Monday 13 May 2019

यज्ञ विषयक शंका समाधान (प्रश्न 102 से 106)

🔥 *यज्ञ विषयक शंका समाधान (प्रश्न 102 से 103)* 🔥

प्रश्न - 102 - *यदि आपत्तिकाल में किसी कारणवश यज्ञ हेतु हवन सामग्री और चरु(खीर मिष्ठान्न) की व्यवस्था न हो, तो यज्ञ कैसे सम्पन्न करें?*

उत्तर - ऐसे प्रश्न जनक के पूँछे जाने पर यज्ञ के ज्ञाता याज्ञवल्क्य ऋषि ने उत्तर दिया:-
1- यदि हवन सामग्री की व्यवस्था न हो पाए तो नित्य उपयोग में होने वाले अन्न से यज्ञ कर लें।
2- अन्न भी उपलब्ध न हो तो मात्र वनस्पतियों से यज्ञ कर लें।
3- वनस्पतियां भी उपलब्ध न हो तो समिधा(लकड़ी) को हवनसामग्री की तरह उपयोग करके यज्ञ कर लें।
4- गुड़-घी उपलब्ध हो तो उससे यज्ञ कर लें।
5- यदि यज्ञाग्नि हेतु समिधा की भी व्यवस्था न हो पाए तो श्रद्धा रूपी अग्नि में ध्यान भावना की सामग्री होमकर मानसिक यज्ञ कर लें।
6- या जल से जल में यज्ञ कर लें, किसी भी कारणवश यज्ञ छोड़े नहीं। साधना के बाद यज्ञ अवश्य करें।

प्रश्न - 103 - *गायत्री मंत्र कहते हैं उपांशु जपना चाहिए, तो लाभ ज्यादा मिलता है। फिंर यज्ञ के दौरान उच्च स्वर में मंन्त्र बोलकर क्यों यज्ञ में स्वाहा बोलकर आहुति देते हैं?*

उत्तर - वेद-मंत्रों का उच्चारण ध्वनि पूर्वक किये बिना यज्ञ में उसका पूर्ण लाभ नहीं मिलता। चुपचाप बिना बोले गायत्री या कोई अन्य मंन्त्र यज्ञ के दौरान प्रयुक्त नहीं होता। वेदमन्त्रों की ध्वनि ही यज्ञ औषधियों का सूक्ष्मीकरण करती है, और ध्वनि तरंगों और प्रकाशयुक्त औषधियों और हविष्य को सर्वत्र पहुंचाती है। मन्त्रों की साउंड एनर्जी और अग्नि की प्रकाश एनर्जी का संयुक्त रूप ही यज्ञ के लाभ को कई गुना बढ़ाता है।


🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
[5/12, 7:17 PM] .: 🔥 *यज्ञ विषयक शंका समाधान (प्रश्न 105 से 106)* 🔥

प्रश्न - 105 - *इन दिनों शुद्ध घी और शुद्ध सामग्री मिलना सर्वत्र कठिन है। वनौषधियों से विनिर्मित हवन सामग्री भी सर्वत्र उपलब्ध नहीं है। ऐसी दशा में शुद्ध यज्ञ कैसे करूँ?*

उत्तर - वनौषधियों से विनिर्मित हवन सामग्री और शुद्ध देशी गाय का घी गायत्री तीर्थ शान्तिकुंज हरिद्वार, गायत्री तपोभूमि मथुरा या नज़दीकी चेतना केंद्र या शक्तिपीठ से प्राप्त कर सकते हैं।

घर बैठे ऑनलाइन -https://www.awgpstore.com से मंगवा सकते हैं।

यदि स्वयं शुद्ध घी देशी गाय का दूध खरीदकर घर मे बना भी सकते हैं। स्वयं शुद्ध हवन सामग्री दैनिक उपयोग के लिए बनाने के लिए काला तिल, चंदन का पावडर/चूरा, गुड़ या शर्करा(खाँड), घी इत्यादि मिलाकर भी सस्ता और शुद्ध हवन सामग्री तैयार कर सकते हैं। इससे आहुतियां दे सकते हैं।

प्रश्न - 106 - *जिन घरों में fire sensor लगे हैं, लकड़ी की समिधा से यज्ञ सम्भव नहीं, वहां यज्ञ कैसे करें?*

उत्तर - ऐसे घरों में यज्ञ के लिए निम्नलिखित विधि से यज्ञ करें:-

1-  ऊर्जा दीपक(गाय के गोबर से बने दीपक) में कपूर और घी की बाती की मदद से अग्नि प्रज्ववलित करके संक्षिप्त विधि से यज्ञ कर सकते हैं।

2- सूखे नारियल के गोले को पतली स्लाइस की तरह काट लें। फिंर उसे मिट्टी या तांबे के हवन कुंड में समिधा की तरह प्रयोग करें। कपूर और घी की बाती से प्रज्ववलित करके आराम से यज्ञ करें।

3- गोमय समिधा पतले पीस में बनता है, उसे मंगवा कर भी घर मे यज्ञ कर सकते हैं।

4- बलिवैश्व यज्ञ गैस पर कर लें, इसके लिए तांबे का बलिवैश्व पात्र ऑनलाइन मंगवा सकते है या नजदीकी शक्तिपीठ से खरीद लें।

घर बैठे ऑनलाइन -https://www.awgpstore.com से मंगवा सकते हैं।


5- ऑनलाइन या नजदीकी शक्तिपीठ से ऑनलाइन शाकल्य या हवन सामग्री की अगरबत्ती मंगवा लें। 5 दीपकों के साथ पांच यह अगरबत्ती जला लें। अगरबत्ती जलाने से पूर्व उस पर देशी गाय के घी का लेपन कर दें। मंन्त्र जपकर ऑटोमेटिक आहुति का संक्षिप्त यज्ञ कर लें।

🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
[5/12, 7:17 PM] .: 🔥 *यज्ञ विषयक शंका समाधान (प्रश्न 104)* 🔥

प्रश्न - 104 - *यज्ञ दिन में ही क्यों करते हैं? रात में यज्ञ क्यों नहीं करते?*

उत्तर- यज्ञ सूर्य रश्मियों की उपस्थिति में करने की वेदों की आज्ञा है। सूर्य रश्मियां सूर्योदय के दो घण्टे पहले से सूर्यास्त के दो घण्टे बाद तक पृथ्वी पर अपना प्रभाव रखती हैं। मनु श्लोक के अनुसार सूर्य रश्मियों का संसर्ग(मिलन) यज्ञाग्नि से होने पर अधिक लाभ मिलता है।

*अग्नौ प्रस्ताहुतिः सम्यगादित्यमुपतिष्ठते ।।*
*आदित्याज्ज्यते वृष्टिवर्ष्टेरन्नं ततः प्रजाः ॥*

अग्नि में डाली हुई आहुति सूर्य की किरणों में उपस्थित हो जाती है ।उसके संसर्ग में अन्तरिक्ष में इस प्रकार का वातावरण निर्मित हो जाता है, जिससे मेघों का संग्रह होने लगता है, वे समय पाकर पृथ्वी पर बरसते हैं, उस पर वृष्टि से यहाँ औषधि, वनस्पति, लता, फल, फूल आदि विविध खाद्य पदार्थ न केवल मानव के, अपितु प्राणिमात्र के लिए उत्पन्न हो जाते हैं ।औषधि, वनस्पति, लता, फूल, फल, आदि खाद्यों में विविध प्रकार की जीवन शक्तियाँ (खाद्योज) रहती हैं, जो फलादि का उपभोग करने से प्राणियों को जीवन प्रदान करती हैं । वे जीवन शक्तियाँ इनमें अग्नि, वायु, सूर्य, चन्द्र, पृथ्वी, जल आदि के प्रभाव से ही उत्पन्न हो पाती हैं ।

यग्योपैथी चिकित्सा में औषधियों के कारण को जागृत कर प्रभावी बनाने के लिए भी सूर्य रश्मियों की उपस्थिति अनिवार्य है। अतः यग्योपैथी/ यज्ञ उपचार भी दिन में ही किये जाने चाहिए।

यज्ञ से उत्तपन्न थोड़ा बहुत कार्बन कलश के जल और वृक्ष वनस्पतियों द्वारा दिन में ही शोषित हो सकता है, क्योंकि प्रकाशसंश्लेषण(photosynthesis) सूर्य रश्मियों की उपस्थिति में ही संभव होता है।

तांत्रिक यज्ञ मध्य रात्रि में विशेष उद्देश्यों के लिए किए जाते हैं। वैदिक मांत्रिक यज्ञ सूर्य रश्मियों की उपस्थिति में ही करना लाभकारी है।


🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

No comments:

Post a Comment

प्रश्न - जप करते वक्त बहुत नींद आती है, जम्हाई आती है क्या करूँ?

 प्रश्न - जप करते वक्त बहुत नींद आती है, जम्हाई आती है क्या करूँ? उत्तर - जिनका मष्तिष्क ओवर थिंकिंग के कारण अति अस्त व्यस्त रहता है, वह जब ...