Saturday 11 May 2019

योग अपनाएं- चिर स्थायी यौवन और शाश्वत सौंदर्य पाएं*

योग अपनाएं-  चिर स्थायी यौवन और शाश्वत सौंदर्य पाएं*
योग अपनाएं-  प्राण ऊर्जा और स्वास्थ्य पाएँ
योग अपनाएं- बुद्धिकुशलता और एकाग्रता पाएँ

उम्र से यौवन का कोई सम्बन्ध नहीं होता। जब भी जीवन में प्राणशक्ति का प्रवाह उच्च हो, जीवन में उत्साह और उमंग हो, कुछ कर गुजरने का कुछ नया करने अनवरत प्रयास हो, उसे यौवन कहते हैं। यह प्राणशक्ति, उमंग और उल्लास ही सौंदर्य का कारक है।

युवावस्था में यौवन एक भगवान द्वारा दी प्राणशक्ति/ऊर्जा की लॉटरी है। जिसे सही ढंग से उपयोग न करने पर यह चुक जाती है, और तबाही लाती है। 

जिम में प्राण ऊर्जा का ह्रास होता है, योग में प्राण ऊर्जा का संचय होता है। जिम में बाह्य शरीर सुडौल और मनचाहा आकर लेता है। योग से बाह्य शरीर के साथ साथ मन भी मन मनचाहा आकार लेता है  और सन्तुलित होता है। जिम केवल शरीर पर नियंत्रण देता है, योग शरीर के साथ साथ मन को भी नियंत्रित करता है और आत्मा को भी बल प्रदान करता है। जिम फैट को गलाता है, पसीने में बहाता है, योग फैट को तेजस, ओजस, वर्चस में बदलकर प्राण ऊर्जा को बढ़ा देता है। जिम करने के बाद व्यक्ति थका हुआ महसूस करता है, योग करने के बाद व्यक्ति तरोताज़ा और शांत महसूस करता है। जिम मष्तिष्क का व्यायाम नहीं करता, योग मष्तिष्क का व्यायाम करता है। योग बुद्धिकुशलता और एकाग्रता बढ़ाता है जो युवाओं के  लक्ष्य प्राप्ति, कैरियर बिल्डिंग और जॉब में प्रमोशन में मददगार है। जिम से रोग ठीक नहीं कर सकते, लेकिन योग से न सिर्फ़ रोग ठीक कर सकते हैं, अपितु रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते है।

आपने महसूस किया होगा, यदि पेट खराब हो तो मन स्वतः खराब हो जाता है कुछ भी कार्य करने में मन नहीं लगता। यदि मन खराब हो तो पेट खराब हो जाता है खाया हुआ अन्न ठीक से पचता नहीं, शरीर में बल बढ़ता नहीं। योग इस नियम को अच्छी तरह समझता है कि दुनियाँ के समस्त रोगों की जड़ पेट और मन मे होती है। यदि इन दोनों को स्वस्थ एवं व्यवस्थित बना लिया जाय तो ताउम्र निरोगी रहा जा सकता है। योग पेट और मन दोनों के बीच सन्तुलन और स्वास्थ्य संवर्धन करता है।
 

योग के माध्यम से प्राणशक्ति और स्वास्थ्य अर्जित किया जाता है। योगमय जीवन जीने से, लोकसेवा की भावना और कार्य से जीवन मे सदा उत्साह उमंग अनवरत बना रहता है। जवान मन की तरह सुकोमल, नए उत्साहित विचारों से मन भरा रहता है। चेतना ईश्वर से जुड़ी रहती है और ऐसे व्यक्ति को चिर यौवन और शाश्वत सौंदर्य प्राप्त होता है।

उदाहरण - उत्साह उमंग में भरे आशावादी कर्मठ लोग किसी भी उम्र के हों सुंदर, जवान और आकर्षक दिखते हैं। चाहे कोई कितना जिम कर ले यदि मन की  उदास और हीनभावना को ठीक न कर सका तो वो बदसूरत, वृद्ध सा और तेजहीन दिखता हैं। 

🙏🏻यौवन की लॉटरी को हाई बीट में नाचने, नशा करने, उछल कूद मचाने में शीघ्रता से नष्ट मत कीजिये। इसे किसी श्रेष्ठ लक्ष्य में सन्तुलित ढंग से खर्च कीजिये। योग द्वारा निरन्तर प्राण ऊर्जा अर्जित किजिये, बीमारियों से छुटकारा पाइए, यौवन को चिरस्थाई रखिये और सौंदर्य पाइए।

🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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