प्रश्न - *मैं पाप तो नष्ट करना चाहता हूँ लेकिन कोई पुण्य अर्जित करना नहीं चाहता। मैंने रामायण में पढ़ा है कि पाप करो तो उसे दण्ड रूप में भोगने के लिए पुनः जन्म लेना पड़ता है। यदि पुण्य करो तो भी उसे सुख-वैभव रूप में भोगने के लिए जन्म लेना पड़ता है। जन्म-मरण से मुक्त मोक्ष चाहता हूँ।*
*गायत्री मंत्र से पाप नष्ट होता है, और जप से पुण्य मिलता है। फिर इसके जप से मोक्ष किस प्रकार मिलेगा क्योंकि पुण्य भोगने के लिए पुनः जन्म नहीं लेना चाहता?*
उत्तर - *सूर्योपनिषद* उपनिषदों की 108 श्रृंखला में एक उपनिषद है और *साधना खण्ड* का अंग है। इसमें गायत्री मंत्र का जो भावार्थ लिखा है उसे सुने:-
ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात
*भावार्थ* - वह प्रणव सच्चिदानंद परमात्मा जो भू: भुवः स्व: (धरती आकाश पाताल) सर्वत्र कण कण में व्यापत है। समस्त सृष्टि के उत्पादन कर्ता उन सविता देव के सर्वोत्तम तेज़ का हम ध्यान करते हैं। जो सविता देव हमारी बुद्धि को सद्बुध्दि में बदल दें, सन्मार्ग की ओर प्रेरित करे।
ऐसा ध्यान करने वाला ब्राह्मण ब्रह्म निष्ठ विदेहमुक्त हो जाता है। अर्थात जनक की तरह संसार में हो जाता है। संसार रूपी कीचड़ में कमल के फूल की तरह खिल जाता है।
गायत्री मंत्र वह माध्यम है जिससे भौतिक आध्यात्मिक जगत में जो इच्छा हो वो प्राप्त कर सकते हैं।
ध्यान रहे, मोक्ष भी एक इच्छा है। साथ ही यह मात्र स्वयं के कल्याण से जुड़ी है।
अतः इस श्लोक के माध्यम से समझें कि सबकुछ गायत्री उपासना से प्राप्य है।
ॐ स्तुता मया वरदा वेदमाता प्रचोदयन्तां पावमानी द्विजानाम्।
आयुः प्राणं प्रजां पशुं कीर्तिं द्रविणं ब्रह्मवर्चसम्। मह्यं दत्तवा व्रजत ब्रह्मलोकम्।।
भावार्थ - मैं वेदों की माता गायत्री की स्तुति करता हूँ, जो पापों से उद्धार करने वाली है, सद्बुद्धि देकर जीवन पवित्र करने वाली हैं। आप इसी जन्म में द्विजत्व प्रदान करने वाली हैं।
आपकी अराधना से (आयुः) स्वास्थ्य और दीर्घ आयु, (प्राणम्) प्राणविद्या, (प्रजाम्) उत्तम सन्तानों, (पशुम्) पशुपालन, (कीर्तिम्) पुण्य और यश, (द्रविणम्) धनोपार्जनविद्या, (ब्रह्मवर्चसम्) ब्रह्म के तेजस्वरूप, (ब्रह्मलोकम्) आलोकमय ब्रह्म लोक एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है।
माता गायत्री औघड़ दानी है, उनकी आराधना से सबकुछ प्राप्य है। आप जिस उद्देश्य से तप करेंगे वो तप की सिद्धि होने पर अवश्य मिलेगा, अब वह उद्देश्य चाहे मोक्ष प्राप्ति का हो या ऐश्वर्य प्राप्ति का या कुछ और तप की सिद्धि होने पर जरूर मिलेगा। अतः गायत्री साधना अवश्य करें।
गीता में वर्णित विधि द्वारा उम्र भर निष्काम कर्म सेवा भाव से साथ मे करते रहें।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
*गायत्री मंत्र से पाप नष्ट होता है, और जप से पुण्य मिलता है। फिर इसके जप से मोक्ष किस प्रकार मिलेगा क्योंकि पुण्य भोगने के लिए पुनः जन्म नहीं लेना चाहता?*
उत्तर - *सूर्योपनिषद* उपनिषदों की 108 श्रृंखला में एक उपनिषद है और *साधना खण्ड* का अंग है। इसमें गायत्री मंत्र का जो भावार्थ लिखा है उसे सुने:-
ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात
*भावार्थ* - वह प्रणव सच्चिदानंद परमात्मा जो भू: भुवः स्व: (धरती आकाश पाताल) सर्वत्र कण कण में व्यापत है। समस्त सृष्टि के उत्पादन कर्ता उन सविता देव के सर्वोत्तम तेज़ का हम ध्यान करते हैं। जो सविता देव हमारी बुद्धि को सद्बुध्दि में बदल दें, सन्मार्ग की ओर प्रेरित करे।
ऐसा ध्यान करने वाला ब्राह्मण ब्रह्म निष्ठ विदेहमुक्त हो जाता है। अर्थात जनक की तरह संसार में हो जाता है। संसार रूपी कीचड़ में कमल के फूल की तरह खिल जाता है।
गायत्री मंत्र वह माध्यम है जिससे भौतिक आध्यात्मिक जगत में जो इच्छा हो वो प्राप्त कर सकते हैं।
ध्यान रहे, मोक्ष भी एक इच्छा है। साथ ही यह मात्र स्वयं के कल्याण से जुड़ी है।
अतः इस श्लोक के माध्यम से समझें कि सबकुछ गायत्री उपासना से प्राप्य है।
ॐ स्तुता मया वरदा वेदमाता प्रचोदयन्तां पावमानी द्विजानाम्।
आयुः प्राणं प्रजां पशुं कीर्तिं द्रविणं ब्रह्मवर्चसम्। मह्यं दत्तवा व्रजत ब्रह्मलोकम्।।
भावार्थ - मैं वेदों की माता गायत्री की स्तुति करता हूँ, जो पापों से उद्धार करने वाली है, सद्बुद्धि देकर जीवन पवित्र करने वाली हैं। आप इसी जन्म में द्विजत्व प्रदान करने वाली हैं।
आपकी अराधना से (आयुः) स्वास्थ्य और दीर्घ आयु, (प्राणम्) प्राणविद्या, (प्रजाम्) उत्तम सन्तानों, (पशुम्) पशुपालन, (कीर्तिम्) पुण्य और यश, (द्रविणम्) धनोपार्जनविद्या, (ब्रह्मवर्चसम्) ब्रह्म के तेजस्वरूप, (ब्रह्मलोकम्) आलोकमय ब्रह्म लोक एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है।
माता गायत्री औघड़ दानी है, उनकी आराधना से सबकुछ प्राप्य है। आप जिस उद्देश्य से तप करेंगे वो तप की सिद्धि होने पर अवश्य मिलेगा, अब वह उद्देश्य चाहे मोक्ष प्राप्ति का हो या ऐश्वर्य प्राप्ति का या कुछ और तप की सिद्धि होने पर जरूर मिलेगा। अतः गायत्री साधना अवश्य करें।
गीता में वर्णित विधि द्वारा उम्र भर निष्काम कर्म सेवा भाव से साथ मे करते रहें।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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