Thursday 9 May 2019

प्रश्न - *सुबह सूर्य भगवान को जल क्यों चढ़ाना चाहिए? आध्यात्मिक एवं वैज्ञा

प्रश्न - *सुबह सूर्य भगवान को जल क्यों चढ़ाना चाहिए? आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक लाभ बताइये?*

उत्तर -सूर्य सांसारिक तथा आध्यात्मिक शक्ति का स्रोत है।
दैनिक उपासना के बाद सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए, यदि नदी में स्नान कर रहे है तो भीगे शरीर मे ही नदी में खड़े खड़े जल चढ़ाना चाहिए।

👉🏼👉🏼 *प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार सूर्य को जल चढ़ाने के फायदे...*

1- यह शरीर पंचतत्व से बना है जिसमें एक तत्व अग्नि है। सूर्य अग्नि का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्य को जल नित्य चढ़ाने से अग्नितत्व सन्तुलित रहता है।
2- सूर्य चिकित्सा से आरोग्य मिलता है और बीमारियां दूर होती है।
3- सुबह उगते सूर्य का नित्य दर्शन और जल चढ़ाने से नेत्र ज्योति अच्छी रहती है।
4- सूर्य को जल चढ़ाने वाले लोगों पर सूर्य की सुबह की शुभ किरणें पड़ती है जो चर्म रोग से बचाव करती है।
5- विटामिन डी मिलता है
6- सूर्य की सुबह की किरणें आरोग्य वर्धक हैं। तथा प्रारब्धजन्य रोग मिटते हैं।
7- नकारात्मक ऊर्जा का शमन कर सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

👉🏼 *आध्यात्मिक और ज्योतिष के अनुसार सूर्य को जल चढ़ाने के फायदे...*

1. ज्योत‌िषशास्‍त्र में सूर्य को आत्मा का कारक बताया गया है. इसलिए आत्म शुद्ध‌ि और आत्मबल बढ़ाने के लिए न‌ियम‌ित रूप से सूर्य को जल देना चाहिए.
2. सूर्य को न‌ियम‌ित जल देने से शरीर ऊर्जावान बनता है और कार्यक्षेत्र में इसका लाभ म‌िलता है.
3. अगर आपकी नौकरी में परेशानी हो रही है तो न‌ियम‌ित रूप से सूर्य को जल देने से उच्चाध‌िकारियों से सहयोग म‌िलने लगता है और मुश्क‌िलें दूर हो जाती हैं.
4. सूर्य को जल देने के लिए तांबे के पात्र का उपयोग करना बेहतर रहता है.
5. सूर्य को जल देने से पहले जल में चुटकी भर रोली म‌िलाएं और लाल फूल के साथ जल दें. इसके बाद जल देते समय 7 बार जल दें और सूर्य के मंत्र का जप करें.
6- सूर्य को जल चढ़ाने से सौभाग्य की वृद्धि होती है, आत्म उन्नति होती है।
7- गायत्री उपासना(जप एवं उगते हुये सूर्य का ध्यान) करके उसके पश्चात जल चढ़ाने से प्राण ऊर्जा बढ़ती है।

सूर्य उपासना गायत्री मंत्र - *ॐ भुर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात*

सूर्य अर्घ्य(जल चढ़ाने का मंन्त्र) -  *ॐ सूर्य! सहस्त्रांशो! तेजो राशे! जगत्पते! अनुकम्प्यं मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर। ॐ सूर्याय नमः, ॐ आदित्याय नमः, ॐ भाष्कराय नमः*

*नोट:*- गमला या कोई पात्र नीचे रखकर फिंर जल चढ़ाएं जिससे जल पैरों पर न गिरे। वो जल पौधों को डाल दें। सूर्य को जल चढ़ाकर थोड़ा जल बचा लें, उसे माथे में लगाएं और घर मे छिड़कें।

सूर्य को हो सके तो तांबे के पात्र में ही जल चढ़ाएं। केवल हिन्दू मान्यताएं ही नहीं, बल्कि विज्ञान का भी यह कहना है कि तांबे का बर्तन सबसे शुद्ध होता है। क्योंकि उसे बनाने के लिए किसी भी अन्य धातु का प्रयोग नहीं होता। इसी शुद्धता को तवज्जो देते हुए हिन्दू धर्म में तांबे के प्रयोग पर ज़ोर दिया जाता है।
शरीर के दोष शांत करता है
धार्मिक पहलू के अलावा चिकित्सिकीय संदर्भ से भी तांबे से बने बर्तन को इस्तेमाल करने का बड़ा महत्व है। कहा जाता है कि यदि रात को तांबे के पात्र में पानी रख दें और सुबह इस पानी को पीयें तो अनेक फायदे होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह पानी शरीर के कई दोषों को शांत करता  है।
तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी उसमें घंटों तक रखने से साफ हो जाता है। उसके अंदर के सारे कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही यह पानी पीने से व्यक्ति के भीतर मौजूद कीटाणु एवं जहरीले तत्व बाहर निकल जाते हैं।

🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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