने में बाधा उत्पन्न होती हैं और व्यक्ति की चेतना प्रभावित होती है। इस कराण इनका सेवन नहीं करना चाहिेए।
🙏🏻 *साधारण शब्दों में यह समझो कि भोजन के स्थूल से शरीर और सूक्ष्म प्रभाव से मन का निर्माण होता है। नमक खाना कोई पाप नहीं होता। लेकिन खीर बनाते समय नमक का प्रयोग तो नहीं कर सकते है न...इसी तरह साधक जिस प्रकार की परमशान्ति, धैर्य और सात्विक मनोभूमि का निर्माण करके आध्यात्मिक लाभ उठाना चाहते हैं, उसमें जुनून और आवेश पैदा करने वाले तामसिक आहार लहसन प्याज बाधक होते हैं। दैनिक भोजन में भले खा लो, लेकिन अनुष्ठान के वक्त मत खाना। व्रत में फलाहार इत्यादि लेना या सात्विक भोजन ले लेना।लहसन प्याज बड़े गरिष्ठ, उत्तेजक भी होते है और औषधीय गुणों से सम्पन्न भी होते है, इन्हें पचने में अधिक वक़्त, ऊर्जा और प्राणवायु की आवश्यकता पड़ती है। इनके सेवन से पेट मे भारीपन होता है, जिसके कारण मन भारी होता है। ध्यान करने हेतु हल्के पेट और हल्के मन की आवश्यकता होती है।*🙏🏻
बेटे, *अग्नि में हम वो अर्पित करते हैं जैसी ऊर्जा हमें वातावण में चाहिए। अतः अग्नि में नमक भी अर्पित नहीं करते। वैसे भी नमक सोडियम क्लोराइड एक तरह से शरीर को भी नुकसान करता है और जलने पर उसकी हानिकारक गैस भी नुकसान दायक है। अतः घर में बिना नमक वाला पका चावल या रोटी लेकर उसमें गुड़ और देशी घी मिलाकर चने बराबर 5 गोलियाँ बना लें उसी से बलिवैश्व हवन कर लें*।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय बहन, प्याज और लहसन खाने से पाप और पुण्य का कोई लेना देना नहीं है। भगवान इसका सेवन करने वाले पर न प्रशन्न होते है और न हीं उनपर क्रोधित होते हैं।
*अतःब्राह्मण और साधनारत लोग क्यों नहीं खाते प्याज और लहसुन, इसे स्वस्थ मानसिकता से समझो*
प्याज और लहसुन के बिना कई लोगों को खाना बेस्वाद लगता होगा लेकिन साधक और ब्राह्मण इससे दूरी बनाकर चलते हैं। ब्राह्मण प्याज और लहसुन से परहेज क्यों करते हैं, ऐसा प्रश्न तुम्हारी तरह अनेक युवाओं के दिमाग में भी ये सवाल कभी न कभी कौंधता ही होगा। कुछ लोग इसके पीछे धार्मिक मान्यताओं का हवाला देते हैं, लेकिन कुछेक इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी बताते हैं।
*फूड कैटगराइजेशन:*
आयुर्वेद में खाद्य पदार्थों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है - सात्विक, राजसिक और तामसिक। मानसिक स्थितियों के आधार पर इन्हें हम ऐसे बांट सकते हैं...
👉🏼 *सात्विक:* शांति, संयम, पवित्रता और मन की शांति जैसे गुण
👉🏼 *राजसिक:* जुनून और खुशी जैसे गुण
👉🏼 *तामसिक:* क्रोध, जुनून, अहंकार और विनाश जैसे गुण
👉🏼 *ये हैं वजह:*
👉🏼 *अहिंसा:* प्याज़ और लहसुन तथा अन्य ऐलीएशस (लशुनी) पौधों को राजसिक और तामसिक रूप में वर्गीकृत किया गया है। जिसका मतलब है कि ये जुनून और अज्ञानता में वृद्धि करते हैं।
*अशुद्ध उत्तेजक भावनाओ में वृद्धि*: कुछ लोगों का ये भी कहना है कि मांस, प्याज और लहसुन का अधिक मात्रा में सेवन व्यवहार में बदलाव का कारण बन जाता है। शास्त्र के अनुसार लहसुन, प्याज और मशरूम ब्राह्मणों के लिए निषिद्ध हैं, क्योंकि आमतौर पर ये अशुद्ध उत्तेजक भावनाएं और विचार बढ़ाते है। ब्राह्मणों को विचारों में पवित्रता और हृदय में शांति बनाए रखने की जरूरत होती है, क्योंकि वे देवताओं की पूजा करते हैं जोकि प्रकृति में सात्विक (शुद्ध) होते हैं।
*सनातन धर्म के अनुसार*: सनातन धर्म के वेद शास्त्रों के अनुसार प्याज और लहसुन जैसी सब्जियां प्रकृति प्रदत्त भावनाओं में सबसे निचले दर्जे की भावनाओं जैसे जुनून, उत्तजेना और अज्ञानता को बढ़ावा देती हैं, जिस कारण अध्यात्मक के मार्ग पर चलने में बाधा उत्पन्न होती हैं और व्यक्ति की चेतना प्रभावित होती है। इस कराण इनका सेवन नहीं करना चाहिेए।
🙏🏻 *साधारण शब्दों में यह समझो कि भोजन के स्थूल से शरीर और सूक्ष्म प्रभाव से मन का निर्माण होता है। नमक खाना कोई पाप नहीं होता। लेकिन खीर बनाते समय नमक का प्रयोग तो नहीं कर सकते है न...इसी तरह साधक जिस प्रकार की परमशान्ति, धैर्य और सात्विक मनोभूमि का निर्माण करके आध्यात्मिक लाभ उठाना चाहते हैं, उसमें जुनून और आवेश पैदा करने वाले तामसिक आहार लहसन प्याज बाधक होते हैं। दैनिक भोजन में भले खा लो, लेकिन अनुष्ठान के वक्त मत खाना। व्रत में फलाहार इत्यादि लेना या सात्विक भोजन ले लेना।लहसन प्याज बड़े गरिष्ठ, उत्तेजक भी होते है और औषधीय गुणों से सम्पन्न भी होते है, इन्हें पचने में अधिक वक़्त, ऊर्जा और प्राणवायु की आवश्यकता पड़ती है। इनके सेवन से पेट मे भारीपन होता है, जिसके कारण मन भारी होता है। ध्यान करने हेतु हल्के पेट और हल्के मन की आवश्यकता होती है।*🙏🏻
बेटे, *अग्नि में हम वो अर्पित करते हैं जैसी ऊर्जा हमें वातावण में चाहिए। अतः अग्नि में नमक भी अर्पित नहीं करते। वैसे भी नमक सोडियम क्लोराइड एक तरह से शरीर को भी नुकसान करता है और जलने पर उसकी हानिकारक गैस भी नुकसान दायक है। अतः घर में बिना नमक वाला पका चावल या रोटी लेकर उसमें गुड़ और देशी घी मिलाकर चने बराबर 5 गोलियाँ बना लें उसी से बलिवैश्व हवन कर लें*।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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