Thursday 16 May 2019

प्रश्न - 51 से 63 तक, बाल सँस्कार शाला- क्या भारत प्राचीन समय में विज्ञान के क्षेत्र में आगे था?

👶🏻👧🏻 *बाल सँस्कार शाला- क्या भारत प्राचीन समय में विज्ञान के क्षेत्र में आगे था?* 👧🏻👶🏻

👉🏼 प्रश्न - 51 से 63 तक

आइये ऐसे वैज्ञानिकों के बारे जाने जो उच्च कोटि के साधक थे और महान रिसर्चर भी।


प्रश्न - 51- *बिजली के आविष्कार में महर्षि अगस्त्य का योगदान क्या वास्तव में था?*

उत्तर - हांजी, महर्षि अगस्त्य एक वैदिक ॠषि थे। निश्चित ही बिजली का आविष्कार थॉमस एडिसन ने किया लेकिन एडिसन अपनी एक किताब में लिखते हैं कि *एक रात मैं संस्कृत का एक वाक्य पढ़ते-पढ़ते सो गया। उस रात मुझे स्वप्न में संस्कृत के उस वचन का अर्थ और रहस्य समझ में आया जिससे मुझे मदद मिली।*

महर्षि अगस्त्य राजा दशरथ के राजगुरु थे। इनकी गणना सप्तर्षियों में की जाती है। ऋषि अगस्त्य ने 'अगस्त्य संहिता' नामक ग्रंथ की रचना की। आश्चर्यजनक रूप से *इस ग्रंथ में विद्युत उत्पादन से संबंधित सूत्र मिलते हैं*-

संस्थाप्य मृण्मये पात्रे
ताम्रपत्रं सुसंस्कृतम्‌।
छादयेच्छिखिग्रीवेन
चार्दाभि: काष्ठापांसुभि:॥
दस्तालोष्टो निधात्वय: पारदाच्छादितस्तत:।
संयोगाज्जायते तेजो मित्रावरुणसंज्ञितम्‌॥
-अगस्त्य संहिता

अर्थात : *एक मिट्टी का पात्र लें, उसमें ताम्र पट्टिका (Copper Sheet) डालें तथा शिखिग्रीवा (Copper sulphate) डालें, फिर बीच में गीली काष्ट पांसु (wet saw dust) लगाएं, ऊपर पारा (mercury‌) तथा दस्त लोष्ट (Zinc) डालें, फिर तारों को मिलाएंगे तो उससे मित्रावरुणशक्ति (Electricity) का उदय होगा।*

अगस्त्य संहिता में विद्युत का उपयोग इलेक्ट्रोप्लेटिंग (Electroplating) के लिए करने का भी विवरण मिलता है। उन्होंने बैटरी द्वारा तांबा या सोना या चांदी पर पॉलिश चढ़ाने की विधि निकाली अत: अगस्त्य को कुंभोद्भव (Battery Bone) कहते हैं।
अगले पन्ने पर छठा आविष्कार...

प्रश्न -52- *क्या बटन अविष्कार सर्वप्रथम भारत मे हुआ था?*

उत्तर :- हाँजी, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि शर्ट के बटन का आविष्कार भारत में हुआ। इसका सबसे पहला प्रमाण मोहन जोदड़ो की खुदाई में प्राप्त हुआ। खुदाई में बटनें पाई गई हैं। सिन्धु नदी के पास आज से 2500 से 3000 पहले यह सभ्यता अपने अस्तित्व में थी।

प्रश्न -53- *ज्यामिति के क्षेत्र में भारत का योगदान बताये?*

उत्तर :- बौधायन भारत के प्राचीन गणितज्ञ और शुल्व सूत्र तथा श्रौतसूत्र के रचयिता हैं। पाइथागोरस के सिद्धांत से पूर्व ही बौधायन ने ज्यामिति के सूत्र रचे थे लेकिन आज विश्व में यूनानी ज्या‍मितिशास्त्री पाइथागोरस और यूक्लिड के सिद्धांत ही पढ़ाए जाते हैं।

दरअसल, 2800 वर्ष (800 ईसापूर्व) बौधायन ने रेखागणित, ज्यामिति के महत्वपूर्ण नियमों की खोज की थी। उस समय भारत में रेखागणित, ज्यामिति या त्रिकोणमिति को शुल्व शास्त्र कहा जाता था।

शुल्व शास्त्र के आधार पर विविध आकार-प्रकार की यज्ञवेदियां बनाई जाती थीं। दो समकोण समभुज चौकोन के क्षेत्रफलों का योग करने पर जो संख्या आएगी उतने क्षेत्रफल का ‘समकोण’ समभुज चौकोन बनाना और उस आकृति का उसके क्षेत्रफल के समान के वृत्त में परिवर्तन करना, इस प्रकार के अनेक कठिन प्रश्नों को बौधायन ने सुलझाया।

प्रश्न -54- *रेडियो के आविष्कार के क्षेत्र में भारत का योगदान बतायें?*

उत्तर:- इतिहास की किताब में बताया जाता है कि रेडियो का आविष्कार जी. मार्कोनी ने किया था, लेकिन यह सरासर गलत है। अंग्रेज काल में मार्कोनी को भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु के लाल डायरी के नोट मिले जिसके आधार पर उन्होंने रेडियो का आविष्कार किया। मार्कोनी को 1909 में वायरलेस टेलीग्राफी के लिए नोबेल पुरस्कार मिला। लेकिन संचार के लिए रेडियो तरंगों का पहला सार्वजनिक प्रदर्शन मिलीमीटर तरंगें और क्रेस्कोग्राफ सिद्धांत के खोजकर्ता जगदीश चंद्र बसु ने 1895 में किया था।

इसके 2 साल बाद ही मार्कोनी ने प्रदर्शन किया और सारा श्रेय वे ले गए। चूंकि भारत उस समय एक गुलाम देश था इसलिए जगदीश चंद्र बसु को ज्यादा महत्व नहीं दिया गया। दूसरी ओर वे अपने आविष्कार का पेटेंट कराने में असफल रहे जिसके चलते मार्कोनी को रेडियो का आविष्कारक माना जाने लगा। संचार की दुनिया में रेडियो का आविष्कार सबसे बड़ी सफलता है। आज इसके आविष्कार के बाद ही टेलीविजन और मोबाइल क्रांति संभव हो पाई है।

प्रश्न -55- *गुरुत्वाकर्षन का नियम के बारे में भारत का योगदान बतायें?*

उत्तर : हलांकि वेदों में गुरुत्वाकर्षन के नियम का स्पष्ट उल्लेख है लेकिन प्राचीन भारत के सुप्रसिद्ध गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री भास्कराचार्य ने इस पर एक ग्रंथ लिखा 'सिद्धांतशिरोमणि' इस ग्रंथ का अनेक विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुआ और यह सिद्धांत यूरोप में प्रचारित हुआ।

न्यूटन से 500 वर्ष पूर्व भास्कराचार्य ने गुरुत्वाकर्षण के नियम को जानकर विस्तार से लिखा था और उन्होंने अपने दूसरे ग्रंथ 'सिद्धांतशिरोमणि' में इसका उल्लेख भी किया है।

गुरुत्वाकर्षण के नियम के संबंध में उन्होंने लिखा है, 'पृथ्वी अपने आकाश का पदार्थ स्वशक्ति से अपनी ओर खींच लेती है। इस कारण आकाश का पदार्थ पृथ्वी पर गिरता है।' इससे सिद्ध होता है कि पृथ्वी में गुत्वाकर्षण की शक्ति है।

भास्कराचार्य द्वारा ग्रंथ ‘लीलावती’ में गणित और खगोल विज्ञान संबंधी विषयों पर प्रकाश डाला गया है। सन् 1163 ई. में उन्होंने ‘करण कुतूहल’ नामक ग्रंथ की रचना की। इस ग्रंथ में बताया गया है कि जब चन्द्रमा सूर्य को ढंक लेता है तो सूर्यग्रहण तथा जब पृथ्वी की छाया चन्द्रमा को ढंक लेती है तो चन्द्रग्रहण होता है। यह पहला लिखित प्रमाण था जबकि लोगों को गुरुत्वाकर्षण, चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण की सटीक जानकारी थी।

प्रश्न - 56- *भाषा का व्याकरण के क्षेत्र में भारत का योगदान बतायें?*

उत्तर :- दुनिया का पहला व्याकरण पाणिनी ने लिखा। 500 ईसा पूर्व पाणिनी ने भाषा के शुद्ध प्रयोगों की सीमा का निर्धारण किया। उन्होंने भाषा को सबसे सुव्यवस्थित रूप दिया और संस्कृत भाषा का व्याकरणबद्ध किया। इनके व्याकरण का नाम है अष्टाध्यायी जिसमें 8 अध्याय और लगभग 4 सहस्र सूत्र हैं। व्याकरण के इस महनीय ग्रंथ में पाणिनी ने विभक्ति-प्रधान संस्कृत भाषा के 4000 सूत्र बहुत ही वैज्ञानिक और तर्कसिद्ध ढंग से संग्रहीत किए हैं।

अष्टाध्यायी मात्र व्याकरण ग्रंथ नहीं है। इसमें तत्कालीन भारतीय समाज का पूरा चित्र मिलता है। उस समय के भूगोल, सामाजिक, आर्थिक, शिक्षा और राजनीतिक जीवन, दार्शनिक चिंतन, खान-पान, रहन-सहन आदि के प्रसंग स्थान-स्थान पर अंकित हैं।

प्रश्न - 57 - *उस भारतीय वैज्ञानिक का नाम बताएं जिन्हें 1930 में भौतिकी शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था?*

उत्तर - सी.वी. रमन जी जिनका पूरा नाम चंद्रशेखर वेंकटरमन था और उनका जन्म 7 नवंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्‍ली नामक स्थान में हुआ था। सी.वी. रमन भारत के पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें 1930 में भौतिकी शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. सी.वी. रमन के महान आविष्कारों में से एक प्रकाश पर गहन (Studied at the light) था. बाद में सी.वी. रमन द्वारा किए गए अविष्‍कार को “रमण प्रभाव” के रूप में जाना गया. 1954 ई. में उन्हें भारत सरकार द्वारा भारत रत्न से सम्मानित किया गया था 1957 में उन्हें लेनिन शान्ति पुरस्कार (Lenin Peace Prize) दिया गया था.

प्रश्न - 58 - *भारत मे 'आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम' किसे कहा जाता है?*

उत्तर - होमी जहांगीर भाभा, भारत के एक प्रमुख वैज्ञानिक थे जिन्होंने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी. भाभा का जन्म अक्टूबर 1909 को मुंबई में हुआ था. उनके द्वारा किए गए महान आविष्कारों में से एक क्वांटम थ्योरी (Quantum Theory) है. होमी जहांगीर भाभा भारतीय परमाणु ऊर्जा के पिता के रूप में भी विख्यात हुए हैं.  होमी जहांगीर भाभा ने भारत के महान वैज्ञानिक संस्थानों की स्थापना की हैं जैसे कि भाभा परमाणु अनुसंधान संस्थान (Bhabha Atomic Research Institute) और टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (Tata Institute of Fundamental Research). उन्हें ‘आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम‘ भी कहा जाता है.

प्रश्न - 59 - *भारत में अभियंता की याद में अभियंता दिवस (Engineer Day) मनाया जाता है?*

उत्तर - विश्वेश्वरैया जी, 1955 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित विश्वेश्वरैया का जन्म मैसूर (कर्नाटक) के कोलार जिले में 15 सितंबर 1860 को एक तेलुगु परिवार में हुआ था. विश्वेश्वरैया भारत के महानतम, विद्वान और एक कुशल राजनेता थे। विश्वेश्वरैया के प्रसिद्ध आविष्कारों में Automatic Sluice Gates’ और Block Irrigation System’ हैं जिन्हें आजकल भी इंजीनियरिंग क्षेत्र में चमत्कार माना जाता है. उन्होंने 1895 में ‘कलेक्टर’ वेल्स के माध्यम से पानी फिल्टर करने का एक कारगर तरीके की खोज की थी जो कि शायद ही कभी दुनिया में कहीं देखा गया था. विश्वेश्वरैया की जन्म तिथि 15 सितंबर को उनकी यादगार के लिए भारत में अभियंता दिवस (Engineer Day) के रूप में मनाया जाता है.

प्रश्न - 60 - *श्रीनिवास रामानुजन् को किस क्षेत्र में योगदान के लिए जाने जाते हैं?*

उत्तर - श्रीनिवास रामानुजन जिनका जन्म 22 दिसम्बर1887 को हुआ था। रामानुजन एक महान भारतीय गणितज्ञ थे। उनका गणितीय विश्लेषण (mathematical analysis), संख्या सिद्धांत (number theory) और अनंत श्रृंखला (Infinite series), के क्षेत्र में असाधारण योगदान रहा हैं. रामानुजन ने शुरू में अपने ही गणितीय शोध विकसित कि और इसे जल्द ही भारतीय गणितज्ञों द्वारा मान्यता दी गई थी।

प्रश्न - 61- *क्वांटम फिजिक्स में किस भारतीय के अनुसंधान ने “बोस-आइंस्टीन स्टैटिस्टिक्स” और “बोस-आइंस्टीन कंडनसेट” सिद्धांत की नींव रखी थी?*

उत्तर - सत्येन्द्र नाथ बोस का जन्म 1 जनवरी 1894 को कोलकाता में हुआ था। बोस भारतीय गणितज्ञ और भौतिक शास्त्री हैं. बोस को “क्वांटम फिजिक्स” में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है. क्वांटम फिजिक्स में उनके अनुसंधान ने “बोस-आइंस्टीन स्टैटिस्टिक्स” और “बोस-आइंस्टीन कंडनसेट” सिद्धांत की नींव रखी थी. भौतिक शास्त्र में दो प्रकार के अणु माने जाते हैं – बोसान और फर्मियान. इनमे से बोसान सत्येन्द्र नाथ बोस के नाम पर हैं।

प्रश्न -62- *किस भारतीय ऋषि वैज्ञानिक ने शून्य और दशमलव का अविष्कार करके गणित के क्षेत्र में क्रांति लाई? किसने बीजगणित, त्रिकोणमिति के सिद्धांत दिए?*

उत्तर - आर्यभट्‍ट भारत व् दुनिया के सबसे महान खगोलशास्त्रीयों (Kgolshastriyon) और गणितज्ञों में से एक थे। वर्तमान में भी उनके द्वारा किये गए आविष्कार (विज्ञान और गणित के क्षेत्र में) वैज्ञानिकों को प्रेरणा देते हैं. आर्यभट्‍ट का नाम उन व्यक्तियों में आता हैं जिन्होंने बीजगणित (एलजेबरा) का आविष्कार किया था. आर्यभट्‍ट ने अपनी प्रसिद्ध रचना ‘आर्यभटिया’ (गणित की पुस्तक) को कविता के रूप में लिखा. यह प्राचीन भारत की बहुचर्चित पुस्तकों में से एक है. आर्यभट्‍ट द्वारा लिखित आर्यभटिया’ पुस्तक में ज्यादातर जानकारी खगोलशास्त्र और गोलीय त्रिकोणमिति से सम्बंधित है. ‘आर्यभटिया’ पुस्तक में अंकगणित (Arithmetic), बीजगणित (algebra) और त्रिकोणमिति (trigonometry) के 33 नियम भी दिए गए हैं.

प्रश्न - 63 - *भारत के किस राष्ट्रपति को 'मिसाइल मैन' भी कहा जाता है और क्यों?*

उत्तर - डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम भारतीय वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। अब्दुल कलाम ने भारत के सबसे महत्वपूर्ण संगठनों (डीआरडीओ और इसरो) में कार्य किया. उन्होंने वर्ष 1998 के पोखरण द्वितीय परमाणु परीक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. डॉ कलाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और मिसाइल विकास कार्यक्रम के साथ भी जुड़े थे. इसी कारण उन्हें ‘मिसाइल मैन’ भी कहा जाता है.

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