प्रश्न - *दक्षिण दिशा में पैर करके क्यों नहीं सोना चाहिए?*
उत्तर- नींद का हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से गहरा संबंध है. यही कारण है कि हमारे ऋषि-मुनियों ने इसके लिए भी कुछ नियम कायदे तय किए हैं. ताकि शयन की क्रिया का अधिक से अधिक लाभ हमें प्राप्त हो सके. संध्या के समय नहीं सोना, सोते समय पैर दक्षिण दिशा की ओर न हों, जैसे अनेक निर्देश शास्त्रों में दिए गए हैं।
पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना विज्ञानसम्मत प्रक्रिया है जो अनेक बीमारियों को दूर रखती है। सौर जगत धु्रव पर आधारित है। ध्रुव के आकर्षण से दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर प्रगतिशील विद्युत प्रवाह हमारे सिर में प्रवेश करता है और पैरों के रास्ते निकल जाता है।
ऐसा करने से भोजन आसानी से पच जाता है. सुबह-सवेरे जब हम उठते हैं तो मस्तिष्क विशुद्ध वैद्युत परमाणुओं से परिपूर्ण एवं स्वस्थ हो जाता है। इसीलिए सोते समय पैर दक्षिण दिशा की ओर करना मना किया गया है।
दक्षिण दिशा में पैर और उत्तर दिशा में सिर- यह ऐसी पोजिशन है जिसमें शवों को रखा जाता है. इस दिशा में सोने की मनाही की गई है. जब आप उत्तर दिशा में सिर करके सोते हैं तो आपको बुरे सपने आते हैं और आपकी नींद बहुत बार टूटती है. पृथ्वी का उत्तर और सिर का उत्तर दोनों साथ में आए तो प्रतिकर्षण बल काम करता है. उत्तर में जैसे ही आप सिर रखते हैं, प्रतिकर्षण बल काम करने लगता है. इस धक्का देने वाले बल से आपके शरीर मे संकुचन आता है. शरीर मे अगर संकुचन आया तो रक्त का प्रवाह पूरी तरह से नियंत्रण के बाहर जाएगा. ब्लड प्रैशर बढ़ने से नींद आएगी ही नहीं. मन में हमेशा चंचलता रहेगी.
पूर्व के बारे में पृथ्वी पर रिसर्च करने वाले सब वैज्ञानिकों का कहना है कि पूर्व न्यूट्रल है! मतलब न तो वहाँ आकर्षण बल है, ज्यादा न प्रतिकर्षण बल. और अगर है भी तो दोनों एक दूसरे को बैलेंस किए हुए हैं, इस लिए पूर्व मे सिर करके सोएंगे तो आप भी नूट्रल रहेंगे. आसानी से नींद आएगी।
उत्तर- नींद का हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से गहरा संबंध है. यही कारण है कि हमारे ऋषि-मुनियों ने इसके लिए भी कुछ नियम कायदे तय किए हैं. ताकि शयन की क्रिया का अधिक से अधिक लाभ हमें प्राप्त हो सके. संध्या के समय नहीं सोना, सोते समय पैर दक्षिण दिशा की ओर न हों, जैसे अनेक निर्देश शास्त्रों में दिए गए हैं।
पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना विज्ञानसम्मत प्रक्रिया है जो अनेक बीमारियों को दूर रखती है। सौर जगत धु्रव पर आधारित है। ध्रुव के आकर्षण से दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर प्रगतिशील विद्युत प्रवाह हमारे सिर में प्रवेश करता है और पैरों के रास्ते निकल जाता है।
ऐसा करने से भोजन आसानी से पच जाता है. सुबह-सवेरे जब हम उठते हैं तो मस्तिष्क विशुद्ध वैद्युत परमाणुओं से परिपूर्ण एवं स्वस्थ हो जाता है। इसीलिए सोते समय पैर दक्षिण दिशा की ओर करना मना किया गया है।
दक्षिण दिशा में पैर और उत्तर दिशा में सिर- यह ऐसी पोजिशन है जिसमें शवों को रखा जाता है. इस दिशा में सोने की मनाही की गई है. जब आप उत्तर दिशा में सिर करके सोते हैं तो आपको बुरे सपने आते हैं और आपकी नींद बहुत बार टूटती है. पृथ्वी का उत्तर और सिर का उत्तर दोनों साथ में आए तो प्रतिकर्षण बल काम करता है. उत्तर में जैसे ही आप सिर रखते हैं, प्रतिकर्षण बल काम करने लगता है. इस धक्का देने वाले बल से आपके शरीर मे संकुचन आता है. शरीर मे अगर संकुचन आया तो रक्त का प्रवाह पूरी तरह से नियंत्रण के बाहर जाएगा. ब्लड प्रैशर बढ़ने से नींद आएगी ही नहीं. मन में हमेशा चंचलता रहेगी.
पूर्व के बारे में पृथ्वी पर रिसर्च करने वाले सब वैज्ञानिकों का कहना है कि पूर्व न्यूट्रल है! मतलब न तो वहाँ आकर्षण बल है, ज्यादा न प्रतिकर्षण बल. और अगर है भी तो दोनों एक दूसरे को बैलेंस किए हुए हैं, इस लिए पूर्व मे सिर करके सोएंगे तो आप भी नूट्रल रहेंगे. आसानी से नींद आएगी।
No comments:
Post a Comment