Sunday 28 April 2019

प्रश्न - दी मैं ये जानना चाहती हूँ कि सादा जीवन कैसे जी जाती है? क्या अभिप्राय है सादा जीवन से? हमें क्या चाहिए कि हम सादा जीवन जी सके?*

प्रश्न -  *दी प्रणाम, दी ये कहा जाता है कि simple living honi chahiye..Simple life jini chahiye..*
 *कहा जाता है राजा जनक राजमहल में रह कर भी सादा जीवन जीते थे। गुरुजी के भी वाक्य है- "सादा जीवन उच्च विचार"। दी मैं ये जानना चाहती हूँ कि सादा जीवन कैसे जी जाती है? क्या अभिप्राय है सादा जीवन से? हमें क्या चाहिए कि हम सादा जीवन जी सके?*

उत्तर - आत्मीय बहन, महापुरुषों के जीवन का मूलमंत्र ही है - *सादा/सरल जीवन और उच्च विचार*

मनुष्य ख़ुश रहना चाहता है, तृप्ति चाहता है, और महान बनना चाहता है।

लेकिन अज्ञानता वश यह खुशी, तृप्ति और महानता को गलत डायरेक्शन में वस्तुओं, सांसारिक भोगों, इन्द्रिय सुखों में ढूँढ़ रहा है।

*ऋषि कहते हैं ठहरो!* हे धन, पद, यश और इंद्रियसुखो के पीछे भागने वाले इंसानों..जरा आसपास नज़र घुमा के देखो, जिसको पाने की अंधी दौड़ में शामिल हो रहे हो...क्या जिनके पास वह सब ऑलरेडी है क्या वो सुखी हैं?

उन शेखों जिनके पास अपार धन सम्पत्ति, बड़ी बड़ी तेल की फैक्टरियां, महल और जिनकी चार चार बीबियाँ हैं क्या वो सुखी हैं? जो IIT, IIM पास करके बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों में लाखों के पैकेज में काम कर रहे हैं क्या वो सुखी हैं, होटल चैन चलाने वाले मालिक जिनके पास तरह तरह के व्यजन उपलब्ध हैं उन्हें ख़ाकर क्या वो सुखी हैं? ????

लंगड़ा पैर न होने के कारण दुःखी है और पैर पाने की चाहत रखता है, चलने वाला साइकिल न होने के कारण दुःखी है, साइकिल वाला मोटरसाइकिल के लिए दुःखी है, मोटरसाइकिल वाला कार के लिए दुःखी है, कार वाला बी एम डब्ल्यू और मर्सिडीज़ के लिए दुःखी है, बी एम डब्ल्यू और मर्सिडीज़ वाला प्राइवेट जेट के लिए दुःखी है, प्राइवेट जेट वाला  अन्तरिक्ष यान के पाने लिए दुःखी है।

भीतर जाकर देखोगे तो सब किसी न किसी तृष्णा में दुःखी हैं। उम्रभर जिस धन को जुटाने में खर्च कर देते हैं, मरते वक्त तो एक सिक्का भी साथ ले जाना सकेंगे। अमीर हो या ग़रीब सबको राख या खाक होना ही है।

जब विचार उच्च होते हैं और मनुष्य शरीर की जरूरतों से ऊपर उठकर आत्मा के अस्तित्व और जरूरत को समझता है। तो ऐसा महान व्यक्तित्व सादा-सरल जीवन स्वतः अपना लेता है। 

*सादा-सरल जीवन😇😇 में और लोभयुक्त व्यसनी😝🥵 जीवन में फ़र्क़ समझिए*

😇😇 👉🏼सरल और महान लोग जीने के लिये खाते हैं, स्वास्थ्यकर खाते हैं, सोने के लिए बिस्तर खरीदते हैं, रहने के लिए मकान खरीदते है,
शरीर को ढँकने, सर्दी-धूप-गर्मी से बचने के लिए वस्त्र पहनते हैं। जरूरत के हिसाब से जीवन निर्वहन करते है।

इनका वक़्त जीवन निर्वहन हेतु जॉब करने में, ज्ञानार्जन करने में, आत्मकल्याण और लोकल्याण के कार्यो में बीतता है। मनोमन्जन(ज्ञानार्जन) और आत्मतृप्ति हेतु जीते हैं।

यह मन के स्वामी होते हैं। इन्हें पता है, शरीर और मन नश्वर है और आत्मा अमर है।

😝🥵 👉🏼 व्यसनी दिखावेबाज खाने के लिये जीते हैं, दिनभर मुँह चलता रहता है, दुसरो को शान दिखाने के लिए बिस्तर खरीदते हैं, दुसरो को शान दिखाने के लिए और दिखावे में धौंस जमाने के लिए मकान खरीदते है,
शरीर  दुसरो को शान दिखाने के लिए और शो ऑफ करने के लिए वस्त्र पहनते हैं। शो ऑफ में अंग प्रदर्शन में नहीं हिचकते हैं।अय्याशी और दिखावे के लिए जीवन निर्वहन करते है।

इनका वक़्त बेतहाशा धन कमाने हेतु मेहनत करने में, अय्याशी के समान जुटाने में, टीवी सिरियल क्लब में इन्द्रिय सुखों की तृप्ति और मनोरंजन(मन की तृप्ति) में खर्च करते हैं।

यह मन के गुलाम होते हैं। इनके लिए इनका शरीर और मन ही सबकुछ है।

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बिना विचारों में उच्चता आये जीवन मे सरलता और सादगी नहीं आएगी। विचारों को श्रेष्ठता  नित्य महान पुरुषों की संगति उनके लिखे साहित्यों के स्वाध्याय से ही आएगी और अन्तर्जगत की यात्रा से आएगी, दूसरा कोई उपाय नहीं है।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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