Wednesday, 24 April 2019

प्रश्न - *दीदी, किसी महिला पर देवी आना अँधिविश्वास है या मनोविकार है या सच्चाई है? महिला मंडल 22 महिलाओं का है, नवरात्रि में रोज 9 दिन तक गायत्री मंत्र का सामूहिक जप्और भजन मां गायत्री माता की आरती करते हैं .इसी दौरान एक महिला को माताजी आ गई

समस्या - *दीदी, महिला मंडल  22 महिलाओं का है,  नवरात्रि में रोज 9 दिन तक गायत्री मंत्र का सामूहिक जप्और भजन मां गायत्री माता की आरती करते हैं .इसी दौरान एक महिला को माताजी आ गई और सब उसके पूजा अर्चना में लग गए मेरी बेटी ने बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन अंधविश्वास में पड़ी हुई महिलाओं ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया आपस में सद्भावना और व्यवहार अच्छा होने के कारण वह ज्यादा कुछ बोल भी नहीं सकती आप कुछ ऐसी पोस्ट बनावे जिससे उनको उचित ज्ञान हो और बुरा भी ना लगे।*

उत्तर - आत्मीय बहन, एक बार हम भी घर घर कलश स्थापना में गए थे, हमारे समक्ष भी ऐसे ही एक औरत के ऊपर माता जी आयी।

हम उठकर *शांति मंन्त्र पढ़कर* उस पर छिड़क दिया। कुछ देर में वो शांत हो गयी।

केवल 1% कोई सिद्ध तपस्वी हिमालयीन आत्मा में देवी अवतरित हो सकती हैं।

लेकिन 99% केस में यह एक मानसिक बीमारी है, जिसे Dissociative identity disorder (DID) कहते हैं।
previously known as multiple personality disorder,[7] is a mental disorder characterized by at least two distinct and relatively enduring personality states.[3] This is accompanied by memory gaps, beyond what would be explained by ordinary forgetfulness.[3] These states alternately show in a person's behavior;[3] presentations, however, are variable.[5] Other conditions which often occur in people with DID include borderline personality disorder (BPD), posttraumatic stress disorder (PTSD), depression, substance use disorders, self-harm, or anxiety.

यह बीमारी उस लड़की को होती है जो उच्च महत्वाकांक्षी होती है, सम्मान की भूखी होती है, लेकिन जिसके मन में कोई गहरा सदमा उज़के परिवार द्वारा बचपन का बड़े में दिया गया होता है, और गहरी इन्सल्ट कभी न कभी हुई होती है। यह प्रताड़ना उसके भीतर स्वयं के अस्तित्व को नकार देता है, जिसकी कोई घर समाज में रेस्पेक्ट नहीं है।

वह अपने सदमें और लानत को भुलाने के लिए भगवान की भक्ति का सहारा लेती है। वह जब देखती है कि माता को लोग कितनी पूजा और सम्मान दे रहे हैं। तो उसके मन में माता की तरह बनने का भाव गहरा जाता है। तब Dissociative identity disorder (DID) के तहत स्वयं में माता के प्रकटीकरण का अनुभव करती हैं। शुरुआत में झूमती है और फिर जोर जोर बड़ी आवाज़ें करके सबका ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करती है। क्योंकि यह धार्मिक पुस्तकें नित्य पढ़ती है, तो वह उन बातों को उस दौरान बोलती है।

आपने फ़िल्म मुन्ना भाई MBBS देखा होगा, उसमें संजय दत्त उर्फ मुन्ना भाई को गांधी जी दिखते थे, लेकिन वो केवल उतना उत्तर देते थे जितना मुन्ना भाई ने लाइब्रेरी में पढ़ा हुआ होता है। इसीतरह जिन महिला में माताजी आता है, उसके पास केवल उतना ही ज्ञान होता है जितनी पुस्तक उसने पढ़ी होती है। उन्हीं व्यक्ति के बारे में बोल सकती है जिसे वो पहले से जानती है।

यदि जब माता जी आई हो उसके समक्ष किसी नए व्यक्ति और महिला को समक्ष लाया जाय तो वो उसके सम्बन्ध में कुछ भी नहीं बोल पाएगी। क्योंकि उस नए व्यक्ति से सम्बंधित कोई जानकारी उसके मष्तिष्क में नहीं है। कोई ऐसी बात का उत्तर नहीं दे सकती जो उसने कभी पढ़ा या देखा न हो।

माता जी का भाव/पहचान उतरने के बाद उसे कुछ भी 90% केस में याद नहीं रहता। 10% केस में यादाश्त बनी रहती है। उसने क्या बोला या क्या किया भूल जाती है।

इसका इलाज़ मनोचिकित्सक के पास होता है, वो उसे हिप्नोसिस के जरिये उस घटना तक ले जाता है जिससे वो आहत हुई थी। उसके मन की सफाई करता है, साथ ही दवाईयां देता है। परिवार वालो को भी इलाज के दौरान सहयोग करना होता है।

कभी भी माताजी  वाली Dissociative identity disorder (DID) किसी सुखी समृद्ध सम्पन्न और प्रशन्न स्त्री को नहीं होता।

मनोरोगी को कोई ज्ञान बिना उसकी मानसिक हालत समझे नहीं देना चाहिए। जब वह Dissociative identity disorder (DID) अटैक से गुजर रही हो तो उल्टा सीधा न बोलें, उसे नौटंकी न बोले अन्यथा वो अपना मानसिक संतुलन खोकर हिंसक भी बन सकती है।

आप सामूहिक गायत्री मंत्र 3 बार बोलकर, उसके ऊपर शांति पाठ मंन्त्र पढ़ते हुए जल छिड़क दें।

आप केवल उसका वीडियो बनाकर उसके घरवालों को देकर उसके इलाज के लिए प्रेरित कर सकते हैं। ऐसा कुछ न करें कि वह और ज्यादा भड़क जाए या पागलपन में आ जाये।

Dissociative identity disorder (DID) एक कॉमन बीमारी है, देश विदेश सर्वत्र इसके मरीज पाए जाते हैं। ऐसे मरीज़ बचपन या जवानी में किसी गहरे सदमें से गुजरे होते हैं, या अपने जीवनसाथी से किसी न किसी कारण चिढ़े होते हैं। इनका वैवाहिक जीवन डिस्टर्ब होता है।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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