प्रश्न - *जप हो तो माला संख्या या दीपयज्ञ हो तो दीप संख्या इत्यादि में संख्या अधिकतर विषम ही क्यों बतायी जाती है यथा 3, 5, 7, 9, 11 27, 33 आदि ? कृपया स्पष्ट करें ।*
उत्तर - ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक नम्बर जो माला जपने या दीप जलाने या फल चढ़ाने में जो संख्या का उपयोग होता है, वो वस्तुतः किसी देव या नक्षत्र समूह को इंगित करता है। कुछ विषम और कुछ सम संख्या भी उपयोग होती हैं।
👉🏼 *विषम सँख्या* - 1, 3, 5, 7, 9, 11, 27, 33, 51
1- ॐ , एक ब्रह्म
3- त्रिदेव
5- पंच तत्व, पंच प्राण
7- सप्त मातृकाएँ, सप्तऋषि, सात वार
9- नवदुर्गा, नवग्रह
11- ग्यारह रुद्र
21- (योग विज्ञान में 21 एक खास संख्या है, क्योंकि यह 84 का चौथाई भाग है। यह सृष्टि 84 चक्रों से होकर गुजरी है। इसी तरह आसन भी 84 हैं और चंद्रमा को धरती के 1008 चक्कर लगाने में भी 84 साल का समय लगता है। शारीरिक दृष्टि से 84 और 21 संख्या का एक खास तरह का महत्व है। इसी वजह से अनुष्ठान के दिन 21 दिन का है। अगर हम तीन मूल नाडिय़ों को सात चक्रों से गुणा करें तो यह संख्या 21 होगी। इसलिए हम कह सकते हैं कि 21 और 84 संख्या के शारीरिक महत्व के हिसाब से बहुत सारे अलग-अलग पहलू हैं।)
27- सत्ताईस नक्षत्र
33- तैत्तीस कोटि देवता(12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र और इन्द्र व प्रजापति को मिलाकर कुल 33 देवता )
51- इक्यावन देवियों के शक्तिपीठ
👉🏼 *सम सँख्या* - 12, 24, 108
12- बारह राशियाँ, बारह ज्योतिर्लिंग
24- चौबीस गायत्री मंत्र के अक्षर, चौबीस तीर्थ
108- (ज्योतिष शास्त्र में समस्त विश्व-ब्रह्मांड को 12-12 भागों में विभाजन किया गया है, जिनको “राशि” की संज्ञा प्रदान की गयी है। तथा प्रमुख रूप से 9 ग्रह माने गये हैं। अतः 12 राशि और 9 ग्रह का गुणनफल 108 होता है।)
उत्तर - ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक नम्बर जो माला जपने या दीप जलाने या फल चढ़ाने में जो संख्या का उपयोग होता है, वो वस्तुतः किसी देव या नक्षत्र समूह को इंगित करता है। कुछ विषम और कुछ सम संख्या भी उपयोग होती हैं।
👉🏼 *विषम सँख्या* - 1, 3, 5, 7, 9, 11, 27, 33, 51
1- ॐ , एक ब्रह्म
3- त्रिदेव
5- पंच तत्व, पंच प्राण
7- सप्त मातृकाएँ, सप्तऋषि, सात वार
9- नवदुर्गा, नवग्रह
11- ग्यारह रुद्र
21- (योग विज्ञान में 21 एक खास संख्या है, क्योंकि यह 84 का चौथाई भाग है। यह सृष्टि 84 चक्रों से होकर गुजरी है। इसी तरह आसन भी 84 हैं और चंद्रमा को धरती के 1008 चक्कर लगाने में भी 84 साल का समय लगता है। शारीरिक दृष्टि से 84 और 21 संख्या का एक खास तरह का महत्व है। इसी वजह से अनुष्ठान के दिन 21 दिन का है। अगर हम तीन मूल नाडिय़ों को सात चक्रों से गुणा करें तो यह संख्या 21 होगी। इसलिए हम कह सकते हैं कि 21 और 84 संख्या के शारीरिक महत्व के हिसाब से बहुत सारे अलग-अलग पहलू हैं।)
27- सत्ताईस नक्षत्र
33- तैत्तीस कोटि देवता(12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र और इन्द्र व प्रजापति को मिलाकर कुल 33 देवता )
51- इक्यावन देवियों के शक्तिपीठ
👉🏼 *सम सँख्या* - 12, 24, 108
12- बारह राशियाँ, बारह ज्योतिर्लिंग
24- चौबीस गायत्री मंत्र के अक्षर, चौबीस तीर्थ
108- (ज्योतिष शास्त्र में समस्त विश्व-ब्रह्मांड को 12-12 भागों में विभाजन किया गया है, जिनको “राशि” की संज्ञा प्रदान की गयी है। तथा प्रमुख रूप से 9 ग्रह माने गये हैं। अतः 12 राशि और 9 ग्रह का गुणनफल 108 होता है।)
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