प्रश्न - *गाय की पूजा क्यों की जाती है? और इसका उद्देश्य क्या है, क्या महत्व है? गौ और गायत्री का सम्बंध क्या है? गौ पूजा से हमें क्या लाभ मिलता है? वर्तमान शहरी युवा जो फ्लैट सिस्टम में रहते हैं, वो किस प्रकार गौ सेवा करें? मैं जिस शहर में जॉब करता हूँ और जिस सोसायटी में रहता हूँ यहां आसपास गाय दिखती नहीं है? परमपूज्य गुरूदेव गौ सेवा के बारे में क्या कहते थे?*
उत्तर - आत्मीय भाई,
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👉🏼 भारतीय संस्कृति का भवन चार स्तम्भ पर खड़ा है - गौ, गंगा, गीता और गायत्री।
*गौ(गाय)*- यह महज पशु नहीं है। यह गौ माता हैं -आध्यात्मिक सम्पदा के स्रोत के साथ साथ आर्थिक सम्पदा का आधार हैं, औषधीय गुणों से भरपूर स्वास्थ्य रक्षक दूध है। कृषि प्रधान देश की आत्मा *गाय* है। इसका दूध, दही, मूत्र, गोबर सबकुछ उपयोगी है।
*गंगा* - यह महज नदी नहीं है- आध्यात्मिक सम्पदा के स्रोत के साथ साथ आर्थिक सम्पदा का आधार हैं, औषधीय गुणों से भरपूर स्वास्थ्य रक्षक जल है। भारतीय भूभाग को उपजाऊ बनाती है। बड़े शहर इसके किनारे बसे हैं।
*गीता* - यह महज पुस्तक नहीं है- आध्यात्मिक सम्पदा के स्रोत के साथ साथ विश्व की सबसे बड़ी प्रबंधन(Management) पुस्तक है। जो जीवन प्रबंधन, व्यवसाय प्रबंधन, अर्थ प्रबंधन, परिवार प्रबंधन, आध्यात्म में ज्ञान-भक्ति-सांख्य सभी का प्रबन्ध सिखाती है। यह वेदों का सार है। जो गीता नित्य पढ़ता है, उसे कोर्ट जाकर गीता पर हाथ रखने की आवश्यकता नहीं पड़ती। वह कभी झमेले में नहीं पड़ता।
*गायत्री* - यह महज देवी नहीं है- बौद्धिक और आध्यात्मिक सम्पदा के स्रोत के साथ साथ समस्त मनोकामना पूरी करने वाली कलियुग की कामधेनु है। औषधीय गुणों से भरपूर गायत्री मंत्र है, जो रोगनाशक, इम्युनिटी बढाने वाला, पुष्टिवर्धक, बौद्धिक कुशलता बढ़ाने वाला है। इसपर AIIMS के डॉक्टर ने रिसर्च भी किया है।
ये चारों एक दूसरे से अटूट सम्बन्ध रखते है। मनुष्य में देवत्व के उदय और धरती पर स्वर्ग अवतरण के लिए यह चारों ही चाहिए। यह अध्यात्म के चार मुख्य मार्ग हैं, इनमें से यदि एक को भी साध लिया तो भी आत्मोत्कर्ष तक पहुंचा जा सकता है।
👉🏼 *गौ सेवा का महत्त्व* - गौ पूजा के कई घटनाएं गर्न्थो में भरे पड़े हैं। हम एक प्राचीन और दो वर्तमान कलियुग की घटना बता रहे हैं।
प्राचीन समय में राजा दिलीप ने कपिला गौ सेवा करके सन्तान प्राप्ति के साथ साथ ऋद्धियाँ सिद्धियां पाई थी।
वर्तमान में *प्रसिद्ध देश भक्त और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महादेव गोविंद रानाडे* का जन्म गौ सेवा के फलस्वरूप हुआ था। उनके माता-पिता वृद्ध हो चले थे, निःसन्तान होने की वजह से दुःखी थे। एक सन्त ने उन्हें बछड़े सहित काली गौ माता की सेवा करने की सलाह दी। वो गौ माता को साबुत गेहूँ खिलाते, गोबर में जो गेहूं निकलता उसे धोकर, सुखाकर और पीस कर आटा बनाते और पति पत्नी छह मास तक वही रोटियां खाते रहे, उसी गाय का दूध, दही, छाछ, मक्खन खाते। तीनों संध्या में गायत्री जपते रहे। सुबह खाली पेट पति-पत्नी दोनों तीन चम्मच गौ अर्क लेते थे। गौ के गोबर की समिधा से और उसी गाय के दूध से बने घी से नित्य यज्ञ करते रहे। दोनों बांझपन दूर हुआ और उन्होंने तेजस्वी बालक *महादेव रानाडे* को जन्म दिया। कोई भी निःसन्तान दम्पत्ति इस उपाय से सन्तान वर्तमान समय मे भी पा सकता है।
युगऋषि गुरूदेव ने *गायत्री की सिद्धि के लिए* गायत्री अनुष्ठान के साथ साथ गौ सेवा की थी। गाय को साबुत *जौ* खिलाते, उसके गोबर से *जौ* छानकर, धोकर, सुखाकर और उसे पीसकर वन्दनीया माता जी रोटी बनाती। युगऋषि परमपूज्य गुरूदेव 24 वर्षो तक 24-24 लाख के गायत्री मंत्र महापुरुश्चरण के दौरान उसी जौ की रोटी और उसी गाय के दूध के छाछ का सेवन करते रहे। नित्य यज्ञादि गौ घृत से करते रहे। अष्ट सिद्धि और नवनिधि को प्राप्त किया। असंभव भी संभव कर सके। 3200 से अधिक पुस्तको का विविध विषयों पर लेखन किया, युगनिर्माण योजना और विचारक्रांति अभियान को शुरू किया।
कोई भी व्यक्ति एक वर्ष तक 66 माला रोज गायत्री जप, गौ सेवा करते हुए गौ को साबुत जौ या गेहूँ खिलाकर उसकी रोटी ख़ाकर अनुष्ठान पूरा करे। इसके प्रभाव को स्वयं अनुभव कर सकता है।
👉🏼 किसी भी व्यक्ति की कुंडली में दोष हो या घर में पितृ दोष हो, तो वो गौशाला में एक घण्टे नित्य सेवा दें, चना और गुड़ गौ माता को खिलाये। देशी गाय के गोबर की समिधा(उपले) में हवन सामग्री, गुड़, देशी गाय का घी मिलाकर 40 दिन तक नित्य 24 गायत्री मन्त्रों और 11 महामृत्युंजय मंत्र से आहुति दे तो समस्त दोषों का नाश होता है।
👉🏼 सामान्य रोगी या असाध्य बीमारियों से ग्रसित रोगी स्वास्थ्य लाभ के लिए सुबह खाली पेट तीन चम्मच गौ अर्क(गौ मूत्र) गंगा जल के साथ पियें, नित्य 3 माला गायत्री मंन्त्र का जप, 1 माला महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।गौशाला में एक घण्टे नित्य सेवा दें, चना और गुड़ गौ माता को खिलाये। देशी गाय के गोबर की समिधा(उपले) में औषधीय हवन सामग्री, गुड़, देशी गाय का घी मिलाकर 40 दिन तक नित्य 24 गायत्री मन्त्रों और 11 महामृत्युंजय मंत्र से आहुति दे तो समस्त रोगों का नाश होता है।
👉🏼 भारतीय आयुर्वेद तो गौ अर्क का सदियों से चिकित्सा में प्रयोग करता रहा है। लेकिन पाश्चत्य देश में गौ मूत्र के रोगनाशक क्षमता और बीमारियों में इसके उपयोग करने हेतु 5 पेटेंट अमेरिका और 1 पेटेंट चाइना के पास है।
👉🏼 गौ मूत्र और गोबर से तैयार अमृत मिट्टी और अमृत जल तो कृषि के लिए वरदान हैं।
http://www.amrutkrushi.com/amrut%20jal.html
👉🏼 देशी गाय का दूध समस्त औषधिय गुणवत्ता युक्त अमृत है, जिसे आधुनिक भाषा मे A2 कहा जाता है। A2 दूध को पचाना ज्यादा आसान होता है। गूगल में SE दूध सर्च करके फायदे जान लें।
👉🏼 गौ के ज्ञान विज्ञान के लिए यह वीडियो देखे:- https://youtu.be/-TleWRT6Bbw
👉🏼 गौ सेवा से आध्यात्मिक लाभ सम्बन्धी यह आर्टिकल पढो-
http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1959/March/v2.12
👉🏼 कृषि समस्या, स्वास्थ्य समस्या और जीवन को समस्याओं एक समाधान गौ पालन है।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
तुम्हारे जैसा युवा लड़का जो HR Manager बड़ी बंगलोर की मलटीनेशनल कम्पनी में जॉब करता है। कॉरपोरेट में लोग जहां शराब-शवाब से ज्यादा कुछ सोचते नहीं। ऐसे कीचड़ में तुम कमल हो, जो इन सबसे ऊपर उठकर गौ सेवा को समझना चाहता है। तुम एक श्रेष्ठ आत्मा हो, तुम्हें मेरा प्रणाम।
🐮 आसपास प्रत्येक शहर में गौशाला है। जैसे मन्दिर जाते हो वैसे महीने में एक बार गौ शाला जाओ। समयदान करो और उन्हें चारा दान करो।
🐮 एक सोसायटी के भावनाशील एकजुट होकर 20-25 लोग गौ सेवा फंड बनाओ। उसमें अंशदान करो, फिंर नज़दीकी गांव में एक या दो फ़ैमिली को रोजगार दो और गौपालन करवाओ। उसका घी और दूध अपनी सोसायटी के सदस्यों तक पहुंचाओ। ऐसा रोल मॉडल बनाओ कि सब लाभान्वित हों।
🐮 एक गांव गोद लेकर अमृत मिट्टी और अमृत जल से ऑर्गेनिक खेती करवाओ। फिंर उस अनाज को अपनी सोसायटी कर लोगों को खाने हेतु उपलब्ध करवाओ।
🐮 गौ चिकित्सा केंद्र भी खुलवा सकते हो, मशीनें लगवाकर गौ अर्क इत्यादि गो मेडिसिन, गौ समिधा इत्यादि उपलब्ध करवा सकते हो।
🐮 गौ सेवा के साथ देश सेवा हो जाएगी। गौ माता के साथ भारत माता की भी कृपा मिलेगी। संगठन में शक्ति है।
🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय भाई,
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👉🏼 भारतीय संस्कृति का भवन चार स्तम्भ पर खड़ा है - गौ, गंगा, गीता और गायत्री।
*गौ(गाय)*- यह महज पशु नहीं है। यह गौ माता हैं -आध्यात्मिक सम्पदा के स्रोत के साथ साथ आर्थिक सम्पदा का आधार हैं, औषधीय गुणों से भरपूर स्वास्थ्य रक्षक दूध है। कृषि प्रधान देश की आत्मा *गाय* है। इसका दूध, दही, मूत्र, गोबर सबकुछ उपयोगी है।
*गंगा* - यह महज नदी नहीं है- आध्यात्मिक सम्पदा के स्रोत के साथ साथ आर्थिक सम्पदा का आधार हैं, औषधीय गुणों से भरपूर स्वास्थ्य रक्षक जल है। भारतीय भूभाग को उपजाऊ बनाती है। बड़े शहर इसके किनारे बसे हैं।
*गीता* - यह महज पुस्तक नहीं है- आध्यात्मिक सम्पदा के स्रोत के साथ साथ विश्व की सबसे बड़ी प्रबंधन(Management) पुस्तक है। जो जीवन प्रबंधन, व्यवसाय प्रबंधन, अर्थ प्रबंधन, परिवार प्रबंधन, आध्यात्म में ज्ञान-भक्ति-सांख्य सभी का प्रबन्ध सिखाती है। यह वेदों का सार है। जो गीता नित्य पढ़ता है, उसे कोर्ट जाकर गीता पर हाथ रखने की आवश्यकता नहीं पड़ती। वह कभी झमेले में नहीं पड़ता।
*गायत्री* - यह महज देवी नहीं है- बौद्धिक और आध्यात्मिक सम्पदा के स्रोत के साथ साथ समस्त मनोकामना पूरी करने वाली कलियुग की कामधेनु है। औषधीय गुणों से भरपूर गायत्री मंत्र है, जो रोगनाशक, इम्युनिटी बढाने वाला, पुष्टिवर्धक, बौद्धिक कुशलता बढ़ाने वाला है। इसपर AIIMS के डॉक्टर ने रिसर्च भी किया है।
ये चारों एक दूसरे से अटूट सम्बन्ध रखते है। मनुष्य में देवत्व के उदय और धरती पर स्वर्ग अवतरण के लिए यह चारों ही चाहिए। यह अध्यात्म के चार मुख्य मार्ग हैं, इनमें से यदि एक को भी साध लिया तो भी आत्मोत्कर्ष तक पहुंचा जा सकता है।
👉🏼 *गौ सेवा का महत्त्व* - गौ पूजा के कई घटनाएं गर्न्थो में भरे पड़े हैं। हम एक प्राचीन और दो वर्तमान कलियुग की घटना बता रहे हैं।
प्राचीन समय में राजा दिलीप ने कपिला गौ सेवा करके सन्तान प्राप्ति के साथ साथ ऋद्धियाँ सिद्धियां पाई थी।
वर्तमान में *प्रसिद्ध देश भक्त और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महादेव गोविंद रानाडे* का जन्म गौ सेवा के फलस्वरूप हुआ था। उनके माता-पिता वृद्ध हो चले थे, निःसन्तान होने की वजह से दुःखी थे। एक सन्त ने उन्हें बछड़े सहित काली गौ माता की सेवा करने की सलाह दी। वो गौ माता को साबुत गेहूँ खिलाते, गोबर में जो गेहूं निकलता उसे धोकर, सुखाकर और पीस कर आटा बनाते और पति पत्नी छह मास तक वही रोटियां खाते रहे, उसी गाय का दूध, दही, छाछ, मक्खन खाते। तीनों संध्या में गायत्री जपते रहे। सुबह खाली पेट पति-पत्नी दोनों तीन चम्मच गौ अर्क लेते थे। गौ के गोबर की समिधा से और उसी गाय के दूध से बने घी से नित्य यज्ञ करते रहे। दोनों बांझपन दूर हुआ और उन्होंने तेजस्वी बालक *महादेव रानाडे* को जन्म दिया। कोई भी निःसन्तान दम्पत्ति इस उपाय से सन्तान वर्तमान समय मे भी पा सकता है।
युगऋषि गुरूदेव ने *गायत्री की सिद्धि के लिए* गायत्री अनुष्ठान के साथ साथ गौ सेवा की थी। गाय को साबुत *जौ* खिलाते, उसके गोबर से *जौ* छानकर, धोकर, सुखाकर और उसे पीसकर वन्दनीया माता जी रोटी बनाती। युगऋषि परमपूज्य गुरूदेव 24 वर्षो तक 24-24 लाख के गायत्री मंत्र महापुरुश्चरण के दौरान उसी जौ की रोटी और उसी गाय के दूध के छाछ का सेवन करते रहे। नित्य यज्ञादि गौ घृत से करते रहे। अष्ट सिद्धि और नवनिधि को प्राप्त किया। असंभव भी संभव कर सके। 3200 से अधिक पुस्तको का विविध विषयों पर लेखन किया, युगनिर्माण योजना और विचारक्रांति अभियान को शुरू किया।
कोई भी व्यक्ति एक वर्ष तक 66 माला रोज गायत्री जप, गौ सेवा करते हुए गौ को साबुत जौ या गेहूँ खिलाकर उसकी रोटी ख़ाकर अनुष्ठान पूरा करे। इसके प्रभाव को स्वयं अनुभव कर सकता है।
👉🏼 किसी भी व्यक्ति की कुंडली में दोष हो या घर में पितृ दोष हो, तो वो गौशाला में एक घण्टे नित्य सेवा दें, चना और गुड़ गौ माता को खिलाये। देशी गाय के गोबर की समिधा(उपले) में हवन सामग्री, गुड़, देशी गाय का घी मिलाकर 40 दिन तक नित्य 24 गायत्री मन्त्रों और 11 महामृत्युंजय मंत्र से आहुति दे तो समस्त दोषों का नाश होता है।
👉🏼 सामान्य रोगी या असाध्य बीमारियों से ग्रसित रोगी स्वास्थ्य लाभ के लिए सुबह खाली पेट तीन चम्मच गौ अर्क(गौ मूत्र) गंगा जल के साथ पियें, नित्य 3 माला गायत्री मंन्त्र का जप, 1 माला महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।गौशाला में एक घण्टे नित्य सेवा दें, चना और गुड़ गौ माता को खिलाये। देशी गाय के गोबर की समिधा(उपले) में औषधीय हवन सामग्री, गुड़, देशी गाय का घी मिलाकर 40 दिन तक नित्य 24 गायत्री मन्त्रों और 11 महामृत्युंजय मंत्र से आहुति दे तो समस्त रोगों का नाश होता है।
👉🏼 भारतीय आयुर्वेद तो गौ अर्क का सदियों से चिकित्सा में प्रयोग करता रहा है। लेकिन पाश्चत्य देश में गौ मूत्र के रोगनाशक क्षमता और बीमारियों में इसके उपयोग करने हेतु 5 पेटेंट अमेरिका और 1 पेटेंट चाइना के पास है।
👉🏼 गौ मूत्र और गोबर से तैयार अमृत मिट्टी और अमृत जल तो कृषि के लिए वरदान हैं।
http://www.amrutkrushi.com/amrut%20jal.html
👉🏼 देशी गाय का दूध समस्त औषधिय गुणवत्ता युक्त अमृत है, जिसे आधुनिक भाषा मे A2 कहा जाता है। A2 दूध को पचाना ज्यादा आसान होता है। गूगल में SE दूध सर्च करके फायदे जान लें।
👉🏼 गौ के ज्ञान विज्ञान के लिए यह वीडियो देखे:- https://youtu.be/-TleWRT6Bbw
👉🏼 गौ सेवा से आध्यात्मिक लाभ सम्बन्धी यह आर्टिकल पढो-
http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1959/March/v2.12
👉🏼 कृषि समस्या, स्वास्थ्य समस्या और जीवन को समस्याओं एक समाधान गौ पालन है।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
तुम्हारे जैसा युवा लड़का जो HR Manager बड़ी बंगलोर की मलटीनेशनल कम्पनी में जॉब करता है। कॉरपोरेट में लोग जहां शराब-शवाब से ज्यादा कुछ सोचते नहीं। ऐसे कीचड़ में तुम कमल हो, जो इन सबसे ऊपर उठकर गौ सेवा को समझना चाहता है। तुम एक श्रेष्ठ आत्मा हो, तुम्हें मेरा प्रणाम।
🐮 आसपास प्रत्येक शहर में गौशाला है। जैसे मन्दिर जाते हो वैसे महीने में एक बार गौ शाला जाओ। समयदान करो और उन्हें चारा दान करो।
🐮 एक सोसायटी के भावनाशील एकजुट होकर 20-25 लोग गौ सेवा फंड बनाओ। उसमें अंशदान करो, फिंर नज़दीकी गांव में एक या दो फ़ैमिली को रोजगार दो और गौपालन करवाओ। उसका घी और दूध अपनी सोसायटी के सदस्यों तक पहुंचाओ। ऐसा रोल मॉडल बनाओ कि सब लाभान्वित हों।
🐮 एक गांव गोद लेकर अमृत मिट्टी और अमृत जल से ऑर्गेनिक खेती करवाओ। फिंर उस अनाज को अपनी सोसायटी कर लोगों को खाने हेतु उपलब्ध करवाओ।
🐮 गौ चिकित्सा केंद्र भी खुलवा सकते हो, मशीनें लगवाकर गौ अर्क इत्यादि गो मेडिसिन, गौ समिधा इत्यादि उपलब्ध करवा सकते हो।
🐮 गौ सेवा के साथ देश सेवा हो जाएगी। गौ माता के साथ भारत माता की भी कृपा मिलेगी। संगठन में शक्ति है।
🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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