Friday 3 May 2019

पोस्ट - इक दिन होश में चैतन्यता के साथ जीवनसाथी से लड़े, जब वह क्रोध में मुंह से शब्दों के बम अर्थात जली कटी गालियाँ निकाल रही या रहे हों। उन पर गौर फरमाएं।

🙏🏻😇  *इक दिन होश में चैतन्यता के साथ जीवनसाथी से लड़े, जब वह क्रोध में मुंह से शब्दों के बम अर्थात जली कटी गालियाँ निकाल रही या रहे हों। उन पर गौर फरमाएं।* 😇

👉🏼 आप पाएंगे जो बातें झूठी होंगी और आरोप झूठे होंगे वो आपको हर्ट नहीं करेंगे।

👉🏼 आप पाएंगे जो सत्य है उन बातों को जब जीवन साथी बोलता/बोलती है तो वो आपके हृदय में चुभेगा।

👉🏼 प्रेम के वक्त हमारी गलतियां इग्नोर कर दी जाती हैं और लड़ाई  के वक़्त हमारी अच्छाइयां इग्नोर कर दी जाती हैं।

👉🏼 प्रेम के वक़्त यदि बुराई देख सकें और लड़ाई के वक्त यदि अच्छाई देख सकें तो जीवन सन्तुलित होता है।

👉🏼 यदि कोई आपकी सच्चाई जो प्रेम के वक़्त इग्नोर कर दी गयी और लड़ाई में क्रोध के वक्त बोल दी गयी तो वस्तुतः बुरा मानने की ज़रूरत नहीं है। उस पर कार्य करके उसे सुधारने की जरूरत हैं।

👉🏼 जीवनसाथी यदि लड़ाई के वक़्त दीन-हीन शब्द बोले, तो इसका अर्थ है उसके हृदय में चोट लगी है।

👉🏼 जीवनसाथी यदि गन्दी गन्दी जली कटी गाली दे, तो समझ लीजिए बचपन से उसके माता-पिता द्वारा या आसपड़ोस द्वारा  उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं हुआ है। आपसे मिलने से पहले वो यह गालियाँ जो आपको दे रही या दे रहा है वह स्वयं खा चुका/ चुकी है।

👉🏼 यदि आपका जीवनसाथी गुस्से में भी गालियाँ देने में असमर्थ हो तो इसका अर्थ है वह बचपन से सम्मान प्राप्त है।

👉🏼 यदि जीवनसाथी हाथ उठाता है, तो उसके माता-पिता मारपीट उसके समक्ष कर चुके हैं। साथ ही उसे भी कई बार पीट चुके हैं।

👉🏼 यदि आपका जीवनसाथी अत्यंत गुस्से में भी आपकी बड़ी गलती के प्रतिक्रिया स्वरूप आप पर हाथ न उठा सके, तो वह सुसंस्कारी है और साथ ही वह सम्मानित व्यक्ति/स्त्री है। स्वयं में पूर्ण व्यक्ति है।

👉🏼 *ध्यान दें:-*

1- वही पति अपनी पत्नी को कष्ट देता है, जो स्वयं बहुत कष्ट और अपमान सह रहा हो। स्वयं हीनभावना से ग्रसित हो।
2- वही पत्नी विवाह के बाद सास  के साथ रहना पसंद नहीं करती, जिसको उसकी माता ने भावसम्वेदना से जोड़ा नहीं होता एवं केवल स्वार्थ सिखाया होता है।
3- वही स्त्री बहुत ज़्यादा गालियां निकालती है, जिसे बचपन से गालियां मिली हो।
4- यदि बचपन से खुशहाल जिंदगी जीने वाले जोड़े कभी गाली गलौज नहीं करते। उन्हें जल्दी गुस्सा नहीं आता।

👉🏼 तीन गुब्बारे लीजिये, एक मे हवा, एक मे पानी और एक में रंगीन जल भर दीजिये। अब पिन चुभोईये तो जिसमें जो भरा होगा वो ही बाहर निकलेगा। इसी तरह क्रोध की पिन चुभने पर जिसके अंदर जो सँस्कार भरे होते हैं वो बाहर निकलते हैं। व्यक्ति के सँस्कार की सही पहचान क्रोध के वक्त ही होती है।

👉🏼 क्रोध में जो स्वयं को आधे घण्टे मौन रख सके और अपना ध्यान किसी अन्य विचार पर केंद्रित कर सके। जो सोचविचार कर जवाब दे , वही व्यक्ति साधक है।

👉🏼 यदि आपका जीवनसाथी बेवज़ह आपको भावनात्मक, शारीरिक पीड़ा देता है, और उसके बाद वो अच्छा महसूस करता है। उसे कोई ग्लानि महसूस नहीं होती। तो यह एक मनोविकार है, जिसे सैडिस्ट मनोविकार कहते हैं। इसके लिए यग्योपैथी का उपचार करवाएं या मनोचिकित्सक से सलाह लें।

Sadism psychological disorder involves deriving pleasure through themselves or others undergoing discomfort or pain. ... Sadism can also include the use of emotional cruelty, purposefully manipulating others through the use of fear, and a preoccupation with violence.

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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